मध्य प्रदेश विधानसभा में अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 43 साल बाद सेवा भर्ती नियमों में बदलाव किया जाएगा। सेवा नियम 1981 में बनाए गए थे, जिसके बाद कोई बदलाव नहीं किया गया। चूंकि अगले साल ई-विधान परियोजना शुरू हो जाएगी और सारा काम ऑनलाइन होगा, इसलिए नई भर्तियां भी की जाएंगी। कुछ अन्य पद भी खाली हैं, जिन्हें भरने की तैयारी की जा रही है। इन सबको ध्यान में रखते हुए भर्ती नियमों में संशोधन प्रस्तावित किया गया है। इसके लिए विधानसभा सचिव अरविंद शर्मा की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है, जो दूसरे राज्यों के सेवा भर्ती नियमों का अध्ययन कर रिपोर्ट देगी।
भर्ती नियमों में संशोधन के निर्देश
समय के साथ विधानसभा का काम भी बढ़ा है। कई नए पद सृजित किए गए और मनमर्जी से भर्तियां की गईं। इसको लेकर शिकायतें और जांच भी हुईं। जस्टिस सचिंद्र द्विवेदी ने पिछले दरवाजे से नियुक्तियों को लेकर जांच की और रिपोर्ट के आधार पर कई नियुक्तियां रद्द करनी पड़ीं और पुलिस में मामला भी दर्ज हुआ। पिछले साल 20-22 तृतीय श्रेणी के पदों पर नियुक्तियों को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद उसे रद्द कर दिया गया था। इन सभी स्थितियों को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने भर्ती नियमों में संशोधन के निर्देश दिए थे।
भर्ती प्रक्रिया को लेकर होंगी सिफारिशें
विधानसभा के अतिरिक्त सचिव वीरेंद्र कुमार ने भी गुजरात विधानसभा की प्रक्रिया का अध्ययन कर रिपोर्ट दी थी, लेकिन अब ई-विधान परियोजना पर काम शुरू हो गया है, इसलिए नए नियम तैयार किए जाएंगे। इसके लिए विधानसभा सचिव अरविंद शर्मा के समन्वय में एक समिति बनाई गई है। इसमें वीरेंद्र कुमार, वीडी सिंह और रमेश महाजन को शामिल किया गया है। समिति नए पदों के साथ ही आने वाले समय की आवश्यकता का भी आकलन करेगी। भर्ती प्रक्रिया को लेकर सिफारिशें भी करेगी। ऑनलाइन भर्ती के लिए कर्मचारी चयन बोर्ड या एमपी ऑनलाइन की सेवा भी ली जा सकती है।
समिति करेगी पहलुओं का अध्ययन
विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि सेवा नियम काफी पुराने हो चुके हैं। नए पद भी स्वीकृत हुए हैं लेकिन इनका प्रविधान सेवा भर्ती नियम में नहीं है। शिकायतें भी होती हैं। इसे देखते हुए समिति बनाई है, जो सभी पहलुओं का अध्ययन करके रिपोर्ट देगी।
अधिकारियों और कर्मचारियों के कई पद खाली
विधानसभा सचिवालय में अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक के कई पद खाली हैं। प्रभार प्रणाली से काम चलाया जा रहा है। सचिव का एक पद खाली है। इसी तरह अपर सचिव का एक पद खाली है। एक पद प्रतिनियुक्ति से भरा गया है और एक प्रभार पर है। यही स्थिति उप सचिव की भी है। समिति सहायक, स्टेनो, टाइपिस्ट समेत अन्य पद खाली हैं।
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