मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रदेश सरपंच संघ ने बिगुल फूंक दिया है। राजधानी भोपाल के सेकेंड नंबर बस स्टाप के पास स्थित अंबेडकर पार्क में सरकार के खिलाफ एमपी सरपंच संघ ने धरना दिया गया। सरपंच संघ द्वारा अपनी मांगों को लेकर किए जा रहे आंदोलन का समर्थन करने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी धरना स्थल पहुंचे जहां उन्होंने आंदोलनरत सरपंचों को संबोधित किया।
क्या बोले जीतू पटवारी ?
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि महात्मा गांधी की ग्राम स्वराज की परिकल्पना को कांग्रेस ने इस उद्देश्य से आगे बढ़ाया था कि पंचायतों का जो स्वरूप है, उसको आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाया जायेगा। लेकिन दुर्भाग्य से भाजपा सरकार आने के बाद पंचायत के इस स्वरूप को भाजपा ने पूरी तरह से पंगू और अपंग बना दिया है। जो वित्तीय अधिकार सहित अन्य अधिकार कांग्रेस सरकार ने ग्राम पंचायतों को दिये थे, वह पूरे अधिकार भाजपा सरकार द्वारा अधिकारियों को हस्तांतरित कर दिए गए। ॉ
इतना ही नहीं चुने हुऐ सरपंचो पर विश्वास करने की बजाय भाजपा सरकार ने अधिकारियों पर ज्यादा विश्वास किया जिससे महात्मा गांधी का पंचायतों को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का सपना अधूरा रह गया।
क्या कहा सरपंच संघ ने ?
सरपंच संघ का कहना है कि जब तक मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक पंचायतों में मंत्री और विधायकों को नहीं घुसने दिया जाएगा। सरकार आदिवासी इलाकों की महिला सरपंचों को बाइक खरीदने और हर महीने पेट्रोल का पैसा दे। सरपंच संघ का आरोप है कि सरकार मनरेगा को धीरे-धीरे खत्म कर रही है। 1 जुलाई 2024 के ऑर्डर को निरस्त किया जाए। ये हमारा सांकेतिक धरना था अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो प्रदेशव्यापी बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं पटवारी ?
दरअसल 2 जुलाई को गौतम टेटवाल ने बयान दिया था कि गांव में यदि गौ माता घूमते पाई गई या उन्हें कुछ नुकसान पहुंचता है तो उस पंचायत के सरपंच, जनपद सदस्य,पंचायत सहायक, पंचायत सचिव सब जिम्मेदार होंगे। गाय को कोई नुकसान पहुंचा तो सरपंचों को धारा 151 में जेल भेज देंगे। सरपंच राज्यमंत्री के इसी बयान से खफा हैं। उन्होंने अपने मांग पत्र में टेटवाल का इस्तीफा भी मांगा है।
सरपंचों का मानदेय 15 हजार रुपए तक हो
सरपंच संघ की मुख्य मांग है कि सरपंचों का मानदेय 15 हजार रुपये तक किया जाए। दरअसल अभी सरपंचों को 4250 रुपए मानदेय मिल रहा है। संघ का कहना है कि ये मानदेय बढ़ती महंगाई के दौर में न के बराबर है। इसलिए इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए। बता दें कि साल 2023 तक सरपंचों को 1750 रुपए मिलते थे, जिसे जुलाई 2023 को तीन गुना तक बढ़ाकर 4250 रुपये कर दिया गया था।
मनरेगा का नया आदेश निरस्त करने की मांग
1 जुलाई 2024 को मनरेगा का नया आदेश जारी किया गया। सरपंच संघ इसे निरस्त करवाने की मांग कर रहा है। दरअसल इस आदेश के लागू होने के बाद बनने वाले वित्तीय प्रबंधन से सरपंच संघ नाखुश है। मनरेगा के तहत केंद्र से मिलने वाली राशि मजदूरी और मटेरियल के लिए खर्च होती थी।
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