मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में एक्सपर्ट डॉक्टर्स की कमी को दूर करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। स्वास्थ्य विभाग से जारी नए दिशा-निर्देशों के तहत अब सरकारी अस्पतालों में स्थानीय रोगी कल्याण समितियों के माध्यम से प्राइवेट एक्सपर्ट डॉक्टर्स से अनुबंध किया जाएगा। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो सके और मरीजों को समय पर विशेषज्ञ उपचार मिल सके।
डॉक्टर्स की कमी को लेकर दिशा-निर्देश जारी
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, प्रदेश के कई शासकीय अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। जिसके कारण स्वास्थ्य सुविधाएं जैसे कि शल्य चिकित्सा और जटिल उपचार बाधित हो रहे हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार ने तय किया है कि जहां विशेषज्ञ डॉक्टर्स के पद स्वीकृत होने के बाद खाली हैं और जहां पर्याप्त उपकरण, सामग्री, और संसाधन उपलब्ध हैं, वहां एक्सपर्ट प्राइवेट डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएंगी। ये सेवाएं आयुष्मान भारत योजना के तहत निर्धारित पैकेज और रोगी कल्याण समिति के माध्यम से भुगतान के आधार पर उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे अस्पतालों में सभी प्रकार की मेडिकल सेवाएं बगैर किसी रूकावट के संचालित की जा सकेंगी। अब जानिए एक्सपर्ट डॉक्टरों के चयन प्रक्रिया से लेकर भुगतान तक की पूरी जानकारी...
यह होगी चयन प्रक्रिया
एक्सपर्ट डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए एक पारदर्शी चयन प्रक्रिया निर्धारित की गई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति संबंधित अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों के स्वीकृत और रिक्त पदों की पुष्टि करेगी। इसके बाद, विशेषज्ञ चिकित्सकों से आवेदन मांगे जाएंगे। प्राप्त आवेदनों की जांच और सत्यापन के बाद चयन प्रक्रिया पूरी की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चयनित डॉक्टर पूरी तरह योग्य और अनुभवशील हों।
डॉक्टरों की पात्रता
डॉक्टरों के पास भारतीय चिकित्सा परिषद या राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से मान्यता प्राप्त डिग्री और मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद का वैध रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। साथ ही कम से कम तीन साल का अनुभव होना अनिवार्य है। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि डॉक्टर के खिलाफ कोर्ट में कोई मामला तो नहीं चल रहा है।
यह हैं अनुबंध की शर्तें
नियुक्ति एक साल के अनुबंध पर आधारित होगी, जिसे डॉक्टर के प्रदर्शन और पारस्परिक सहमति के आधार पर आगे बढ़ाया जा सकेगा। अनुबंध के तहत चिकित्सकों को अस्पताल में उपस्थित होकर मरीजों की जांच, उपचार और शल्य चिकित्सा जैसे कार्यों को निष्पादित करना होगा। विशेषज्ञों को मरीजों की प्री-ऑपरेटिव, पोस्ट-ऑपरेटिव और फॉलो-अप सेवाएं भी प्रदान करनी होंगी।
हर केस पर मिलेगा भुगतान और इंसेंटिव
सरकार ने अनुबंधित चिकित्सकों के लिए एक साफ भुगतान प्रणाली तय की है। आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वीकृत पैकेज के अनुसार, विशेषज्ञ डॉक्टर को प्रति केस भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा, उन्हें अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। उदाहरण के तौर पर, मुख्य सर्जन को 21.6% और निश्चेतना विशेषज्ञ को 10.8% इंसेंटिव मिलेगा। भुगतान मासिक आधार पर किया जाएगा, और इसका वितरण सीधे चिकित्सकों के बैंक खातों में होगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि भुगतान केवल तब किया जाए जब उपचार पूरी तरह संतोषजनक हो और मरीजों का पहला फॉलो-अप पूरा हो।
आयुष्मान भारत योजना के तहत विशेष प्रावधान
आयुष्मान भारत योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को विशेषज्ञ चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान की जाएंगी। योजना के तहत स्वीकृत पैकेज की राशि रोगी कल्याण समिति के खाते में समायोजित की जाएगी। इस राशि से अनुबंधित चिकित्सकों को भुगतान किया जाएगा। वहीं, गैर-पात्र रोगियों को भी विशेषज्ञ सेवाएं प्रदान करने के लिए रोगी कल्याण समिति से भुगतान की व्यवस्था की जाएगी। यह प्रणाली आयुष्मान भारत योजना के प्रभावी क्रियान्वयन और सभी वर्गों के मरीजों तक सेवाएं पहुंचाने के लिए कारगर सिद्ध होगी।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का प्रयास
राज्य सरकार का यह प्रयास उन इलाकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं। ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपलब्धता के कारण मरीजों को इलाज के लिए बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है। नई योजना के तहत, स्थानीय अस्पतालों में विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध होने से मरीजों को समय पर उपचार मिलेगा।
विशेषज्ञ सेवाओं के संचालन की होगी निगरानी
यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अनुबंधित चिकित्सक अस्पताल में समय पर उपस्थित हों और मरीजों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करें। उनके द्वारा किए गए कार्यों का रिकॉर्ड रखा जाएगा और उनके प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा। किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय लापरवाही पाए जाने पर अनुबंध की समीक्षा की जाएगी। यह निगरानी प्रणाली स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक होगी।
मध्य प्रदेश सरकार का यह निर्णय स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति से मरीजों को बेहतर और समय पर चिकित्सा सेवाएं प्राप्त होंगी। यह पहल न केवल आयुष्मान भारत योजना को सफल बनाएगी, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने में भी योगदान देगी।
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