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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर जिले (Sagar District) में स्थित वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (Veerangana Rani Durgavati Tiger Reserve) में जल्द ही चीते (Cheetah) की बसाहट (Habitat) की योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा। यह योजना 15 साल पुरानी है और अब भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII - Wildlife Institute of India), देहरादून द्वारा चीते के लिए दो नए स्थानों का चयन करने के बाद यह संभव होने जा रही है। इन दोनों स्थानों में गुजरात के बन्नी ग्रासलैंड रिजर्व (Banni Grassland Reserve) के साथ-साथ सागर का टाइगर रिजर्व भी शामिल है। यदि यह कार्य सफल रहा तो यह देश का पहला ऐसा वन्य क्षेत्र होगा जहां बाघ (Tiger), तेंदुआ (Leopard) और चीता एक साथ पाए जाएंगे।
चीता की बसाहट के लिए चुना गया सागर टाइगर रिजर्व
डब्ल्यूआईआई ने भारत में चीता पुनर्वास परियोजना (Cheetah Reintroduction Project) की निगरानी करते हुए साल 2010 में सागर के तीन रेंज – मुहली, सिंहपुर और झापन – का सर्वेक्षण किया था। सर्वे में इन रेंज को चीते की बसाहट के लिए अनुकूल पाया गया था। इस क्षेत्र में लंबे-लंबे मैदान और खुली जगहें हैं जो चीते के लिए उपयुक्त शिकार और गति की सुविधा प्रदान करती हैं।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के डीआईजी डॉ. वीबी माथुर, डब्ल्यूआईआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक और डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी ने इन तीनों रेंजों का मैदानी निरीक्षण किया है। तीनों रेंज का कुल क्षेत्रफल लगभग 600 वर्ग किलोमीटर है, जबकि पूरे सागर टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 2339 वर्ग किलोमीटर है।
तीन बड़ी बिल्लियों का परिवार बनेगा पूरा
सागर टाइगर रिजर्व में पहले से ही टाइगर और तेंदुआ मौजूद हैं। चीता के आने के बाद ये तीनों बड़ी बिल्ली प्रजातियां एक साथ इस रिजर्व में पाई जाएंगी। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक दुर्लभ और पहला मौका होगा जब बाघ, तेंदुआ और चीता एक ही क्षेत्र में सह-अस्तित्व में रहेंगे।
टाइगर, तेंदुआ और चीता: शिकार के तरीके
चीता, तेंदुआ और बाघ के शिकार के तरीकों में महत्वपूर्ण भिन्नता है, जिससे ये तीनों प्रजातियां एक ही क्षेत्र में बिना संघर्ष के रह सकती हैं।
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बाघ (Tiger) बड़े जानवर जैसे नीलगाय, भैंसा और हिरण का शिकार करता है।
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तेंदुआ (Leopard) मध्यम आकार के जानवरों जैसे जंगली सुअर, हिरण और भैंसे के बच्चे का शिकार करता है।
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चीता (Cheetah) छोटे आकार के हिरण जैसे चीतल, काला हिरण और खरगोश का शिकार करता है।
यह भी देखा गया है कि चीता बाघ और तेंदुए से दूरी बनाए रखता है, जिससे टकराव की संभावना कम होती है। इस प्रकार, यह एक सामंजस्यपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण संभव हो पाता है।
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गांवों का विस्थापन और बजट
चीता की बसाहट से पहले, यहां के स्थानीय निवासियों का विस्थापन एक बड़ी चुनौती है। मुख्य रूप से मुहली गांव की आबादी लगभग 1500 है, इसके अतिरिक्त झापन और सिंहपुर में भी कुछ गांव हैं। इनके विस्थापन के लिए सरकार को लगभग 200 करोड़ रुपये का बजट आवंटित करना पड़ेगा।
यह कदम चीता के लिए सुरक्षित और संरक्षित पर्यावरण उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संरक्षण प्रोजेक्ट के तहत भी प्रमुखता से लिया जा रहा है।
अफ्रीकी देशों से आने वाले चीते और भारत में पुनर्वास
भारत में 75 वर्षों के अंतराल के बाद चीते की वापसी हो रही है। स्वतंत्रता से पहले मध्य प्रदेश से दिल्ली तक और पंजाब तक चीते का निवास था। लेकिन लगातार शिकार के कारण यह आबादी घटकर मध्य प्रदेश तक सीमित हो गई और अंततः 1952 में आखिरी चीता मारा गया।
अब दक्षिण अफ्रीका के पॉपुलेशन इनिशिएटिव (Population Initiative) के तहत नामीबिया, बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका से कुछ चीते भारत लाए जाएंगे। इन्हें सागर के वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा, जहां उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए सभी इंतजाम किए जाएंगे।
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