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Photograph: (the sootr)
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INDORE. मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा 2025 को लेकर दो याचिकाएं 9253 और 11444/2025 लगी है। इसमें मप्र राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 के रूल 4 के विविध प्रावधान की संवैधानिकता को ही चुनौती दी गई है। इसी के चलते हाईकोर्ट जबलपुर ने पीएससी 2025 की मेंस पर स्टे किया है और इसी असमंजस के चलते पीएससी ने बाकी रिजल्ट भी होल्ड कर दिए जिसमें विविध कैटेगरी के पद है। इस मामले में 6 मई को सुनवाई होना थी लेकिन आगे बढ़ गई।
क्यों बढ़ी आगे सुनवाई
हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सुरेश कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बैंच में इसकी सुनवाई होना थी लेकिन लिस्टिंग में यह 72 और 72.1 पर थी यानी काफी नीचे थी। सुबह से ही आशंका थी कि इसमें सुनवाई होना मुश्किल थी, जब तक इसमें कोई मेंशन नहीं लें, लेकिन इसमें किसी पक्ष ने जल्द सुनवाई के लिए बात नहीं रखी। इसके चलते इसमें हाईकोर्ट ने सुनवाई नहीं की और इस मामले में हाईकोर्ट की साइट पर संभावित तारीख 8 मई बताई गई।
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फिर अब क्या होगा, मेंस का क्या होगा
- सबसे बड़ा सवाल मेंस राज्य सेवा परीक्षा 2025 को लेकर क्या होगा, तो अभी की स्थिति में इस पर स्टे है। यह नौ जून से प्रस्तावित है। हालांकि हाईकोर्ट बीती सुनवाई में यह जरूर कह चुका है कि आयोग अपनी तैयारी जारी रखे। यानी अभी की स्थिति में तो परीक्षा इसी तरीख पर संभावित है। लेकिन हाईकोर्ट से स्टे हटना जरूरी है और जब तक स्टे नहीं हटता आयोग द्वारा भी इसमें आगे प्रक्रिया नहीं की जाएगी, क्योंकि इस पर रोक है।
- बाकी रिजल्ट का क्या होगा- यह सबसे बड़ा सवाल है क्योंकि हाईकोर्ट के रिजल्ट रोक 25 मार्च को आए आदेश के बाद से ही भोपाल से मिले निर्देशानुसार पीएससी ने बाकी रिजल्ट रोक दिए हैं, जिसमें आरक्षित से अनारक्षित कैटेगरी में जाने का इश्यू आ रहा है। केवल वही रिजल्ट आ रहे हैं जिसमें पद कम है और कैटगरी के बीच में शिफ्टिंग नहीं है।
शासन ने यह जवाब देने की है तैयारी
इस मुद्दे पर कुछ दिन पहले ही द सूत्र ने विस्तृत रिपोर्ट पेश करते हुए बताया था कि सुप्रीम कोर्ट में भी यह मुद्दा उठ चुका है और वहां से इस नियम को मंजूर किया गया है। द सूत्र ने टीना डाबी सहित अन्य केस का उदाहरण दिया था।
अब सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) भोपाल ने यही रिपोर्ट बनाई है और इसमें अधिवक्ताओं के जरिए यही पक्ष हाईकोर्ट में ऱखने जा रहा है। इसमें कहा जाएगा कि यदि आरक्षण का लाभ किसी स्तर पर एक बार ले चुके हैं तो फिर उसे अनारक्षित में मूव नहीं कर सकते हैं। जीएडी अधिकारियों ने द सूत्र को इसकी पुष्टि की है और कहा है सुप्रीम कोर्ट में चले विविध केस की जानकारी हम हाईकोर्ट में पेश करेंगे।
यह है परीक्षा सेवा नियम 2015 मप्र नियम
यह रूल कहता है कि यदि किसी उम्मीदवार ने आरक्षण संबंधी किसी तरह की छूट ली है (इसमें यात्रा व्यय लेना और परीक्षा शुल्क की छूट लेना शामिल नहीं) तो फिर उसे प्री, मेंस, इंटरव्यू के बाद की मेरिट बनने के दौरान अपने संबंधित आरक्षण वर्ग यानी एसटी, एससी, ओबीसी में ही रखा जाएगा और उसे अनारक्षित कैटेगरी में मेरिट अंकों के आधार पर शिफ्ट नहीं किया जाएगा।
इस नियम को ही चैलेंज कर दिया गया, जिसमें 25 मार्च 2025 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की बैंच ने प्री के रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दी, फिर 2 अप्रैल को कैटेगरी वाइस कटआफ अंक मंगे और मेंस पर स्टे लगा दिया और अब 15 अप्रैल को कैटेगरी अंक आने के बाद इस नियम को लेकर जवाब मांगा है और 6 मई को सुनवाई होगी।
