BHOPAL. मध्य प्रदेश के उमरिया में अदालत ने फर्जी मार्कशीट (fake mark sheet) से नौकरी कर रहे प्रभारी प्राचार्य को 5 साल की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने दोषी पर जुर्माना लगाया है। फर्जी अंकसूची से नौकरी करने के मामले में जिला अपर सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार चौधरी (Judge Sudhir Kumar Chaudhary) की कोर्ट ने प्रभारी प्राचार्य अखिलेश्वर नाथ द्विवेदी को धारा 420, 467, 468 और 471 में दोषी पाते हुए सजा सुनाई है।
मामले में 9 साल बाद आए फैसले में अदालत ने अलग- अलग धारा में 5-5 साल की सजा सुनाई है। साथ ही 3-3 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है। जुर्माना नहीं भरने पर 6-6 महीने के सश्रम कारावास का भी आदेश दिया है। साथ ही अब तक शासन द्वारा दिए गए वेतन की वसूली के लिए आदेश जारी किया है। जांच में अखिलेश्वर नाथ की बीएससी, बीएड और एमए की डिग्रियां फर्जी पाई गईं है।
जाने पूरा मामला
पूरा मामला उमरिया के ग्राम चिल्हारी निवासी अखिलेश्वर नाथ द्विवेदी पुत्र संपत प्रसाद द्विवेदी का है। अखिलेश्वर नाथ की शिक्षा विभाग में वर्ग-1 के पद पर नियुक्ति जिला पंचायत शहडोल द्वारा 1998 में हुई थी। प्रहली पदस्थापना हायर सेकेंडरी मानपुर में अर्थशास्त्र के टीचर के पद पर हुई। उसके बाद 1998 में उमरिया जिला बनने के बाद उन्हें शक हुआ तो अपना ट्रांसफर अमरपुर हायर सेकेंडरी स्कूल करवा लिया। इसके बाद वह स्थानांतरण कराकर कटनी के सिनगौड़ी हायर सेकेंडरी स्कूल पहुंच गए। इस दौरान उन्होंने पदोन्नति का भी लाभ लिया और प्रभारी प्राचार्य बन गए। इसके बाद प्रभारी प्राचार्य की डिग्री फर्जी होने और इसके आधार पर पदोन्नति का लाभ लेने का मामला उठा।
कलेक्टर, DEO और CEO से हुई शिकायत
इतनी योग्यता और 2 साल में बीएससी, बीएड और एमए की डिग्री देख कर फर्जीवाड़े का शक जताते हुए ग्राम पलझा निवासी गोविंद प्रसाद तिवारी ने 31 दिसंबर 2012 को उमरिया कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, जिला पंचायत सीईओ से लिखित शिकायत की।
2 साल में बीएससी, बीएड और एमए की डिग्री
शिकायत में कहा कि साल 1994 में बीएससी की डिग्री झांसी बुंदेलखंड से प्राप्त की है। 1995 में बीएड की डिग्री बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से प्राप्त की प्राप्त की है। इतना ही नहीं दिसंबर 1996 में उस्मानिया हैदराबाद से प्रथम श्रेणी में एमए अर्थशास्त्र उत्तीर्ण की डिग्री ली है।
मामले में ईओडब्ल्यू ने लिया था एक्शन
योग्यता और डिग्री के मामले में शिकायत के मामले में जिला स्तर पर कुछ नहीं हुआ। तो आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो भोपाल में पत्र लिखकर शिकायत की गई। जिसके बाद तत्कालीन एसपी उमरिया के पास ईओडब्ल्यू से पत्र आया। जिसके बाद मामले में इंदवार थाना पुलिस को जांच के लिए निर्देश दिए गए।
जांच के बाद पुलिस ने दर्ज किया केस
जांच में अखिलेश्वर नाथ द्विवेदी की सारी योग्यता और डिग्री फर्जी पाई गई, जिसके बाद इंदवार थाने में तत्कालीन थाना प्रभारी देव करण डेहरिया ने 28 नवंबर 2013 को आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की गई। इसके बाद मामले में 20 अक्टूबर 2015 को अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में चालान पेश किया गया। अब मामले में अदालत ने 9 साल बाद प्रभारी प्राचार्य को दोषी मानते हुए सजा सुनाई है।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक