MPPSC आंसर की पर आपत्ति लगाने में सर्वर पर 50 रुपए से तीन गुना कट रहे, इधर उम्मीदवार नौ सवालों पर ले रहे आपत्ति

प्रारंभिक तौर पर जहां सात सवाल विवादित होने की बात आई थी वहीं अब उम्मीदवारों ने बताया कि नौ सवाल विवादित है। इसमें किसी की ड्राफ्टिंग सही नहीं, वहीं किसी सवाल के दो विकल्प है और किसी के जवाब पीएससी ने गलत जारी किए हैं। 

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Sanjay gupta
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मप्र लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा और राज्य वन सेवा परीक्षा 2024 प्री की आसंर की पर आपत्ति लगाई जा रही है। लेकिन उम्मीदवार उलझ गए हैं, पीएससीसौ सवाल भी सही से नहीं बना पाया है, इसमें कुछ सवाल डिलीट करने योग्य है तो वहीं कुछ के दो विकल्प सही बताए जा रहे हैं। इसके सबूत सहित उम्मीदवार आपत्ति लगा रहे हैं।

सर्वर के चलते दो से तीन गुना लग रहे पैसै

आपत्ति के लिए जहां उन्हें अधिक विवादित सवाल के चलते अधिक राशि खर्च करना पड़ रही है वहीं सर्वर भी डबल लूट रहा है। कुछ उम्मीदवारों ने राशि कटने के सबूत के साथ द सूत्र को संदेश भेजे हैं, सर्वर सही काम नही करने से दो-दो बार राशि कट रही है। कई बार तीन बार राशि कट रही है। यानी एक सवाल की आपत्ति जो 50 रुपए में लगती है वह 100 से 150 रुपए की पड़ रही है।

8 सवाल पर आपत्ति के लिए लगे 1240 रुपए

एक उम्मीदवार ने पीएससी को अपनी रसीद भेजी है। उन्होंने बताया कि 8 सवाल पर आपत्ति लगाई है। 50 रुपए के हिसाब से 400 रुपए बनते हैं, इसमें पोर्टल फीस 33.89 रुपए और जीएशटी 6.11 रुपए भी लगा है, यानी 40 रुपए शुक्ल व टैक्स के व 1200 रुपए 8 सवाल पर आपत्ति के लगे हैं, जो प्रति सवाल 150 रुपए होता है, जो तय शुल्क से तीन गुना अधिक है।

 

 

नौ सवालों को लेकर सभी 1.34 लाख उम्मीदवार उलझे

प्रारंभिक तौर पर जहां सात सवाल विवादित होने की बात आई थी वहीं अब उम्मीदवारों ने बताया कि नौ सवाल विवादित है। इसमें किसी की ड्राफ्टिंग सही नहीं, वहीं किसी सवाल के दो विकल्प है और किसी के जवाब पीएससी ने गलत जारी किए हैं। इसके चलते इन सभी पर आपत्ति लगाना पड़ रही है, यानी उम्मीदवार को औसतन 450 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। वहीं मात्र 110 पदों के चलते उम्मदीवारों के लिए एक-एक अंक अहम है, ऐसे में हजारों युवाओं को पीएससी की गलती का खामियाजा भुगतना होगा। पीएससी किसी सवाल को डिलीट करता है तो उसके अंक सभी को मिलेंगे। वहीं किसी सवाल के दो विकल्प करते हैं तो इसमें से कोई भी विकल्प चुनने वाले को उम्मीदवारों को अंक मिलेंगे। 

इन नौ सवालों को लेकर उठ रहे सवाल

1- किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों के संघर्ष की स्थिति में राज्य के नीति निर्देशक सिद्दातों पर मौलिक अधिकारों की व्यापकता की घोषणा की है। इसमें पीएससी ने मद्रास बनाम चंपकम केस को सही विकल्प माना है, वहीं आपत्ति लगाने वालों को कहना है कि इसमें पला विकल्प गोलकनाथ बनाम पंजाब भी सही है।

2-  भिम्मा जनजाति के लोग कहां रहते हैं? इसमें पीएससी ने मंडला व डिंडोरी जिले को सही माना है। वहीं बैतूल व छिंदवाड़ा के विकल्प को भी उम्मीदवार सही बता रहे हैं।

