मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) में 13 फीसदी होल्ड रिजल्ट को लेकर लगी याचिका पर 1 जुलाई को सुनवाई नहीं होगी। इस मामले में 30 मई को सुनवाई की तारीख लगी थी, लेकिन नंबर नहीं आने के बाद इसे 1 जुलाई की संभावित तारीख दे दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अंशुमन सिंह ने द सूत्र को बताया कि यह संभावित तारीख थी, अभी नई तारीख नहीं आई है, लेकिन उम्मीद है कि एक सप्ताह में यह सुनवाई पर आ जाएगी।
उम्मीदवारों को लंबे समय से इसका इंतजार
उम्मीदवारों को लंबे समय से इस 13 फीसदी होल्ड रिजल्ट को लेकर इंतजार है। इसमें ओबीसी और अनारक्षित दोनों वर्ग के उम्मीदवार है, जो मप्र शासन के 87-13 फीसदी फार्मूले में उलझे हुए हैं। पीएससी साल 2019, 2020, 2021 तीन राज्य सेवा परीक्षा की अंतिम भर्ती कर चुकी है, लेकिन केवल 87 फीसदी पदों पर ही।
इसके साथ ही अन्य परीक्षाओं की भर्ती में भी 13 फीसदी पद होल्ड है। इसी की देखा देखी ईएसबी में भी जनवरी 2023 से यह फार्मूला लाग हुआ और वहां भी 13 फीसदी पद होल्ड पर है। उम्मीदवार उनका रिजल्ट जानना चाहते हैं, वहीं उनकी मांग है कि जब हाईकोर्ट ने रिजल्ट जारी करने पर रोक ही नहीं लगाई, ना कॉपियां देखने पर रोक है तो फिर आयोग और शासन ने यह क्यों रोक दिया?
हाईकोर्ट ने विविध आदेशों में केवल यही कहा है कि ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी से ज्यादा नहीं दे सकते हैं। लेकिन इसके बदले में शासन ने 87 फीसदी फार्मूला लाकर 13 फीसदी का रिजल्ट ही रोक डाला।
शासन हाईकोर्ट में बोल चुका है हम सुलझा रहे है मामला
जबलपुर हाईकोर्ट की डिवीजल बैंच जस्टिस शील नागू और जस्टिस अमरनाथ की बैंच में ओबीसी मामलों की सुनवाई के दौरान 3 मई 2023 को राज्य शासन से आश्वासन दिया गया कि राज्य इस मुद्दे को हल करने पर विचार कर रहा है और इन मामलों को 1 जुलाई से शुरू होने वाले सप्ताह में उठाया जाना चाहिए।
यह फार्मूला PSC में सितंबर 2022 से लागू
मप्र शासन ने सबसे पहले 87-13 का फार्मूला सितंबर 2022 में मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की परीक्षाओं में लागू किया, क्योंकि यहां रिजल्ट लंबे समय से रूक रहे थे। यह फार्मूला सबसे पहले राज्य सेवा परीक्षआ 2019 पर लागू हुआ, इसके बाद सभी के रिजल्ट इसी से निकले।
इसके चलते केवल राज्य सेवा परीक्षा 2019, 2020, 2021 के अंतिम रिजल्ट आने के बाद भी 13 फीसदी कैटेगरी में 171 पद और 600 उम्मीदवार रुके हैं और साथ ही 33 हजार से ज्यादा उम्मीदवारों को अपने अंक तक नहीं पता और ना ही कॉपियां देख पा रहे हैं।
ओबीसी आरक्षण पर हो क्या रहा है
साल 2019 में मप्र में ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी, एसटी को 20 और एससी को 16 फीसदी और 50 फीसदी अनारक्षित का था।
साल 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने ओबीसी का आरक्षण जो 14 फीसदी था उसे 27 फीसदी कर दिया, इस तरह कुल आरक्षण 50 फीसदी की लिमिट को क्रास कर 63 फीसदी हो गया, अनारक्षित के लिए 37 फीसदी पद रहे।
इसे लेकर कोर्ट में याचिकाएं लग गई। कोर्ट ने 20 जनवरी 2020 को आदेश देते हुए 27 फीसदी आरक्षण पर रोक लगा दी। साथ ही कहा कि ओबीसी को अधिकतम आरक्षण 14 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता।
इसके बाद मप्र सरकार 27 फीसदी आरक्षण देने की मंशा के साथ सुप्रीम कोर्ट गई, और सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हो गई। हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से इन ट्रांसफर याचिकाओं पर स्थिति साफ नहीं होती, तब तक हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं होगी। इस मामले में 80 से ज्यादा याचिकाएं दायर है।
इस तरह शासन ने इस विवाद में निकाला 87-13 फीसदी का फार्मूला
पीएससी हो या ईएसबी इसलिए अटक गई है क्योंकि पदों का बंटवारा मप्र शासन की आरक्षण नीति के तहत ही होता है। इसी आधार पर परीक्षा नोटिफिकेशन जारी होते हैं और इसमें साफ लिखा होता है कि मप्र की आरक्षण नीति के तहत पदों का बंटवारा है।
अब मप्र शासन ने पद 27 फीसदी आरक्षण ओबीसी को दिया हुआ है, लेकिन हाईकोर्ट ने 14 फीसदी से ज्यादा पर रोक लगाई है। इस विवाद से बचने के लिए और भर्ती लंबे समय के लिए नहीं रूके इसके लिए मप्र शासन ने यह बीचका रास्ता सितंबर 2022 में निकाला और कहा कि 14 फीसदी ओबीसी, 20 फीसदी एसटी और 16 फीसदी एससी आरक्षण के लिए 50 फीसदी पद आरक्षित वर्ग को, 37 फीसदी पद अनारक्षित को देते हैं।
बाकी 13 फीसदी में अभी ओबीसी और अनारक्षित दोनों को रख लेते हैं, जिसके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट से अंतिम फैसला आएगा, यह पद उस कैटेगरी में दे दिए जाएंगे।
शासन की इस नीति की आलोचना इसलिए
दरअसल शासन ने मप्र में विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव को देखते हुए ओबीसी वर्ग को संभालने के लिए इस मुद्दे में हाईकोर्ट से आदेश होने के बाद भी मजबूत फैसला नहीं लिया।
मप्र शासन को हाईकोर्ट से साफ आदेश था कि 14 फीसदी से ज्यादा ओबीसी आरक्षण नहीं हो यानी कि वह पुरानी आरक्षण नीति के तहत 100 फीसदी पदों पर भर्ती दे सकती थी। लेकिन उसने अपने इस फार्मूलेबाजी में ओबीसी और अनारक्षित दोनों ही वर्ग को लंबे समय के लिए लटका दिया। पीएससी के उम्मीदवार सितंबर 2022 से अटके तो ईएसबी वाले जनवरी 2024 से ही अटका दिए गए हैं।
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