BHOPAL : मध्य प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों के संचालन की निगरानी रखने वाले विनियामक आयोग यानी मप्र प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमीशन का गजब कारनामा सामने आया है। आयोग ने निजी विश्वविद्यालयों में कुल गुरुओं की नियुक्ति को नियम विरुद्ध बताने के अपने ही निर्णय को पलट दिया है। तीन महीने पहले आयोग की ओर से 32 निजी विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी किए थे। इसमें विश्वविद्यालयों को नियम विरुद्ध नियुक्त अपात्र कुलगुरुओं को हटाने के निर्देश भी दिए गए थे। लेकिन अब आयोग ने इनमें कुलगुरुओं की नियुक्ति को वैध मान लिया है। यही नहीं ऐसे कुलगुरुओं की नियुक्ति को यूजीसी की ओर से भी योग्य बताया जा रहा है। विनियामक आयोग का ये निर्णय इसलिए चौंकाने वाला है क्योंकि तीन महीने पहले ही आयोग की परीक्षण समिति ने अपनी रिपोर्ट में कुल गुरुओं की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। जिन बिंदुओं पर तीन महीने पहले कुलगुरु अयोग्य थे अब उन पर उनकी पात्रता कैसे साबित हो गई इसका जवाब आयोग नहीं दे रहा है।
दरअसल सितंबर 2024 में निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने प्रदेश के 53 निजी विश्वविद्यालयों में से ज्यादातर के संचालन में नियमों की अनदेखी की स्थिति पाई थी। विश्वविद्यालयों में कुलगुरु के पद पर नियम विरुद्ध नियुक्ति के मामले की जांच के लिए आयोग द्वारा परीक्षण समिति का गठन किया गया था। जिसने भोपाल, इंदौर, सीहोर, विदिशा, सतना, रायसेन, शिवपुरी, खंडवा, छिंदवाड़ा, दमोह, बालाघाट, मंदसौर, उमरिया, सागर स्थित निजी विश्वविद्यालयों में कुलगुरु की नियुक्ति को गाइडलाइन के मुताबिक नहीं पाया। इसकी जांच रिपोर्ट भी समिति द्वारा आयोग को सौंपी थी। आयोग अध्यक्ष भरत शरण सिंह द्वारा इन विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी कर अयोग्य कुलगुरु हटाकर नियम के आधार पर नियुक्ति के निर्देश दिए गए थे।
पहले माना अयोग्य, अब कैसे हो गए योग्य
मप्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने सितम्बर में दो दर्जन से ज्यादा निजी विश्वविद्यालयों को नोटिस भेजे थे। आयोग के इस पत्र में सर्वोच्च प्राथमिकता का उल्लेख है जिसका जवाब 15 दिन में अनिवार्य रूप से देना था। आयोग अध्यक्ष भरत शरण सिंह की ओर से भेजे गए नोटिस में निजी विश्वविद्यालय स्थापना-संचालन अधिनियम के प्रावधान के विरुद्ध नियुक्त कुलगुरुओं को हटाने का स्पष्ट उल्लेख है। साथ ही गठित की गई परीक्षण समिति द्वारा दस्तावेजों की पड़ताल में कुल गुरुओं की नियुक्ति में प्रावधानों के उल्लंघन की भी पुष्टि की गई। आयोग अध्यक्ष भरत शरण सिंह परीक्षण समिति की रिपोर्ट और आयोग के निर्णय में तीन माह में आए बदलाव के सवाल को टाल गए। हालांकि उनका कहना है 53 निजी विश्वविद्यालयों में से अब 36 में नियमित कुलगुरु नियुक्त हैं। 17 प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में यूजीसी के मानदंडों के अनुरूप प्रभारी कुलगुरु कार्यरत हैं। जल्द ही यहां भी नियमित कुलगुरु होंगे, इसकी प्रक्रिया चल रही है।
तीन माह में बदल गई परीक्षण रिपोर्ट
निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने हाल ही में एक पत्र जारी किया है। पत्र में तीन महीने पहले यानी सितम्बर और करीब दिसम्बर के दूसरे पखवाड़े में जारी पत्र का उल्लेख है। तीन माह पहले आयोग ने परीक्षण कमेटी की रिपोर्ट में नियुक्ति को प्रावधानों के विरुद्ध माना था। और अब एलएनसीटी सहित उन तमाम निजी विश्वविद्यालयों में कुलगुरु की नियुक्ति को प्रावधानों के अनुरूप मानी गई हैं। हालांकि पत्र में निजी विश्वविद्यालयों द्वारा अभ्यावेदन के साथ अतिरिक्त प्रमाण सौंपने का उल्लेख भी हैं। लेकिन इस पर सवाल इसलिए खड़े किए जा रहे हैं क्योंकि कुल गुरुओं की नियुक्ति का परीक्षण करने वाली समिति के सामने पूर्व में ही ये दस्तावेज क्यों पेश नहीं किए गए। ये कौन से दस्तावेज हैं जिनके सामने आने के बाद नियुक्ति प्रावधान अनुरूप हो गई है।