दो IAS अफसरों से केंद्र नाराज, वाइल्ड लाइफ एक्ट में केस दर्ज करने के आदेश

पीएम मोदी की अध्यक्षता वाले नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी के आदेश को मध्य प्रदेश के अधिकारी एक महीने से दबाए बैठे हैं। स्थिति यह है कि ना तो अब तक अफसरों पर कार्रवाई की गई है और ना ही टाइगर रिजर्व के कॉरिडोर से अवैध निर्माण हटाए गए हैं।

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Sanjay Sharma
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MP two IAS officers Wild Life Act case register orders
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BHOPAL. मध्य प्रदेश के दो आईएएस अधिकारियों पर वाइल्ड लाइफ एक्ट में केस दर्ज होगा। अफसरों की लापरवाही पर केंद्र सरकार भी नाराज है। मामला टाइगर कॉरिडोर में अवैध निर्माण से जुड़ा हुआ है। नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड (National Wildlife Board) ने अपने आदेश में संजय दुबरी टाइगर रिजर्व के परसिली के काठ बंगला और सोन घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र में कमरे, शेड और दूसरे निर्माण भी तुरंत जमींदोज करने के निर्देश दिए हैं।
 
हैरानी की बात तो यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी के आदेश को मध्य प्रदेश के अधिकारी एक महीने से दबाए बैठे हैं। स्थिति यह है कि ना तो अब तक अफसरों पर कार्रवाई की गई है और ना ही संजय दुबरी और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कॉरिडोर से अवैध निर्माण हटाए गए हैं। इस मामले को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि मध्य प्रदेश सबसे अजब है, सबसे गजब है। कितनी चिंताजनक बात है कि अफसर पीएम मोदी की अगुआई वाले बोर्ड की सुनने को ही तैयार नहीं हैं।

ऐसे समझिए पूरा मामला

मध्य प्रदेश में सात टाइगर रिजर्व हैं। इनमें से एक संजय दुबरी टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व एक कॉरिडोर से आपस में जुड़ते हैं। दो टाइगर रिजर्वों की वजह से यहां पर्यटकों का आना-जाना भी खूब होता है। लिहाजा, मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम ने परसिली में रिजॉर्ट बनाया है। इसी रिजॉर्ट में अतिरिक्त निर्माण के लिए बीते साल पर्यटन विकास निगम द्वारा अनुमति के लिए नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को प्रतिवेदन भेजा गया था। इसमें परसिली के काठ बंगला में किचन शेड, टॉयलेट और कमरों का निर्माण कराया जाना था। इसी के साथ सोन घड़ियाल सेंचुरी में भी कुछ निर्माण प्रस्तावित किए गए थे। इस मामले में जब नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड के अधिकारी टाइगर रिजर्व के कॉरिडोर क्षेत्र में परीक्षण करने पहुंचे तो निर्माण पूरा होने की स्थिति में पहुंच चुका था। यानी पर्यटन विकास निगम ने केवल औपचारिता के लिए बोर्ड को चिट्ठी भेजी थी, जबकि निर्माण अनुमति मिलने से पहले ही कराया जा चुका था।

कारस्तानी ऐसी कि केंद्र के अफसर भी चौंके

यह देखकर केंद्र के अधिकारी भी चौंक गए। मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम की इस मनमानी पर नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने गंभीरता दिखाई। टाइगर रिजर्व की सुरक्षा में सेंधमारी करने वाले पर्यटन विकास निगम की कारस्तानी की जांच के लिए केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में स्टैंडिंग कमेटी का गठन कर बैठक बुलाई गई। इसी कमेटी ने पर्यटन विकास निगम की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए मध्य प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया। साथ ही जिम्मेदारी तय करते हुए सीधी के तत्कालीन कलेक्टर साकेत मालवीय और तत्कालीन पर्यटन सचिव शिव शेखर शुक्ला पर कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए।

इस तरह फाइलों में दबाया आदेश

अब हद यह रही कि नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने मध्यप्रदेश सरकार को जो निर्देश जारी किए थे, उन्हें अफसरों ने दबा दिया। ना तो सीधी के तत्कालीन कलेक्टर पर कार्रवाई हुई और ना ही चार साल से पर्यटन विकास निगम का काम देख रहे शिव शेखर शुक्ला पर एक्शन लिया गया। महीने भर बाद वन मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता वाली स्टैंडिंग कमेटी की अनुशंसा की अनदेखी होने पर वाइल्ड लाइफ‍ एक्टविस्ट अजय दुबे ने 3 सितंबर 2024 को कदम उठाया। उन्होंने प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा और वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव से शिकायत की। साथ ही नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड और स्टैंडिंग कमेटी की अनुशंसा के पत्र भी भेजे, लेकिन अफसरों ने अपने लोगों को बचाने के लिए इन्हें फाइलों में दबा दिया।

आदेश, निर्देश सब हवा कर दिए

प्रदेश के दो वरिष्ठ अफसरों की लापरवाही और स्वेच्छाचारिता की वजह से संजय दुबरी और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के साथ यहां फैली सोन घड़ियाल सेंचुरी की सुरक्षा को खतरा पहुंचने का अंदेशा है। यही नहीं वन्यजीव अनाधिकृत और बिना परीक्षण किए गए निर्माण से विचलित हो सकते हैं। इसके बावजूद पर्यटन से मुनाफा कमाने के लालच में नियमों की अनदेखी की गई। केंद्रीय वन्यप्राणी सुरक्षा अधिनियम को तोड़ा गया। इस मनमर्जी को पीएम मोदी की अध्यक्षता वाले नेशनल बोर्ड ने पकड़ा। स्टैंडिंग कमेटी बनाकर पड़ताल कराते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की। मध्य प्रदेश के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एल कृष्णमूर्ति ने भी इस अनुशंसा के हवाले से कार्रवाई के निर्देश जारी किए, लेकिन हुआ कुछ नहीं।

ये हैं जिम्मेदार

शिव शेखर शुक्ला, पर्यटन सचिव
साकेत मालवीय, पूर्व कलेक्टर सीधी
वीरा राणा, मुख्य सचिव मप्र
असीम श्रीवास्तव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक

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