मध्य प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक वर्ग 3 (पहली से पांचवीं क्लास) की नौकरी खतरे में आ गई है। मध्य प्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने 25 जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर शिक्षकों की सूची मांगी है। डीपीआई ने मानकों में नहीं आने वालों की नियुक्ति निरस्त करने के लिए कहा है।
यह शिक्षक होंगे बाहर
वह शिक्षक, जिन्होंने बीएड किया है और जो 11 अगस्त 2023 के बाद नियुक्त हुए हैं, उन सभी को बाहर किया जाएगा। इसके लिए डीपीआई संचालक ने आगर-मालवा, आलीराजपुर, अशोकनगर, छतरपुर, दमोह, डिंडोरी, गुना, कटनी, खंडवा, मंदसौर, मुरैना, नरसिंहपुर, नीमच, निवाड़ी, पन्ना, रायसेन, रतलाम, सागर, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, टीकमगढ़, उज्जैन, विदिशा सहित सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भेज दिया है। हालांकि इस तारीख से पहले जो नियुक्त हुआ है, उनकी नौकरी बनी रहेगी।
क्यों ऐसा किया जा रहा है
दरअसल केंद्र सरकार मानव संसाधन मंत्रालय ने जून 2018 में आदेश दिया था, इसमें लिखा था कि स्कूल शिक्षा में अब प्राथमिक शिक्षक में बीएड वाले भर्ती होंगे। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस गया। खासकर डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) वालों का कहना था कि इससे हमारे हक की नौकरी बीएड वाले ले जाएंगे, उनके लिए तो वर्ग 1 व 2 की नौकरी है ही (यानी क्लास 6 से 12वीं तक)। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देकर 11 अगस्त 2023 को केंद्र के आदेश को शून्य कर दिया। वहीं, जबलपुर हाईकोर्ट में भी कई याचिकाएं लगी, जिसमें 3 मई 2024 में जबलपुर हाईकोर्ट ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए मप्र सरकार को आदेश दिया। इसके बाद अब DPI ने यह आदेश जारी किया है।
प्रभावितों का लगाया जा रहा हिसाब
जानकारों का और शिक्षकों का कहना है कि यह सही फैसला है, इसमें कोई बुराई नहीं है। बीएड जो नहीं कर पाते हैं, वह डीएलएड कोर्स करते हैं, लेकिन अभी 10 में से 7-8 प्राथमिक शिक्षक बीएड वाले आ जाते हैं। ऐसे में इनके मौके खत्म हो रहे हैं। यदि यह फैसला पूरा लागू होता तो हजारों की नौकरी चली जाती, लेकिन अब 11 अगस्त 2023 कटऑफ डेट है, ऐसे में बहुत अधिक प्रभावित नहीं होंगे, लेकिन डीएलएड युवाओं को आगे नौकरी में अवसर अधिक मिलेंगे। इसलिए यह फैसला सही है।
उच्च वर्ग में आना है तो बीएड जरूरी
वैसे भी यदि किसी प्राथमिक शिक्षक को उच्च वर्ग एक, दो में आना है तो बीएड की डिग्री जरूरी होती है। केवल डीएलएड के डिप्लोमा से कुछ नहीं होता। ऐसे में उच्च वर्ग के लिए बीएड को ही पात्रता मिलती रहेगी। इससे किसी को नुकसान नहीं होगा।
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