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MP News : मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) के रिजल्ट में लगातार हो रही देरी और भर्तियों में कम निकल रहे विज्ञापनों ने इंदौर में कोचिंग के धंधे पर ताले जड़ने शुरू कर दिए हैं। भंवरकुआं क्षेत्र में छोटी-बड़ी दर्जन भर कोचिंग पर ताले जड़ चुके हैं। कुछ कोचिंग की जगह पर तो खाने-पीने की दुकानें खुल गई हैं। जो चल रही है इसमें फैकल्टी को वेतन देने में ही लाले पड़ गए हैं।
उधर युवा बढ़ते खर्च के चलते अब इंदौर छोड़ने लगे हैं। विकास दिव्यकीर्ति की कोचिंग ने हाल ही में कोर्स में 60 फीसदी फीस की छूट के भारी विज्ञापन दिए हैं क्योंकि बच्चे ही नहीं हैं। ले-देकर आठ-दस कोचिंग ही सर्वाइव कर रही है। एक कोचिंग संचालक कहते हैं कि पहले करीब 85 कोचिंग थी लेकिन अब एक तिहाई रह गई है। बच्चे कम आए तो राशि का संकट आया, फैक्ल्टी छोड़ गई और कोचिंग बंद होने लगी।
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कोचिंग बंद हुई, सैंडविंच दुकान खुल गई
इंदौर में कोचिंग की हालत इतनी खराब है की कुछ माह पहले प्रयास कोचिंग क्लास बंद हुई और अब इसी जगह पर यहां सैंडविच की दुकान खुल गई है। खान स्टडी भी बंद हो चुकी है। इस तरह भंवरकुआं चौराहे पर जो कोचिंग का गढ़ है, यहां वेदा काम्पलेक्स के पहले, दूसरे और तीसरे फ्लोर पर कई छोटी-बड़ी कोचिंग थी, इसमें से अब अधिकांश के केवल बोर्ड रह गए हैं और ताले जड़ चुके हैं।
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क्या बोल रहे हैं कोचिंग संचालक और फैकल्टी
- कौटिल्य एकादमी के सिध्दांत जोशी कहते हैं कि 2019 के रिजल्ट के बाद लगातार समस्याएं आई हैं। इसका खामियाजा उम्मीदवार और कोचिंग दोनों को भुगतना पड़ रहा है। पहले चार लाख फॉर्म भरते थे और अब सवा लाख रह गए है, इससे साफ दिखता है। कम उम्मीदवार रहेंगे और मेरिटोरियस युवा चले जाएंगे तो इससे आगे जाकर प्रशासन को भी नुकसान होगा। जोशी ने कहा कि आयोग कैलेंडर जारी कर देता है लेकिन फिर पालन नहीं होता है। लगातार कानूनी केस सामने आ रहे हैं, इससे रिजल्ट प्रभावित हो रहे हैं। युवा तनाव में भी है।
- फैकल्टी शिवा कुमार श्रीवास्तव ने बताया कोचिंग संस्थान बंद होने का सबसे बड़ा कारण एडमिशन ना आना है, ऐसे में टीचर्स का भी नुकसान हो रहा है और एजुकेशन है। एक साल में 25-30 संस्थान बंद हो चुके है, इनमें जैसे दिव्य आईएएस, आनंद सुपर 100, चेतन मीना, सारथी एकादमी, विष्णुगुप्त एकादमी। कुछ संस्थान से में भी जुड़ा था। चार-पांच साल पहले जहां करीब 4 लाख फॉर्म भरे जाते थे वहीं अब एक-सवा लाख रह गए है और इनके अपेयर होने की संख्या भी कम हो गई है। ऐसे में कई फैकल्टी ऐसे है जिन्होंने टीचिंग लाइन छोडक़र अन्य फिल्ड जॉइन कर लिया है।
- फैकल्टी करण सिंह ने कहा अभी बच्चों में निराशा की भावना है, पद लगातार नहीं आना और समय पर परीक्षा नहीं होना, रिजल्ट में देरी यह सभी कारण है। लगातार छात्र घटे हैं। कई कोचिंग संस्थान में ताले लगे हैं। ऐसे में न सिर्फ स्टूडें्ट्स बल्कि फैकल्टी भी तनाव में है। कोचिंग बंद होने से बहुत से लोगों को नुकसान हुआ है, भंवरकुआ क्षेत्र में बने होस्टल्स में जहां पहले कमरे नहीं मिलते थे छात्रों को रहने के लिए वहीं अब खाली पड़े है।