3- भ्रामक ईमेल या टेक्स्ट संदेश के लिए। इस सवाल के लिए पीएससी ने फिशिंग को सही माना है, जबकि स्पैमिंग विकल्प भी सही बताया जा रहा है। 

4- बिरहा किस आदिवासी जनजाती की महिलाओं का लोकगीत है। पीएससी का विकल्प गौंड है, जबकि जानकारों के अनुसार कोल भी सही है।
5- क्षत्रिय वर्णों के उपनयन संस्कार में किस मंत्र के संपादन का प्रावधान था। इसका पीएससी ने विकल्प त्रिष्टुभ मंत्र बताया, वहीं कुछ उम्मीदवारों का कहना है कि इसमें बी व सी गायत्री मंत्र व सर्वेषाम मंत्र सही विक्लप है।

6- वैधानित तरलता अनुपात की न्यूनतम सीमा क्या थी, जिसे भारत सरकार ने 2007 में संशोधित किया ? इस सवाल की फ्रेमिंग गलत बताई जा रही है, इसमें संशोधन 2007 की जगह 2008 में बताया जा रहा है। साथ ही जवाब 25 फीसदी दिया है, बताया जा रहा है 24 फीसदी।

7- मप्र में आदिवासी के लिए स्वरोजगाकर योजना किस नाम से है? पीएससी ने जवाब टंट्‌टय भील दिया है, जबकि जवाब बिरसा मुंडा भी है।

8- संविधान में संसोधन के लिए काम से कम आदे राज्यो के विधानमंडलों द्वार समर्थन की आवश्यकता होगी? पीएससी ने जवाब विकल्प डी ऐसा संसधोन जिसमें 279 क का परिवर्तन हो, जबकि उम्मीदवारों का कहना है कि विकल्प ए भी होगा जिसमें अनुच्छेद 53 की बात हो।

9- सितंबर 2023 के अंत में सकल घरेलू उत्पाद में बाह्य ऋण का अनुपात क्या था? इस, सवाल को गलत फ्रेमिंग बताया जा रहा है, क्योंकि इसमें यह नहीं पूछा कि यह भारत सरकार की बात हो रही है मप्र सरकार की। 

10- एक प्रश्न मप्र की पहाडियों की ऊंचाई के आरोही और अवरोही से जुड़ा था जिसे पीएससी पहले ही डिलीट कर चुका है, यानी इसके अंक सभी को मिलेंगे।

पीएससी की कोई भी परीक्षा बिना गलत प्रश्न के पूरी नहीं होती है

पीएससी ने बीते सालों में 34 परीक्षाएं ली है, इसमें 4350 सवाल पूछ गए और 135 सवाल के जवाब गलत थे, जिसे डिलीट किया गया। अभी तक 95 सवालों के एक से अधिक विकल्प पीएससी को मानने पड़े हैं। बीते पांच सालों में हर एक परीक्षा में औसतन चार सवाल डिलीट करने पड़े हैं। 

हाईकोर्ट ने ही दो सवाल गलत बता दिए थे

राज्य सेवा परीक्षा 2023 प्री में तो खुद जबलपुर हाईकोर्ट ने ही पीएससी को कडी फटकार लगाते हुए दो प्रश्नों को गलत बताया था। इसके चलते मेरिट ही राज्य वन सेवा की फिर से बनाने के आदेश दे दिए थे और कई उम्मीदवारों को राज्य सेवा में मेंस मे बैठने के लिए पात्र घोषित किया था। हालांकि पीएससी जाकर डबल बैंच से स्टे ले आया और उम्मीदवारों को राहत नहीं मिल सकी।

विशेषज्ञ कमेटी इन आधार पर करती है प्रश्न के आंसर पर विचार

1-    हिंदी से अंग्रेजी में ट्रांसलेशन गलत कर दिया हो जैसे कि अभी 2024 की प्री में ही आरोही और अवरोही का विवाद हुआ
2-    प्रश्न सही नहीं बना हो जैसे कि 2023 प्री में प्रेस की स्वंतत्रता वाला मुद्दा था
3-    चार विकल्प में से एक भी सही नहीं हो
4-    प्रश्न में गलत फैक्ट नाम, साल व अन्य आंकड़े गलत दिए हो

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