MPPSC के एक और फैसले को हाईकोर्ट ने पलटा, अनारक्षित सीट कैसे कर दी दिव्यांग के लिए

मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के असिस्टेंट प्रोफेसर (रोग निदान) के मामले में हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। याचिकाकर्ता नेहा बरूआ ने आयोग पर आरोप लगाया कि...

author-image
Sanjay gupta
New Update
mppsc-high-court-judgment-reservation-issue
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की कार्यशैली सुधरने का नाम नहीं ले रही है। उम्मीदवारों को अपने हर हक के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख करना पड़ रहा है। अभी राज्य सेवा परीक्षा 2025 का केस हाईकोर्ट में चल ही रहा है कि अब ताजा मामला असिस्टेंट प्रोफेसर (रोग निदान) की मेरिट लिस्ट को लेकर आ गया। इसमें आयोग ने सीटों पर सौ फीसदी आरक्षण कर मारा। जिसके बाद हाईकोर्ट ने फटकार लगाई।

यहां से डाउनलोड करें पूरा PDF

सीट का आरक्षण ऐसे किया

यह है मामला

याचिकाकर्ता नेहा बरूआ ने कोर्ट को बताया कि 23 जून 2023 को असिस्टेंट प्रोफेसर (रोग निदान) की परीक्षा का विज्ञापन आया। इसमें 6 पोस्ट थीं, जिनमें एक अनारक्षित, एक एससी, दो एसटी और दो ओबीसी की थीं। इसमें एक पोस्ट दिव्यांग के लिए रखी गई। जब मेरिट सूची आई तो वह दूसरे नंबर पर थीं लेकिन उन्हें चयन सूची से बाहर रखा गया और अनारक्षित सीट नहीं दी गई, यह एक सीट खाली रखी गई। इस पर आयोग ने उन्हें जानकारी दी कि अनारक्षित में एक पोस्ट थी और यह दिव्यांग के लिए आरक्षित थी। इसके लिए कोई दिव्यांग उम्मीदवार नहीं आया तो यह 14 जून 2016 के मप्र शासन के सर्कुलर के तहत दिव्यांग नहीं होने पर आगे के लिए कैरी फॉर्वर्ड होगी, इसलिए आपको चयन सूची में नहीं रखा गया है।

याचिकाकर्ता ने यह लगाई आपत्तियां

जून 2016 के इस सर्कुलर का हवाला दिया

साथ में परीक्षा नियम नवंबर 2000 के सर्कुलर का हवाला दिया जिसे लेकर ऑलरेडी हाई कोर्ट जबलपुर में राज्य सेवा परीक्षा 2025 को लेकर केस चल रहा है

  • याचिकाकर्ता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के विविध फैसलों के अनुसार सौ फीसदी आरक्षण नहीं किया जा सकता है। इन 6 सीटों में पांच सीट आरक्षित कैटेगरी में थीं और केवल एक अनारक्षित के लिए थी, वह भी दिव्यांग के लिए रख दी गई। इस तरह सौ फीसदी आरक्षण किया गया जो नहीं हो सकता है।

  • साथ ही विज्ञापन में इस बात का जिक्र नहीं था कि इस अनारक्षित एक पोस्ट को दिव्यांग के लिए रखा गया। जो विज्ञापन था उसमें एक पोस्ट दिव्यांग के लिए लिखी गई, लेकिन यह अनारक्षित से है यह कहीं भी स्पष्ट नहीं था।
    मप्र लोक सेवा आयोग ने यह दिए थे तर्क

  • आयोग ने 14 जून 2016 के सर्कुलर का तर्क दिया कि दिव्यांग नहीं मिला इसलिए कैरी फॉर्वर्ड किया गया।
  • वहीं आयोग ने फिर 7 नवंबर 2000 के परीक्षा नियम का हवाला दिया (यह वही नियम है जिसे लेकर राज्य सेवा परीक्षा 2025 के विषय में चीफ जस्टिस की बेंच में केस चल रहा है, इसी के चलते रिजल्ट रुके हुए हैं)। इसमें कहा गया कि इस नियम के तहत अनारक्षित सीट से एक सीट दिव्यांग के लिए रखी गई और दिव्यांग नहीं मिला इसलिए 2016 के सर्कुलर के अनुसार कैरी फॉर्वर्ड की गई।

हाईकोर्ट ने यह दिए आदेश और यह कहा

  • जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने इस केस को सुनने के बाद कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश साफ हैं कि 100 फीसदी सीट का आरक्षण नहीं हो सकता है। साथ ही जब दिव्यांग नहीं है और एक अनारक्षित सीट उपलब्ध है तो ऐसे में सीट खाली रखने का कोई औचित्य नहीं है।

  • जून 2016 के जिस पत्र की बात आयोग कर रहा है वह केवल चार लाइन का पत्र है, इसमें किसी नियम, सर्कुलर आदि का हवाला नहीं दिया गया है।

  • इसलिए इन तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि प्रतिवादियों (शासन और आयोग) ने याचिकाकर्ता को उनके उचित दावे से वंचित करने और इस पद को केवल इस आधार पर कैरी फॉर्वर्ड करने की गलती की है कि यह पद दिव्यांग के लिए आरक्षित था। जबकि कोई कैटेगरी में कोई उम्मीदवार था ही नहीं।

  • इसलिए याचिका स्वीकार की जाती है और शासन, आयोग को निर्देश दिए जाते हैं कि वह याचिकाकर्ता का नाम मुख्य सूची, अनारक्षित कैटेगरी के उम्मीदवार के रूप में शामिल करें और आगे की कार्रवाई करें। इसे तीन सप्ताह में पूरा करें।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

mppsc | MPPSC | Indore High Court order for MPPSC | high court on mppsc | mp high court mppsc | mppsc 2025 | mppsc 2025 news | MP News | Indore News

मध्य प्रदेश Indore News MP News mppsc 2025 news mppsc 2025 लोक सेवा आयोग mp high court mppsc high court on mppsc Indore High Court order for MPPSC MPPSC mppsc