मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) ने उम्मीदवारों की ओर से किए जाने वाले अनावश्यक दावों, खासकर कोर्ट में गलत तथ्यों के साथ केस पेश करने को लेकर अब उम्मीदवारों को सार्वजनिक सूचना देकर समझाइश जारी की है।
यह जारी की है समझाइश
आयोग की ओर से साफ तौर से कहा गया है कि उम्मीदवार विज्ञप्ति में जारी शर्तों का पालन करें। आगे कहा कि देखने में आया है कि अभ्यर्थियों की ओर से आंसर की पर ऑनलाइन आपत्ति दर्ज नहीं की जाती है और फिर रिजल्ट जारी होने के बाद असफल होने पर या अन्य कारणों से ऑफलाइन, ईमेल या पत्राचार के जरिए आपत्तियां दर्ज कराई जाती हैं। जो किसी भी स्थिति में मान्य नहीं है। उम्मीदवारों द्वारा सोशल मीडिया व अन्य माध्यम से भी इसके जरिए कंफ्यूज किया जाता है।
समय सीमा में आपत्ति जरूरी
आयोग ने फिर साफ किया कि प्री परीक्षा होने के बाद आंसर की जारी की जाती है और इसमें एक तय समय सीमा रहती है। इस दौरान ऑनलाइन आपत्ति दर्ज की जा सकती है और वह भी शर्तों के अनुसार। इन आपत्तियों के आने के बाद कमेटी इन सभी आपत्तियों पर विचार करती है और फिर फाइनल आंसर की जारी की जाती है। जिसमें बदलाव नहीं होता है। इसी आधार पर ही ओएमआर शीट का मूल्यांकन किया जाता है।
क्यों किया आयोग ने ऐसा
हाल ही में कुछ अभ्यर्थियों ने आंसर की पर आपत्ति लेते हुए केस लगाया और इसमें ऑफलाइन हुए पत्राचार, ईमेल के आधार पर झूठ कहा कि पीएससी ने उनकी आपत्तियों पर कोई एक्शन नहीं लिया है। इस पर आयोग ने स्थिति को साफ किया कि केवल ऑनलाइन ही आपत्ति दर्ज की जाती है। वह भी अगर समय सीमा के बीच में आती है, तो ही उन्हें विशेषज्ञों के सामने रखा जाता है। इसके बाद फाइनल आंसर की जारी होती है। विशेषज्ञों द्वारा हर आपत्ति को तथ्य, दस्तावेज के आधार पर परखा जाता है।
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