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मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में महिला सुरक्षा को लेकर एक अहम कदम उठाया गया है। महिला सुरक्षा की स्पेशल डीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव (Special DG of Women Safety Pragya Richa Shrivastava) ने प्रदेश के सभी जिलों के एसपी को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि होटल या ढाबों में छापेमारी (Police Raids in Hotels) के दौरान किसी भी सेक्स वर्कर (Sex Worker) को आरोपी न बनाया जाए और न ही उन्हें गिरफ्तार किया जाए। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक ऐतिहासिक फैसले के आधार पर जारी किया गया है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला
स्पेशल डीजी द्वारा जारी किए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय का उल्लेख किया गया है, जिसमें कहा गया है कि स्वैच्छिक रूप से किया गया यौन कार्य (Voluntary Sex Work) अवैध नहीं है। सिर्फ वेश्यालय (Brothel) चलाना गैरकानूनी है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि सेक्स वर्कर को ना तो गिरफ्तार किया जाए और ना ही उन्हें परेशान किया जाए, क्योंकि यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जरूरी बातें
क्रमांक | मुख्य बिंदु |
---|---|
1 | स्वैच्छिक यौन संबंध (Voluntary Sexual Relations) गैरकानूनी नहीं हैं |
2 | केवल वेश्यालय का संचालन (Running a Brothel) ही कानूनन अपराध है |
3 | सेक्स वर्कर को परेशान (Harass) या गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए |
4 | हर महिला को सम्मानपूर्वक जीवन (Dignified Life) जीने का संवैधानिक हक है |
पुलिस की पुरानी कार्यशैली पर सवाल
राज्य के कई जिलों में देखने में आया है कि होटल और ढाबों पर छापे के दौरान सेक्स वर्कर को गिरफ्तार कर उन्हें अपराधी की तरह पेश किया जाता है। यह पुलिस की एक आम प्रक्रिया बन चुकी है, जबकि कानून और सुप्रीम कोर्ट दोनों इसे गलत मानते हैं। डीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने इस पर नाराजगी जताते हुए स्पष्ट किया कि यदि कोई महिला स्वेच्छा से यह कार्य कर रही है, तो उसे आरोपी नहीं बनाया जाना चाहिए।
क्या कहता है अनैतिक व्यापार अधिनियम?
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के तहत वेश्यालय चलाना अवैध है, लेकिन उसमें कार्यरत महिलाओं को सजा देना न्यायसंगत नहीं है, खासतौर पर जब वे अपनी मर्जी से इस पेशे में हों। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार, किसी महिला की सहमति से बने शारीरिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
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महिला सुरक्षा के नजरिए से बड़ा कदम
यह निर्देश महिला सशक्तिकरण और मानवाधिकारों की दृष्टि से एक बड़ा और सराहनीय कदम है। इससे न केवल सेक्स वर्कर को कानूनी संरक्षण मिलेगा बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली में भी सुधार आने की संभावना है।
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