BHOPAL. एक बार फिर मप्र हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेव्लपमेंट बोर्ड नियमों को तोड़कर निगरानी और क्वालिटी कंट्रोल का काम चहेती कंपनी को दे दिया है। MPHIDB यानी हाउसिंग बोर्ड ने न केवल फर्म की खामियों को नजरअंदाज किया बल्कि अपने ही अफसरों की आपत्तियों को भी दरकिनार कर दिया है। जबकि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था। बोर्ड के अफसर पहले भी टीटीनगर में प्रस्तावित बिजनेस पार्क का ठेका इंदौर की कंपनी को दिलाने में अपनी ही गाइड लाइन को तोड़ चुके हैं।
बार-बार नियमों की अनदेखी
276 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति वाले प्रोजेक्ट को लेकर बार-बार नियमों की अनदेखी अफसरों की नीयत पर सवाल खड़े कर रही है। बिजनेस पार्क के लिए निर्माण एजेंसी के चयन के बाद से ही बोर्ड एसक्युसी का ठेका चहेती फर्म को देने की जोड़-तोड़ में जुटी थी। `द सूत्र` ने हाउसिंग बोर्ड की नीयत और इस कारस्तानी को लेकर पहले भी खबर प्रकाशित कर खुलासा किया था। बताया जाता है आज बोर्ड ने अपनी चहेती फर्म को ठेका देने के लिए टैक्नीकल बिड भी खोल दी है। सूत्रों के अनुसार फर्म मेहता एसोसिएट्स को यह काम देने टेंडर फाइल को कमिश्नर को भेजने की तैयारी भी कर ली गई है।
अफसरों ने फर्म के लिए आसान की टेंडर बिड
नियमों को तोड़ने में महारत हासिल कर चुकी प्रदेश की हाउसिंग एजेंसी एमपीएचआईडीबी की इस फेहरिस्त में एक और कारनामा जोड़ लिया है। बिजनेस पार्क के निर्माण की निगरानी और क्वालिटी कंट्रोल के टेंडर को लेकर एमपीएचआईडीबी के ऑफिस में कई दिनों से अंडर टेबल काम चल रहा था। बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी एसक्युसी का काम अपनी चहेती फर्म मेहता एसोसिएट्स को देने का मन पहले ही बना चुके थे। इसी वजह से टेंडर की शर्तों को फर्म के हिसाब से डिजाइन किया गया ताकि प्रतिस्पर्धा में कोई दूसरी कंपनी इस फर्म के आगे टिक न पाए। हांलाकि अफसरों की चहेती फर्म टेंडर के लिए जरूरी कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र को लेकर अटक गई।
पेश नहीं किया तारीख वाला कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र
बिजनेस पार्क निर्माण के लिए एसक्युसी कंसल्टेंट फर्म के चयन के लिए एमपीएचआईडीबी ने टेंडर जारी किया था। इसमें दूसरी कंपनियों के साथ अफसरों की चहेती फर्म मेहता एसोसिएट्स ने भी हिस्सा लिया है। टैक्नीकल बिड में मेहता एसोसिएट्स द्वारा जो वर्क कम्पलीटेशन सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया गया उसमें काम पूरा करने की तारीख नहीं थी।
इस पर बोर्ड के कार्यपालन यंत्री टीएस तिर्की ने 20 जून को हुई बैठक में फर्म से कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र पर पूर्णता तारीख दर्ज न होने पर स्पष्टीकरण मांगा। इसके लिए फर्म को ईमेल के जरिए पत्र भेजा गया था। लेकिन मेहता एसोसिएट्स पेश किए गए प्रमाण पत्र में कार्य पूर्णता की दिनांक दर्ज नहीं करा सका। बस मेल द्वारा भेजे गए पत्र एमएएलएलपी/बीडी/2024/38 दिनांक 21-6-2024 द्वारा प्रमाण पत्र जारी करने की तारीख को ही पूर्णता दिनांक मानने की सफाई दी गई।