- फैकल्टी अर्जुन सिंह जाट कहते हैं कि ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उठने के बाद से ही लगातार गिरावट हो रही है। बच्चों का भरोसा परीक्षाओं से उठता जा रहा है। परीक्षा में देरी, रिजल्ट में देरी, 13 फीसदी होल्ड पद। इन सभी से उम्मीदवार जूझ रहे हैं। अभिभावक चार-पांच साल तक इंदौर में रहना अफोर्ड नहीं कर पाता है। एक से डेढ लाख का सालाना खर्च होता है जो सभी के लिए संभव नहीं होता है। इसी के कारण कोचिंग भी बंद हो रही है। इंदौर में 90 फीसदी कोचिंग इसी कारण बंद हो रही है।
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क्या बोल रहे हैं युवा उम्मीदवार
उम्मीदवार सचिन राजपूत कहते हैं कि पद बहुत कम आ रहे हैं, ऐसे में मोरल डाउन हो रहे हैं। परिवार वाले भी चिंतित रहते हैं। पद ही नहीं आ रहे हैं, मेहनत जाया होती है। कोचिंग की फीस भी ज्यादा होती है। उम्मीदवार निरंजन कहते हैं कि रिजल्ट रूक जाता है, ओबीसी का मुद्दा चल रहा है, पूरा रिजल्ट नहीं आता है, 13 फीसदी रूक जाता है।
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क्यों हो रहा है यह सब पद
साल 2019 में 571 पद राज्य सेवा में आए थे, अब 2024 में 110 पद तो 2025 में केवल 110 आए हैं। इसके चलते जब 571 पद थे तब पौने चार लाख आवेदन थे, लेकिन बीते साल 2024 में 1.89 लाख आवेदन आए तो साल 2025 के लिए केवल 1.10 लाख आवेदन आए।
रिजल्ट में देरी
आयोग राज्य सेवा परीक्षा का रिजल्ट दो साल से पहले जारी ही नहीं कर पाता है। प्री का रिजल्ट भले ही वह एक माह में दे दें, लेकिन मेंस का रिजल्ट चार-पांच माह तक लग रहे हैं। फिर इंटव्यू का लंबा शेड्यूल होता है, इसके बाद रिजल्ट। असिस्टेंट प्रोफेसर 2022 की भर्ती में अभी किसी भी विषय का अंतिम रिजल्ट ही जारी नहीं हुआ। राज्य वन सेवा 2014 में केवल 12 पद लेकिन अंतिम रिजल्ट नहीं, इसी तरह हैंडलूम परीक्षा में 6 पद ही है, या फिर अन्य परीक्षा सभी रिजल्ट के लिए परेशान है।
कानूनी केस
आयोग की हर परीक्षा कानूनी पचड़े में फंसी है, भले वह आईटीआई प्रिंसीपल जैसी सामान्य परीक्षा हो या फिर राज्य सेवा परीक्षा। हर परीक्षा के प्री के सवालों से लेकर अन्य मुद्दों के लेकर केस लग रहे हैं। अब ताजा विवाद 2025 का ही है इसमें मेंस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
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आरक्षण केस
साल 2019 की परीक्षा के समय से ओबीसी आरक्षण का मुद्दा चल रहा है, इसके हल के लिए शासन ने 87-13 फीसदी फार्मूला लागू कर दिया, इसके बाद 13 फीसदी प्रोवीजनल रिजल्ट लिफाफे में बंद है, साल 2029, 2020, 2021 इन तीनों के अंतिम रिजल्ट आ चुके है लेकिन 13 फीसदी के फेर में कई पद और सैंकड़ों उम्मीदवार उलझे हैं. इसके बाद 2023 व 2024 के भी इसी साल इंटरव्यू और रिजल्ट आना है वह भी असमंजस में हैं।
हर भर्ती पर उठते सवाल
आयोग की हर परीक्षा में कोई ना कोई विवाद चल रहा है। भर्ती विज्ञापन की शर्तों को लेकर ही सवाल उठ रहे है। आयोग इस मामले को शासन पर डाल देता है क्योंकि वह कहता है कि यह नियम, योग्यता तय करना विभाग का काम है आयोग केवल परीक्षा एजेंसी है। उम्मीदवार छोटी-छोटी जानकारी के लिए भी इंदौर और भोपाल के बीच चक्कर काटता रहता है। पारदर्शिता अभी तक नहीं दिख रही है।
87 फीसदी की कापियां
पीएससी के बाहर दिसंबर में चार दिन तक आंदोलन चला, बात हुई कि 87 फीसदी वालों की कॉपिया दिखाएंगे, लेकिन बात वहीं तक रह गई और अभी तक आयोग ने इस संबंध में कुछ नहीं किया। जो फेल हो रहे हैं उन्हें पता ही नहीं चल रहा है कि क्या गलती कर रहे हैं। उन्हें अंक तक पता नहीं है, जबकि साल 2019 से 2022 तक के अंतिम भर्ती रिजल्ट आ चुके हैं, केवल चयनितों को अपने अंक पता है।