MP News: भोपाल सहित मध्यप्रदेश के सभी नगर निगमों में प्रॉपर्टी टैक्स की गणना को लेकर एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। राज्य सरकार ने निर्देश दिए हैं कि अब प्रॉपर्टी टैक्स को कलेक्टर गाइडलाइन (Collector Guideline) से जोड़कर लागू किया जाए। इस बदलाव का मकसद नगरीय निकायों की राजस्व आय (Revenue Income) बढ़ाना है।
कलेक्टर गाइडलाइन से कैसे जुड़ेगा टैक्स?
अब तक प्रॉपर्टी टैक्स पुरानी दरों और सीमित मूल्यांकन के आधार पर वसूला जा रहा था, लेकिन नई व्यवस्था के तहत हर वार्ड की प्रॉपर्टी वैल्यू गाइडलाइन के अनुसार तय होगी। भोपाल नगर निगम के 85 वार्डों में यह गाइडलाइन हाल ही में अपडेट की गई है।
यदि नगर निगम इस फॉर्मूले को पूरी तरह लागू करता है, तो मौजूदा टैक्स की तुलना में यह चार गुना तक महंगा (Up to 4 Times Increase) हो सकता है। इससे निगम को हर साल करीब 300 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होने का अनुमान है।
टैक्स अकाउंट बढ़ाने की रणनीति
भोपाल नगर निगम के पास वर्तमान में साढ़े सात लाख टैक्स अकाउंट हैं। जबकि अनुमान के अनुसार शहर में करीब 12 लाख प्रॉपर्टी यूनिट्स (Estimated 12 Lakh Property Units) हैं। ऐसे में नगर निगम ने नए टैक्स अकाउंट खोलने का अभियान शुरू कर दिया है।
कम टैक्स बेस, कम आमदनी
वर्तमान में नगर निगम की आय सीमित होने का बड़ा कारण यही है कि सिर्फ आधे प्रॉपर्टी मालिक टैक्स अदा कर रहे हैं (Only 50% Properties Taxable)। अतिरिक्त अकाउंट खोलकर निगम इस अंतर को भरना चाहता है।
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15वें वित्त आयोग की सिफारिश पर कार्रवाई
यह पूरा कदम 15वें वित्त आयोग (15th Finance Commission) की अनुशंसा पर उठाया जा रहा है। आयोग ने स्थानीय निकायों की आय बढ़ाने के लिए स्थानीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की बात कही थी।