उपायुक्त कार्यपालन यंत्री ने माना अपात्र
कुछ बड़े अफसरों की चहेती कंपनी मेहता एसोसिएट्स द्वारा कार्य पूर्णता की तारीख प्रस्तुत न करने पर 24 जून को ही कार्यपालन यंत्री टीएस तिर्की और वृत्त 1 के उपायुक्त एनके वर्मा ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। तिर्की ने उपायुक्त को भेजे पत्र में बैठक में फर्म से चाहे गए स्पष्टीकरण और भेजे गए मेल का उल्लेख भी स्पष्ट तौर पर किया है। इसी पत्र में कार्यपालन यंत्री ने फर्म को अपात्र मानने की टीप भी दर्ज की है। उन्होंने वृत्त-1 के उपायुक्त को पूरा प्रकरण भी भेजा था। वहीं उपायुक्त एनके वर्मा ने भी तकनीकी बिड में चर्चा के लिए 20 जून को हुई टेक्नीकल कमेटी की बैठक में मेहता एसोसिएट्स के कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र पर कार्य पूर्णता की तारीख दर्ज न होने पर अपर आयुक्त-2 को पत्र भेजा था। इसमें उपायुक्त वर्मा ने स्पष्टीकरण भेजने के बाद भी 22 जून की शाम 5 बजे तक फर्म द्वारा तारीख के साथ प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराने पर इसे मान्य न करने का उल्लेख किया था।
अब आगे क्या होगा
हाउसिंग बोर्ड सूत्रों के अनुसार अफसरों की कृपा पात्र फर्म मेहता एसोसिएट्स को एसक्युसी कंसल्टेंट बनाने की तैयारी पहले ही की जा चुकी है। इसी वजह से आमतौर पर छोटी-छोटी कमियां होने पर कंपनियों को टेंडर से बाहर करने वाले अफसर तकनीकी खामी को अनदेखा कर रहे हैं। यदि किसी और फर्म का मामला होता तो टेंडर खुलने के साथी कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र में तारीख न होने पर उसे अपात्र मान लिया जाता। जब बोर्ड के दो-दो तकनीकी अधिकारी यानी कार्यपालन यंत्री टीएस तिर्की और उपायुक्त एनके वर्मा फर्म को अपात्र बता चुके हैं फिर भी उसे टेंडर में रखा गया है। यही नहीं कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र कंसल्टेंसी के काम के लिए अहम दस्तावेज होता है। बावजूद अफसरों के इशारे पर अब टेंडर समिति में चहेती फर्म को फिट साबित कराने की तैयारी हो गई है। जल्द ही टेंडर को बोर्ड कमिश्नर के पास भेजकर मेहता एसोसिएट्स को कंसल्टेंट चुन लिया जाएगा।
अफसरों ने पहले भी दिखाई थी बाजीगरी
MPHIDB ने बिजनेस पार्क के लिए अक्टूबर 2023 में टेंडर जारी किया था। तब भी अफसरों ने एक कंपनी को काम देने बाजीगरी दिखाई थी। टेंडर की टेक्निकल बिड में बंसल कंस्ट्रक्शन, अपेक्स स्ट्रक्चर, SKG इंफ्राटेक, VVC रियल इंफ्रा, लक्ष्मी सिविल इंजीनियरिंग और LCC प्रोजेक्ट्स कंपनियां शॉर्टलिस्ट की गई थीं। वहीं फाईनेंशियल बिड में निर्माण लागत पर सबसे कम परसेंट रेट पर अपेक्स कंपनी का चयन किया गया। इस हाई वैल्यू प्रोजेक्ट की मार्केट डिमांड और बेचने की योजना न होने पर पीएस ने रोक दिया था। तब UDHD पीएस की आपत्ति के बाद बोर्ड के अफसरों ने मनमानी कर तीन माह बाद 14 मार्च को बोर्ड मीटिंग बुलाकर प्रक्रिया आगे बढ़ा दी थी। बोर्ड के अफसरों ने इसके लिए पीएस से दूसरी बार जानकारी छिपाई थी जिसके चलते टेंडर को स्वीकृति मिली थी।
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