MPHIDB Housing Project Against Rules In Madhya Pradesh
संजय शर्मा, BHOPAL. नियमों की अनदेखी करने वाले MPHIDB को भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (RERA) की भी परवाह नहीं है। अधिकारियों की मनमानी की वजह से बोर्ड 500 करोड़ के घाटे में है। बिना मार्केट डिमांड के सर्वे के बनाए गए प्रोजेक्ट सालों बाद भी नहीं बेचे जा सके हैं। अब वे क्षतिग्रस्त हो रहे हैं और घाटा सीधे हाउसिंग बोर्ड के हिस्से में है। MPHIDB ने इससे भी सबक नहीं लिया और अब फिर 4 बड़े प्रोजेक्ट शुरू कर रहा है। इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिए हैं। अधिकारियों ने बोर्ड द्वारा तय गाइडलाइन जिसमें स्पष्ट कहा गया है बिना मार्केट सर्वे और बुकिंग कोई नया प्रोजेक्ट लॉन्च नहीं किया जाएगा। इसकी अनदेखी की और बिना RERA रजिस्ट्रेशन नए प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिए हैं।
कैसे नियमों को दरकिनार कर रहा MPHIDB
सेल्फ फाइनेन्सड हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के कारण बोर्ड 500 करोड़ का नेगेटिव कैश फ्लो झेल रहा है। इसका सीधा मतलब है कि अपने प्रोजेक्ट में घाटा उठा रहा है। यानी बोर्ड जो प्रोजेक्ट बना रहा है उसमें बोर्ड को लागत भी वापस नहीं मिल रही। इतने घाटे के बावजूद बोर्ड को धड़ाधड़ नए प्रोजेक्ट लॉन्च करने की जल्दी क्यों पड़ी है ? बोर्ड ने पिछले साल अयोध्यानगर क्षेत्र के लिए दो हाउसिंग प्रोजेक्ट तैयार किए हैं। पहला प्रोजेक्ट सुरम्य परिसर के नाम से है जो बायपास रोड पर प्रस्तावित है। इसमें 240 अपार्टमेंट बनाए जाने हैं। इसका टेंडर भी जारी किया जा चुका है और वेबसाइट housing.com पर बुकिंग का विज्ञापन भी शुरू कर दिया गया है। जबकि RERA से अनुमति 2 महीने बाद हासिल की गई। यानी सीधे-सीधे RERA पंजीयन की बाध्यता की अनदेखी की गई है।
RERA पंजीयन बिना बुकिंग के विज्ञापन किए जारी
दूसरा मामला अयोध्या बायपास पर प्रस्तावित लव कुश हाइट्स का है। 80 अपार्टमेंट वाले प्रस्तावित प्रोजेक्ट की निर्माण अनुमति 20 दिन पहले ही मिली है और RERA रजिस्ट्रेशन अब भी नहीं मिला। जबकि टेंडर जनवरी महीने में ही जारी कर काम भी शुरू कर दिया गया है। सबसे अहम बात तो ये है कि इस प्रस्तावित बिल्डिंग में अपार्टमेंट बुकिंग के लिए विज्ञापन वेबसाइट पर पिछले साल अक्टूबर से ही चलाया जा रहा है। यानी इस बिल्डिंग का प्रोजेक्ट तैयार करने से लेकर निर्माण शुरू कराने तक MPHIDB नियमों को तोड़ता रहा।
घाटा रोकने बने नियम को भी किया नजरअंदाज
बोर्ड अपनी कमाई से चलता है और हाउसिंग प्रोजेक्ट के मिलने वाला फंड ही उसकी आय का जरिया है। पहले हुए नुकसान को देखते हुए साल 2019 में बोर्ड ने प्रोजेक्ट लाने से पहले मार्केट का आकलन करने की बाध्यता तय की थी। ये भी गाइडलाइन बनाई गई कि पंजीयन और निर्माण अनुमति के आधार पर ही नया कोई प्रोजेक्ट बनाया जाएगा। लेकिन पिछले एक साल से बोर्ड के अधिकारी 2019 की गाइडलाइन की अनदेखी कर करोड़ों की लागत वाले नए प्रोजेक्ट बना रहे हैं। इसमें नुकसान होने की आशंका RERA पंजीयन का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा। जबकि रेरा अधिनियम में स्पष्ट है कि हॉउसिंग और कमर्शियल प्रोजेक्ट को लॉन्च करने या बुकिंग के विज्ञापन से पहले रेरा में रजिस्ट्रेशन जरूरी है। इसके बिना प्रोजेक्ट शुरू करने और विज्ञापन जारी करने पर जुर्माना भी लग सकता है।
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केवल बड़ी लागत वाले प्रोजेक्ट पर बोर्ड का जोर
प्रदेशभर में अलग-अलग प्रोजेक्ट में बोर्ड की 500 करोड़ से ज्यादा की सम्पत्ति जाम पड़ी है। जल्दबाजी में शुरू किए गए प्रोजेक्ट में स्थानीय आकलन किए बिना बनाए गए आवास और दुकानें बिक नहीं रहीं। वहीं नए प्रोजेक्ट में आर्किटेक्ट एजेंसी और टेंडर लेने में कंस्ट्रशन कंपनी से मिलने वाला कमीशन अधिकारियों को मजबूर कर देता है। यही वजह है कि बोर्ड के अधिकारियों का फोकस नए प्रोजेक्ट पर रहता है। जबकि पुराने प्रोजेक्ट से होने वाले घाटे की परवाह जिम्मेदारों को कतई नहीं है।
मध्य प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास बोर्ड हाउसिंग प्रोजेक्ट | मध्यप्रदेश में नियमों के खिलाफ हाउसिंग प्रोजेक्ट | मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास बोर्ड