स्टेट एनवायरोमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA) मध्यप्रदेश में लंबे समय से विवाद के आरोपों से घिरी हुई है। 450 पर्यावरणीय प्रोजेक्ट की मंजूरियों (environment clearance) को लेकर शुरू हुए विवाद में अब राज्य सरकारी ने हस्तक्षेप किया है। सरकार के निर्देश पर एप्को के चीफ साइंटिफिक अफसर आलोक नायक को सिया के प्रभारी अधिकारी पद से हटा दिया गया है। एप्को के प्रभारी कार्यपालन संचालक श्रीमन शुक्ला ने सोमवार को इसका आदेश जारी किया।
ये है विवाद
23 और 24 मई को सिया के प्रभारी सदस्य सचिव श्रीमन शुक्ला ने एक साथ 450 मामलों में पर्यावरणीय मंजूरी जारी कर दी। यह मंजूरियां डीम्ड अप्रूवल (Deemed Approval) प्रावधान के तहत दी गईं, जिसके अनुसार यदि 45 दिन के भीतर निर्णय नहीं होता तो स्वीकृति मान ली जाती है।
पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी की अनुमति से मंजूरियां जारी की गईं, लेकिन सिया के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान इससे सहमत नहीं थे। उनका कहना है कि सिया की बैठक के बिना ऐसे अहम निर्णय अवैध माने जाने चाहिए।
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नए प्रभारी मनोहर पाटिल बनाए गए
सिया के प्रभारी अधिकारी का जिम्मा अब एप्को के प्रशासनिक अफसर और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मनोहर पाटिल को दिया गया है। उधर, एप्को की कार्यकारी संचालक आर. उमा महेश्वरी 22 मई से लगातार छुट्टी पर हैं। उन्होंने तीसरी बार छुट्टी बढ़ाने का आवेदन दिया है।
उमामहेश्वरी की भूमिका सवालों में
सिया के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान लगातार उमामहेश्वरी की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने तीन महीनों में शासन को 22 पत्र भेजे, जिनमें आरोप है कि उमामहेश्वरी ने जानबूझकर सिया की बैठकें नहीं बुलाईं और ना ही जरूरी एजेंडा रखा। यह शिकायत अब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय तक पहुंच चुकी है।
सैकड़ों फाइलें कैसे अटकी रहीं
मार्च से मई 2025 के बीच सिया में नियमित बैठकें नहीं हुईं। 28 मार्च से 21 अप्रैल तक एक भी बैठक आयोजित नहीं हुई। सचिव स्तर पर सैकड़ों फाइलें लंबित पड़ी रहीं। जब बैठकें हुईं भी, तो उनमें अधूरा एजेंडा रखा गया। फिर अचानक 2 दिन में 450 मंजूरी फाइलों को क्लियर कर दिया गया।
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भ्रष्टाचार की टाइमलाइन
7 जनवरी 2025: केंद्र ने SEIAA संचालन के स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए।
9 जनवरी 2025: मप्र सरकार ने सचिवालय व्यवस्था और स्टाफ सपोर्ट आदेश जारी किए।
मार्च-अप्रैल: जानबूझकर बैठकें नहीं बुलाई गईं, कई फाइलें अटकी रहीं।
28 मार्च - 21 अप्रैल: कोई बैठक नहीं, सचिव स्तर पर सभी फाइलें रुकी रहीं।
अप्रैल - मई: सिर्फ तीन बैठकें हुईं, ज्यादातर मंजूरियां सदस्य सचिव ने अकेले दीं।
मई - जून 2025: घोटाले का खुलासा, जांच की मांग बढ़ी, रिपोर्ट शासन को भेजी गई।
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