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मध्यप्रदेश सरकार ने नई ट्रांसफर पॉलिसी 2025 (MP New Transfer Policy 2025) जारी कर दी है, जिससे सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और प्रशासनिक जरूरतों के अनुसार सुव्यवस्थित किया जाएगा। नई नीति मुख्यमंत्री मोहन यादव (Mohan Yadav) की सरकार द्वारा लागू की गई है। इसमें प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर ट्रांसफर की व्यवस्था की गई है। इस नीति के तहत, मंत्री भी तबादले कर सकेंगे, जिससे ट्रांसफर प्रक्रिया को अधिक सुचारू रूप से लागू किया जा सके। सभी विभागों, विभागाध्यक्षों, संभागायुक्तों, कलेक्टरों और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि संशोधित तबादला नीति 2025 के तहत राज्य स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों पर प्रतिबंध लागू रहेगा। आइए अब आपको हम आसान भाषा में नई ट्रांसफर पॉलिसी के बारे में बताते हैं।
यहां से डाउनलोड करें ट्रांसफर पॉलिसी 2025
ट्रांसफर पॉलिसी 2025 के प्रमुख बिंदु
स्वैच्छिक और प्रशासनिक ट्रांसफर की व्यवस्था
- सरकारी अधिकारी और कर्मचारी एक जिले से दूसरे जिले में प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर ट्रांसफर के लिए पात्र होंगे।
- इस प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया जाएगा।
प्रतिबंधित अवधि में ट्रांसफर के अपवाद
- ट्रांसफर प्रतिबंधित अवधि (Ban Period) में केवल विशेष परिस्थितियों में ही संभव होगा।
निम्नलिखित परिस्थितियों में ट्रांसफर की अनुमति होगी:
- गंभीर बीमारी – जैसे कैंसर, लकवा, हृदयाघात या पक्षाघात आदि।
- न्यायालय के आदेश का पालन – यदि ट्रांसफर न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में किया जा रहा हो।
- आपराधिक मामलों की जांच – यदि किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ लोकायुक्त, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) या पुलिस द्वारा कोई आपराधिक मामला दर्ज किया गया हो, तो उसकी जांच प्रभावित न हो, इसके लिए ट्रांसफर किया जाएगा।
गंभीर अनियमितताओं पर ट्रांसफर
- यदि किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही हो या मप्र सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 का उल्लंघन पाया गया हो, तो उसे तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित किया जा सकता है।
- यदि किसी विभागीय जांच, भ्रष्टाचार, या गंभीर प्रशासनिक लापरवाही के कारण कार्यवाही प्रारंभ की जा चुकी हो, तो उस कर्मचारी का ट्रांसफर किया जाएगा।
प्रशासनिक कारणों से ट्रांसफर की सीमा
- प्रशासनिक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ट्रांसफर किया जाएगा, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी एक स्थान से ट्रांसफर के कारण वहाँ रिक्त पदों की संख्या अत्यधिक न हो जाए।
- ट्रांसफर के बाद किसी भी कार्यालय में रिक्ति प्रतिशत 50% से अधिक नहीं होना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर
- यदि "A" स्थान पर 3 पद हैं, और उनमें से 2 पहले से भरे हैं, तो रिक्त पदों का प्रतिशत 33% होगा।
- यदि "B" स्थान पर 2 पद हैं, और उनमें से 1 पद भरा हुआ है, तो रिक्त पदों का प्रतिशत 50% होगा।
- यदि "A" से "B" में ट्रांसफर किया जाता है, तो "A" की रिक्ति 66% हो जाएगी, जबकि "B" में शून्य हो जाएगी। ऐसे ट्रांसफर की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पदोन्नति, निलंबन और अन्य स्थितियों में ट्रांसफर
निलंबन, त्यागपत्र, सेवानिवृत्ति (सामान्य/अनिवार्य/स्वैच्छिक), पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति से वापसी, या शासकीय सेवक के निधन की स्थिति में ट्रांसफर किया जा सकेगा। लेकिन, ऐसी रिक्तियाँ जो पहले से ही किसी ट्रांसफर के कारण उत्पन्न हुई हों, उन्हें ट्रांसफर सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।
परियोजना पूर्ण होने पर
- किसी भी सरकारी परियोजना का कार्य पूरा होने के बाद या संबंधित पद के अन्यत्र स्थानांतरित होने की स्थिति में तबादला किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय से उच्च प्राथमिकता के मामलों में ट्रांसफर
- कुछ विशेष परिस्थितियों में मुख्यमंत्री कार्यालय से उच्च प्राथमिकता के ट्रांसफर आदेश जारी किए जा सकते हैं।
- यदि विभागीय सचिव को कोई ट्रांसफर पॉलिसी के अनुरूप नहीं लगता, तो वह इसे विभागीय मंत्री को भेज सकते हैं और मुख्यमंत्री कार्यालय से पुनः अनुमोदन प्राप्त कर सकते हैं।
नई ट्रांसफर पॉलिसी के लाभ
- सरकारी ट्रांसफर प्रणाली अधिक पारदर्शी होगी।
- प्रशासनिक आवश्यकताओं के अनुसार कर्मियों का प्रभावी उपयोग किया जा सकेगा।
- महत्वपूर्ण पदों पर लंबे समय तक एक ही अधिकारी के पदस्थ होने की समस्या समाप्त होगी।
- भ्रष्टाचार और पक्षपात की संभावना को कम किया जाएगा।
- गंभीर बीमारियों और व्यक्तिगत कारणों से कर्मचारियों को राहत मिलेगी।
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