BHOPAL : बढ़ते अपराध और कमजोर होती कानून व्यवस्था सबकी चिंता की वजह है। लेकिन जब व्यवस्था का भार संभालने वाले ही कम हो तो क्या करिएगा। एक ओर पुलिस महकमे में पद खाली पड़े हैं, थानों में काम करने वाले नहीं है तो दूसरी ओर पांच-पांच साल से तैयारी कर रहे युवा भर्ती का इंतजार कर रहे हैं। अब इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है, यह आप भी समझ सकते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं, पुलिस महकमे की रीड़ यानी की सब इंस्पेक्टर भर्ती की। साल 2017 के बाद से पुलिस मुख्यालय ने सब इंस्पेक्टर की भर्ती नहीं की है। इस वजह से 700 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। इसका बुरा असर प्रदेश के 950 पुलिस थानों सहित 150 प्रशिक्षण और सशस्त्र यूनिटों पर पड़ रहा है। उधर सरकार छह साल बाद भी सब इंस्पेक्टर भर्ती की जगह टालमटोल ही कर रही है।
सेवानिवृत्ति से हर साल खाली हो रहे पद
पुलिस थानों में अपराधों की पड़ताल से लेकर कानूनी दांवपेंचों की जिम्मेदारी सब इंस्पेक्टर यानी एसआई के जिम्मे होती है। लेकिन प्रदेश के पुलिस थानों में एसआई के 700 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। इसके साथ ही एसआई के समकक्ष सूबेदार और प्लाटून कमांडरों का भी टोटा है। इस वजह से थानों से लेकर पुलिस विभाग की अन्य इकाइयों में भी काम_काज प्रभावित हो रहा है। सरकार ने 6 साल पहले यानी की साल 2017 में एसआई भर्ती की थी। उसके बाद से भर्ती पर रोक लगी हुई है। तब से अब तक बड़ी संख्या में सब इंस्पेक्टर सेवानिवृत्त हो गए हैं जिस वजह से अब मुख्यालय से लेकर चौकी स्तर तक 700 से ज्यादा के पद खाली हैं।
एसआई बनने तैयार युवा, लेकिन भर्ती में रोड़ा
सब इंस्पेक्टर यानी एसआई भर्ती की वजह से जहां कानून व्यवस्था गड़बड़ा रही है। वहीं दूसरी ओर ऐसे हजारों युवाओं पर निराशा हावी हो रही है जो भर्ती का इंतजार सालों से कर रहे हैं। ये युवा साल 2017 के बाद से ही लगातार तैयारी कर रहे हैं। इनमें से कई युवा तो भर्ती में देरी से ओवरएज हो चुके हैं। यानी एसआई भर्ती के लिए निर्धारित आयुसीमा पार कर चुके हैं। वहीं हजारों युवा ओवरएज होने के कगार पर खड़े हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि यदि जल्द ही एसआई भर्ती नहीं हुई तो इन युवाओं का भविष्य अंधेरे में डूब जाएगा। ऐसे युवाओं का सरकार से सवाल है कि जब सैंकड़ों पद खाली पड़े हैं तो भर्ती क्यों नहीं की जा रही है। क्या सरकार को अपने युवाओं के भविष्य की परवाह नहीं है ?
ओवर एज होने से अवसर चूकने की चिंता
एसआई बनकर कानून व्यवस्था का भार संभालने तैयार ऐसे हजारों युवा सुबह से लेकर रात तक मेहनत कर रहे हैं। अब यह तैयारी उनकी दिनचर्या बन गई है। द सूत्र ने एसआई भर्ती का इंतजार कर रहे ऐसे युवाओं से बात कर उनकी परेशानी को समझने की कोशिश की है। प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के युवा सरकार से सिर्फ जल्द से जल्द एसआई भर्ती की आस लगाए हैं। क्योंकि उन्होंने सब इंस्पेक्टर बनना ही लक्ष्य बना रखा है। यदि ओवरएज हो गए तो उनके सपने टूट जाएंगे। आखिरी भर्ती यानी 2017 के समय जिन युवाओं की उम्र 26 साल थी वे छह साल बाद यानी 2024 में 32 की आयु पूरी कर चुके हैं। अनारक्षित वर्ग के युवाओं के लिए एसआई भर्ती में शामिल होने की अधिकत आयु सीमा 33 साल निर्धारित है।वहीं अन्य वर्गों के युवा जो पिछली भर्ती में चूक गए थे अब वे भी ओवरएज होने की स्थिति में हैं। यानी अगले कुछ महीने भर्ती नहीं आई तो ऐसे युवाओं के हाथ से अवसर छिन जाएगा।
एसआई कमी से जूझ रहे प्रदेश के थाने
एसआई भर्ती का जितना इंतजार इन युवाओं को है उतनी ही जरूरत पुलिस थानों और प्रशिक्षण इकाइयों को भी है। मप्र बेरोजगार युवा संघ के अध्यक्ष दिनेश सिंह चौहान का कहना है शायद ही प्रदेश का कोई थाना हो जहां स्वीकृत पद के बराबर एसआई तैनात हों। जबकि यह पद सबसे अहम है। इसी वजह से थानों में अपराधों में केस दर्ज होने से लेकर जांच और फिर कोर्ट में चालान पेश करने तक सभी कामों में देरी होती है। बात पिछली भर्तियों की करें तो पुलिस सब इंस्पेक्टर, सूबेदार और प्लाटून कमांडर के 700 से ज्यादा पद खाली हैं। वहीं विभागीय स्तर पर भी एसआई की नियमित भर्ती भी साल 2011 के बाद से नहीं हुई है। 2011 के बाद साल 2014 फिर साल 2016 और फिर आखिरी भर्ती 2017 में हुई है। यानी दो-दो साल के अंतराल से भर्ती की गईं। 2016 में 869 और साल 2017 में एसआई के 611 पदों पर ही भर्ती निकाली गई थी। तब से अब तक 700 पद खाली हो चुके हैं।
फैक्ट फाइल
भर्ती प्रक्रिया
साल | पदों पर भर्ती |
2014 | 720 |
2015 | 668 |
2016 | 863 |
2017 | 6111 |
प्रदेश के पुलिस थाने-950
पुलिस इकाई-प्रशिक्षण केंद्र-150
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