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मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) के पेपर बनने में गलतियां होती है। इसमें सुधार की मांग पीएससी के महाआंदोलन में भी उठी थी, जिसमें सुधार के लिए समिति बनाने की बात हुई। यह मुद्दा कितना जरूरी है। इन पेपर की गलतियां होने पर इसमें सुधार के लिए पीएससी 100 रुपए प्रति प्रश्न लेकर आपत्तियां भी बुलाता है। हर परीक्षा, पेपर में आपत्तियां लगती है। तो फिर इससे आखिर आयोग को कितनी कमाई होती है। यह जानने के लिए द सूत्र संवाददाता ने आयोग में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत आवेदन लगाया। दो महीने तक तो जानकारी ही नहीं दी, जब दी तो यह जवाब दिया गया।
पहले नियम और शुल्क जान लेते हैं
आयोग उनकी आयोजित वस्तुनिष्ठ परीक्षा की पहले प्रोवीजनल आंसर की जारी करता है। इसमें किसी जवाब पर आपत्ति हो तो 100 रुपए शुल्क इस आपत्ति के संबंध में आधार दस्तावेज सबमिट तय समय में हो सकते हैं। इसमें 40 रुपए पोर्टल शुल्क भी लगता है। इसके साथ ही सबसे बड़ा नियम है कि यदि आपत्ति सही पाई जाती है तो और आसंर की में जवाब बदला जाता है तो आवेदक को 100 रुपए वापस किए जाते हैं।
द सूत्र ने यह जानकारी मांगी थी और यह मिला जवाब
- राज्य सेवा व वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा साल 2020 से 2024 तक आयोजित परीक्षा में प्रोवीजनल आंसर की पर लगी आपत्ति शुल्क के रूप में आयोग को कितनी कमाई हुई है।
आयोग ने यह दिया जवाब- यह चाही गई जानकारी गोपनीय स्वरूप की होने से दी जाना संभव नहीं है।
- राज्य सेवा व वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2020 से 2024 में लगी आपत्ति पर जो शुल्क लिया गया, इसमें आपत्ति सही होने पर शुल्क लौटाने का भी प्रावधान है। कुल कितना रिफंड किया गया।
आयोग ने यह दिया जवाब- यह जानकारी भी गोपनीय स्वरूप की होने से दिया जाना संभव नहीं है। जिन परीक्षा में अभ्यर्थियों को आपत्ति शुल्क लौटाया जाना है उसकी कार्रवाई प्रचलित है। आपत्ति शुल्क लौटाए जाने की जो प्रक्रिया, नियम है वह आयोग की साइट में और विज्ञापन में प्रकाशित होते हैं।
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आयोग अपनी कमाई और रिफंड ही बताने को तैयार नहीं
यानी आयोग पहले सवाल गलत बनाता है और इन पर आपत्ति लगाने वालों से कमाई करता है। ऑनलाइन पोर्टल वाले भी कमाई करते हैं। यह कमाई लंबी-चौड़ी है, क्योंकि हर परीक्षा में चार-पांच सवालों पर सैंकड़ों उम्मीदवार आपत्ति लगाते हैं। पीएससी हर साल 25-30 परीक्षाएं आयोजित कराता है। यानी यह कमाई करोड़ों में संभावित है। जो आयोग बताना नहीं चाहता है, जबकि इसमें गोपनीय वाली कोई बात ही नहीं है, यह सामान्य जानकारी है जो वित्तीय बैलेंस शीट में ही आती है। वहीं इसमें से कोई राशि रिफंड होती है। यह सबसे बड़ा सवाल है, जो उम्मीदवारों का अधिकार है। कई उम्मीदवारों ने द सूत्र को बताया आसंर की में सुधार के बाद भी मुझे आपत्ति की राशि वापस नहीं मिली है।
साल 2019 में राशि रिफंड का प्रारूप दिया था
द सूत्र के पास साल 2019 में आंसर की पर आई आपत्ति और इसमें फिर सुधार के बाद किए गए रिफंड को लेकर जारी प्रारूप और नोटिफिकेशन की कॉपी है। इसमें कुल नौ उम्मीदवारों के खाते की जानकारी सही नहीं होने से आयोग रिफंड नहीं कर पाया था इसकी सूचना उन्होंने 4 मई 2022 में जारी की थी।
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अब सेट की परीक्षा में भी गलत आंसर
हाल ही में एक प्रश्नपत्र में तो आयोग ने आंसर की में एक प्रश्न के एक नहीं बल्कि तीन आंसर सही बताए हैं। यानी समझा जा सकता है कि प्रश्न किस हद तक गलत बना था। इन प्रश्नों के गलत होने से हो रहे विवाद के बाद आयोग ने करीब एक साल पहले फैसला लिया कि अब वह विवादित प्रश्न को डिलीट करेगा और इसके अंक सभी को समान रूप से दिए जाएंगे। पहले आयोग उस प्रश्न को गिनती से हटा देता था।
हाल ही में आयोग द्वारा ली गई सेट परीक्षा में भी दो प्रश्न के जवाब प्रोवीजल आंसर की में सीधे गलत दिए हैं, जो एनसीईआरटी बुक से साबित होते हैं।
प्रदेश में मौर्यकाल में मध्य भारत के मौर्य प्रांत की राजधानी कहां है?
सही उत्तर उज्जैन है लेकिन आयोग की आंसर की में इसे विदिशा बताया है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर का अधिवेशन किस साल में हुआ?
सही उत्तर- 1929 है लेकिन आयोग ने 1930 दिया है।
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