परीक्षा नियम आज का नहीं साल 2000 से है
मप्र राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 आज से नहीं दरअसल नवंबर 2000 में तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह की सरकार के समय यह नियम बना कि आरक्षित वर्ग को कई तरह की छूट दी जाती है (शुल्क व व्यय के अतिरिक्त उम्र की छूट, पास होने के कटआफ की छूट आदि), ऐसे में यदि एक आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार उम्र या कटआफ जैसी छूट भी लेता है (परीक्षा शुल्क व व्यय को छूट नहीं माना गया) तो फिर उसे मेरिट में अंकों के आधार पर अनारक्षित में नहीं जाना चाहिए। उसी वर्ग में रहना चाहिए। इसी नियम के आधार पर हमेशा भर्ती चली आ रही है।
टीना डाबी सहित कई अन्य केस में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है मुहर
- टीना डाबी ने यूपीएससी 2015 में टाप किया, लेकिन उन्हें इसके बाद भी एससी कैटेगरी की सीट मिली अनारक्षित में नहीं शिफ्ट किया गया। इसका कारण है कि प्री 2015 के लिए अनारक्षित का कटआफ 107 था और एससी के लिए 94, टीना टाबी को प्री में 96.66 फीसदी अंक मिले और वह एससी कैटेगरी के कटआफ अंक छूट के साथ ही मेंस के लिए पास हुई। हालांकि वह मेंस में सबसे ज्यादा अंक हासिल कर टॉपर बनी, उनके मेंस में कुल 2025 अंक में से 1063 आए और वह टापर बनी। लेकिन एससी कैटेगरी के तहत प्री में कटआफ छूट लेने के कारण वह अनारक्षित में शिफ्ट नहीं हुई और उन्हें अपना होम टाउन भी नहीं मिला था। वह राजस्थान कैडर की आईएएस हुई।
- इसी तरह दीपी विरूद्ध भारत सरकार का भी केस है, उन्होंने भी ओबीसी से अनारिक्षत में जाने की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि उन्होंने ओबीसी छूट का लाभ लिया है तो वह अनारक्षित में नहीं जा सकती।
- जितेंद्र सिंह विरुद्ध भारत सरकार केस में भी यही बात उठी और साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में भी यही कहा कि यदि आरक्षित वर्ग की कोई छूट ली तो फिर अनारक्षित में शिफ्ट नहीं कर सकते हैं।
डीओपीटी ने भी बना रखा है नियम
- केंद्र के डिपार्टमेंट आफ पर्सोनेल एंड ट्रेनिंग का भी यह नियम है कि एसटी, एससी, ओबीसी आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार यदि परीक्षा में किसी तरह की छूट कैटेगरी की लेते हैं, तो उन्हें अनारक्षित में शिफ्ट नहीं किया जाएगा। यही केंद्र का नियम मप्र सरकार ने भी लिया है।
- इस तरह की छूट मिलती है
- केंद्र की छूट की बात करें तो अनारक्षित कैटेगरी में परीक्षा देने के अवसर कम है। वहीं कैटेगरी में कितने बार भी दे सकते हैं. इसी तरह प्री कटआफ अंक, उम्रसीमा की छूट, योग्यता व अन्य छूट भी रहती है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है जब कोई छूट ली तो फिर उसी कैटेगरी में ही रहेंगे, क्योंकि इसी कैटेगरी में रहकर मेंस दी, इंटरव्यू दिया और अंत में सफलता पाई।
हाईकोर्ट जबलपुर में नियम 2015 खत्म करने की मांग
- वहीं हाईकोर्ट में लगी याचिका में परीक्षा नियम 2015 को ही चुनौती दी गई है और इसे खारिज करने की मांग उठी है। साथ ही नवंबर 2000 के गजट नोटिफेकशन को भी खारिज करने की मांग इसमें की गई है। यही नहीं राज्य सेवा परीक्षा 2025 के लिए जारी नोटिफिकेशन जिसमें इस नियम 2015 का हवाला है उसे ही रद्द करने की मांग की गई है।
- राज्य सेवा 2025 में इतने आरक्षित से अनारक्षित में गए
- मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा जो हाईकोर्ट में कैटेगरी वाइज कटआफ प्री 2025 का बताया है इसमें साथ ही यह बताया कि अनारक्षित में जो 1140 कुल उम्मीदवार चुने गए हैं, इसमें मेरिट के आधार पर एससी के 42, एसटी के 5, ओबीसी के 381 और ईडब्ल्यूएस के 262 उम्मीदवार शामिल है। यानी अनारक्षित में 1140 उम्मीदवार में से 690 विविध आरक्षित कैटेगरी के हैं और जनरल कैटेगरी के केवल 450 उम्मीदवार ही है।