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मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) द्वारा 2025 के लिए जारी नोटिफिकेशन के बाद पदों को लेकर विवाद बढ़ाने के बाद एनईवाईयू के छात्र आंदोलन पर उतर आएं। जिसके बाद पुलिस एनईवाईयू के कोर कमेटी के राधे जाट और रणजीत किसानवंशी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया लिया। अब जेल से राधे जाट और रणजीत ने संदेश भेजा है।
बता दें एनईवाईयू के छात्र हेमराज गुर्जर, सचिन यादव, प्रशांत राजावत ने राधे जाट और रणजीत किसानवंशी से जेल में मुलाकात की। मुलाकात के दौरान राधे जाट और रणजीत किसानवंशी ने छात्रों को संदेश दिया कि सरकार ने हमको जेल में डालकर छात्रों के मन से डर खत्म कर दिया है, दो लोगों को जेल में डालने से आंदोलन खत्म नहीं होगा। सभी छात्र आगे आकर अपनी मांगों के लिए आंदोलन जारी रखें, सरकार जेल में डालकर हमारी आवाज मरने तक दबा नहीं सकती, सरकार को छात्रों के आगे झुकना ही पड़ेगा और छात्रों की मांगें पूरी करनी ही होंगी।
दोनों पर ही 107, 116 और 151 की प्रतिबंधात्मक धाराएं लगाई गई हैं। दोनों के वकील ने बताया कि फिर से जमानत लगाने का प्रयास किया जा रहा है और दूसरा जमानतदार पेश कर रहे हैं, जिससे वह जल्द बाहर आ सकें। वहीं एनईवाययू के सुरेंद्र व अन्य द्वारा इसे तानाशाही रवैया बताया जा रहा है। ताकि युवाओं के लिए कोई आंदोलन की बात नहीं कर सके।
31 दिसंबर की रात को 11.55 बजे जैसे ही पीएससी का राज्य सेवा परीक्षा 2025 का नोटिफिकेशन आया, इसके बाद युवाओं का सोशल मीडिया पर गुस्सा फूट पड़ा। रात को ही आंदोलनकारी राधे जाट और रणजीत के वीडियो मैसेज ग्रुप पर आ गए। इसके बाद रात दो बजे गूगल मीट हुई और इसमें भी करीब 150 युवा जुड़ गए। तय हुआ कि डीडी गार्डन भंवरकुआं पर दोपहर 12 बजे बुधवार को मीटिंग होगी और आंदोलन की रणनीति बनेगी। लेकिन इसके पहले ही दोनों को उठा लिया गया। दोस्तों और परिजनों का कहना है कि यह पुलिस ने किया है और पुलिस दोनों को ले गई है। दोनों ने वीडियो संदेश में कहा था कि हमारे साथ धोखा हुआ है 700 पद मांगे थे और 158 ही दिए हैं। यह धोखा है और इसके लिए फिर हम मैदान में उतरेंगे। अब हम पीछे नहीं हटेंगे और इसके लिए सरकार को भुगतना होगा। वहीं दोनों ने ट्वीट भी किए थे और कहा था कि सरकार को भुगतना होगा।
90 घंटे तक पीएससी के बाहर आंदोलन हुआ था। एनईवाईयू के बैनर तले हुए इस आंदोलन से सरकार सकते में आ गई थी। आंदोलन को खत्म कराया गया और कई मांगों पर सहमति बनी। फिर अगली सुबह ही सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ भोपाल में प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात हुई और सीएम ने भी सकारात्मक संदेश दिए। इसके बाद आंदोलन समाप्त हो गया। उम्मीद थी कि 700 नहीं तो 300-400 तक ठीक-ठाक पोस्ट दी जाएंगी, लेकिन यह उम्मीद धरी रह गई। इसके बाद युवा गुस्से में आ गए।