मध्यप्रदेश में महिलाएं हथियार रखने की शौकीन, सूबे में 4100 बंदूकबाज महिलाएं

यूं तो देश में पुरुषों के मुकाबले सिर्फ एक फीसदी महिलाओं को सुरक्षा के लिए हथियारों की जरूरत महसूस होती है। लाइसेंसी हथियारों के शौक में मध्यप्रदेश की महिलाएं देश में तीसरे पायदान पर हैं। 

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Pratibha ranaa
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रविकांत दीक्षित@ भोपाल

पितृसत्तात्मक समाज में महिलाएं अब पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। वे लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं। देश की सरहदों की रक्षा कर रही हैं। अंतरिक्ष में पहुंच रही हैं। एवरेस्ट फतह कर रही हैं। खेती में भी पीछे नहीं हैं। कुल ​मिलाकर आधी आबादी अब चूल्हा चौका तक ही सीमित नहीं है। एक ताजी रिपोर्ट से पता चलता है कि बड़ी तादाद में महिलाएं अपनी सुरक्षा और शौक के लिए हथियार भी रखने लगी हैं। 

यूं तो देश में पुरुषों के मुकाबले सिर्फ एक फीसदी महिलाओं को सुरक्षा के लिए हथियारों की जरूरत महसूस होती है। लाइसेंसी हथियारों के शौक में मध्यप्रदेश की महिलाएं देश में तीसरे पायदान पर हैं। मध्यप्रदेश में कुल 2 लाख 94 हजार 95 लाइसेंसी हथियार दर्ज हैं। इनमें से 4190 लाइसेंस महिलाओं के नाम पर हैं, हालांकि कुल लाइसेंसी यहथियारों के मुकाबले महिलाओं का आंकड़ा कम भले है, लेकिन यह लगातार बढ़ रहा है। ( Women weapons in patriarchal society  )

उत्तरप्रदेश में 20 हजार महिलाओं के पास हथियार 

देश में उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 20 हजार महिलाओं के पास लाइसेंसी हथियार हैं। दूसरे नंबर पर पंजाब है, जहां 4 हजार 700 महिलाओं लाइसेंसी हथियार रखती हैं। चौथे पायदान पर हरियाणा है। यहां 1 हजार 404 महिलाएं हथियार रखती हैं। वहीं, हिमाचल में 1 हजार 700, दिल्ली में 854 और चंडीगढ़ में 444 महिलाओं के पास लाइसेंसी हथियार हैं। 

दिखावा नहीं, अब बचाव के लिए ​हो रहे जतन 

विशेषज्ञों कहते हैं कि परिदृश्य बदल रहा है। अब लोग दिखाने वाला हथियार रखने की बजाय छोटे हथियार को तवज्जो देते हैं। जो बचाव के लिए हो और उसे रखना भी आसान हो। खेतों में मकान और बॉर्डर के नजदीक अब भी लोग बंदूक खरीदते हैं। 90 फीसदी लोगों की पसंद अब पिस्टल है।

23 लाख से ज्यादा महिलाओं के पास खेत

अब बात महिलाओं की हो रही है तो इसी से जुड़ी एक खबर और है। क्या है कि मध्यप्रदेश में महिलाओं का खेती के प्रति भी रुझान बढ़ा है। कृषि जनगणना के अनुसार, महिलाओं के नाम वाले खेतों की संख्या में 170.25 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं महिलाओं के खेती के क्षेत्रफल में 113.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्ष 2010-11 में जहां महिलाएं 12.04 लाख हैक्टेयर रकबे पर खेती कर रही थीं, 2021-22 में यह रकबा बढ़कर 25.67 लाख हैक्टेयर हो गया है। पहले महिलाओं के पास खेतों की संख्या 8.54 लाख थी, जो अब 23.09 लाख हो गई है।

 

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