BHOPAL : प्रदेश में चल रहे राजस्व महाअभियान 3.0 की हालत भी दूसरी योजनाओं की तरह ही है। सरकार महाअभियान के तहत 75 फीसदी लक्ष्य हासिल करने का दावा कर रही है। जबकि एक साल में राजस्व महाअभियान का यह तीसरा फेज है जो 26 जनवरी को पूरा हो जाएगा। इसके बावजूद प्रदेश में 4.31 लाख से ज्यादा प्रकरणों का निपटारा नहीं हो सका है। राजस्व से संबंधित 6 हजार से ज्यादा शिकायतें भी सीएम हेल्पलाइन पर अटकी हुई हैं। उनमें भी शिकायतकर्ताओं को सुनवाई का इंतजार है। सरकार राजस्व विभाग और रजिस्ट्री-नामांतरण, रिकॉर्ड दुरुस्ती के सिस्टम को अपडेट तो कर रही है, लेकिन तकनीकी व्यवधान और मैदानी अमले की आदतों में बदलाव नहीं कर सकी है। सरकार के दावों के उलट जमीनी हकीकत किसानों की मुश्किल और तहसीलों में लगी भीड़ देखकर समझी जा सकती है।
प्रदेश में राजस्व संबंधी लाखों प्रकरण तहसील, एसडीएम और जिला राजस्व कार्यालयों में लंबे अरसे से अटके हुए हैं। इनके कारण राजस्व कार्यालयों में पदस्थ अधिकारियों की कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रही थी। प्रदेश में राजस्व महाअभियान के दो चरण पूरे हो चुके जबकि तीसरा चरण 26 जनवरी को पूरा होने जा रहा है। महाअभियान 3.0 के तहत अब तक प्रदेश के सभी जिलों में तहसील और टप्पा यानी उप तहसील स्तर तक नामांतरण के 79 हजार 996 प्रकरण निपटाए गए हैं जबकि वहीं बटवारे के 8 हजार 83 मामले सुलझाए गए हैं। ऐसे ही सीमांकन के 13 हजार 182 और अभिलेख दुरुस्ती से संबंधित 2 हजार 854 मामलों का समाधान हुआ है।
बड़े जिलों में पिछड़ा महाअभियान
सरकार का दावा है अब तक महाअभियान के तहत प्रदेश में लक्ष्य के विरुद्ध 75 फीसदी उपलब्धि हासिल कर ली गई है। जबकि बंटवारा संबंधी प्रकरण में गुना, आगर-मालवा, बैतूल, झाबुआ, अलीराजपुर जिला, सीमांकन प्रकरणों के निपटारे में अनूपपुर, आगर-मालवा, अलीराजपुर, गुना और छिंदवाड़ा और रिकॉर्ड दुरुस्तीकरण में आगर-मालवा, उमरिया, गुना, झाबुआ और दतिया जिले अव्वल रहे हैं। यानी इन जिलों में 100 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। नामांतरण के मामले में जिला सिंगरौली शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने वाला जिला रहा है। इसी श्रेणी में बैतूल 99.8 और गुना 98.93 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त कर चुका है। इसके बावजूद महाअभियान के समापन से तीन दिन पहले यानी गुरुवार तक नामांतरण, बटवारा, सीमांकन, रिकॉर्ड दुरुस्तीकरण सहित 4.31 लाख मामलों का निराकरण नहीं हो पाया है।
राजस्व का मैदानी अमले मान रहा बेगार
राजस्व महाअभियान के तहत किसानों की खेती के रकबे, बटवारे, सीमांकन, नक्शा-खसरा, ऋण पुस्तिकाओं में सुधार करते हुए रिकॉर्ड दुरुस्ती होना है। इसके लिए प्रदेश सरकार को संजीदा है लेकिन मैदानी अमला इसे बोझ मान रहा है। इसी वजह से पटवारी, राजस्व निरीक्षक के अलावा तहसील और एसडीएम ऑफिस के कर्मचारी रुचि नहीं ले रहे हैं। इसके कारण अपने प्रकरण लेकर पहुंच रहे किसानों से टाल-मटोल हो रही है। राजधानी भोपाल के आसपास ही सीहोर, रायसेन, विदिशा जिलों में भी राजस्व अमला दिलचस्पी नहीं ले रहा है। इसके कारण किसान अपने दस्तावेज लेकर पटवारी और तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। किसानों की परेशानी उनकी बातों को सुनकर समझा आ जाती है।
तकनीकी दिक्कतों ने बनाया चकरघिन्नी
सरकार की प्राथमिकता वाले महाअभियान में तकनीकी मुश्किलें भी राह का रोड़ा बन रही हैं। महाअभियान के तहत फार्मर रजिस्ट्री भी बार-बार अटक रही है। संपदा पोर्टल, साइबर तहसीलों पर भी ऑनलाइन दिक्कत आ रही है। कभी सर्वर अटक जाता है तो कभी दस्तावेज ही अपलोड नहीं होते। सबसे ज्यादा समस्या किसानों के दस्तावेजों में पुरानी त्रुटियों के कारण खड़ी हो रही है। एक ही किसान का नाम आधार कार्ड, ऋण पुस्तिका और बैंक में थोड़ा भी अलग होने पर पोर्टल इसे स्वीकार नहीं करता और कई-कई दिन तक किसानों का काम आगे नहीं बढ़ता।
रिकॉर्ड की पुरानी त्रुटि यहां भी रोड़ा
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि किसी किसान का नाम ऋण पुस्तिका यानी राजस्व रिकॉर्ड में महेन्द्र प्रताप सिंह राजपूत है लेकिन आधार कार्ड, बैंक में महेंद्र प्रताप राजपूत या महेन्द्र सिंह राजपूत या केवल महेन्द्र सिंह लिखा है तो पोर्टल इसे रोक देगा। इसके कारण फार्मर रजिस्ट्री नहीं होगी और फार्मर आईडी नहीं बनेगी। जब ऐसा होगा तो समग्र आईडी और बैंक अकाउंट से लिंक नहीं हो पाएगी और केंद्र व प्रदेश की योजनाओं का लाभ भी किसानों के खातों तक नहीं पहुंचेगा।