मप्र लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की राज्य सेवा परीक्षा 2019 के बाद सबसे विवादित बनती जा रही राज्य सेवा परीक्षा 2023 को लेकर नया अपडेट आया है। इसकी मेंस का रिजल्ट सात महीने से नहीं आया है। अब इसे लेकर आयोग ने गुरुवार रात को देर तक बैठक की और इसके बाद बड़ा फैसला लिया है।
यह लिया गया फैसला
राज्य सेवा परीक्षा मेंस 2023 के रिजल्ट को लेकर चेयरमैन डॉ. राजेश लाल मेहरा, अन्य अधिकारियों की बैठक गुरुवार रात को हुई। इसमें विधि विशेषज्ञों से ली गई राय व अन्य मुद्दों पर बात की गई। इसके बाद फैसला लिया गया कि रिजल्ट अभी जारी नहीं किया जाएगा। इसकी प्री के दो सवालों को लेकर हाईकोर्ट जबलपुर में केस चल रहा है। इसमें आगे निर्देश मिलने के बाद फिर रिजल्ट जारी किया जाएगा।
मेंस 50 दिन में ली, रिजल्ट 7 माह में भी नहीं
राज्य सेवा प्री 2023 का आयोजन दिसंबर 2023 में हुआ और फिर एक महीन में जनवरी 2024 में रिजल्ट जारी कर दिया। साथ ही 11 से 16 मार्च को ही मेंस का आयोजन हुआ। इसमें लंबे समय तक आंदोलन और मांग चली कि बहुत कम समय मेंस के लिए मिल रहा है, समय बढ़ाया जाए। लेकिन जिद पर अड़े आयोग ने एक नहीं सुनी और परीक्षा शेड्यूल समय पर कराने का हवाला देते हुए मेंस करा ली। लेकिन अब हाल यह है कि पहले तो वैल्यूएशन में ही 6 माह का समय लगा। जब रिजल्ट बनकर तैयार हो गया तब पीएससी को हाईकोर्ट में चल रहे केस की याद आई और इसके बाद चिंतन-मनन करने के बाद रिजल्ट अभी जारी नहीं करने पर फैसला लिया। उधर आयोग लगातार पहले जल्द रिजल्ट देने की बात कहता रहा।
24 सितंबर को हुई थी हाईकोर्ट में सुनवाई
जबलपुर हाईकोर्ट में 24 सितंबर को सुनवाई हुई। एक्टिंग चीफ जस्टिस की बैंच में करीब तीन मिनट तक सुनवाई चली और इसके बाद तय हुआ कि इसमें अभी अत्यंत आवश्यक वाला मुद्दा नहीं है, इसलिए इसकी सुनवाई दो सप्ताह बाद रखी जाएगी। इसमें एजी प्रशांत सिहं शासन और पीएससी की तरफ से पहुंचे थे। उन्होंने शार्ट में मामला बताया कि सिंगल बेंच ने पीएससी प्री 2023 के दो सवालों को लेकर फैसला दिया था और रिजल्ट रिवाइज करने के आदेश थे, जिस पर स्टे हुआ था। यही मामला है, इसमें हमने स्टे के बाद भी याचिकाकर्ताओं को मेंस में बैठने दिया था और कोई रोक नहीं लगाई। इस पर बेंच ने पूछा कि यह इतना जरूरी है कि इसे अभी सुना जाए, इस पर एजी ने कहा नहीं। हालांकि याचिकर्ता उम्मीदवारों के अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने सुनवाई पर जोर दिया और कहा कि अब मेंस 2023 का भी रिजल्ट आना है, लेकिन बेंच ने इसमें दो सप्ताह बाद सुनवाई की बात कही। कारण है कि अब नए चीफ जस्टिस की नियुक्ति हो गई है, ऐसे में रेगुलर बैंच द्वारा ही सुनवाई की जाएगी।
यह है पूरा मामला
राज्य सेवा परीक्षा प्री 2023 दिसंबर में हुई थी और फिर जनवरी 2024 में रिजल्ट आकर मात्र 50 दिनों में ही इसकी मेंस भी मार्च में आयोजित कराई गई। प्री के रिजल्ट के बाद 150 से ज्यादा उम्मीदवारों ने आंशर की को लेकर सवाल उठाए जो करीब सात सवालों पर थे। हालांकि बेंच ने केवल दो सवालों को संज्ञान में लिया और उन पर पीएससी के आंसर को गलत बताया। इसमें सभी याचिकाकर्ता जिन्होंने आपत्ति लगाई थी उन्हें सशर्त मेंस में बैठने के आदेश हुए, लेकिन डिटेल आर्डर जारी नहीं किया। बाद में राज्य सेवा मेंस होने के बाद 16 मई को डिटेल आर्डर आया और दो सवालों को गलत बताया और साथ ही कहा कि नए जवाब के आधार पर राज्य वन सेवा 2023 प्री का रिजल्ट रिवाइज किया जाए और मेंस कराई जाए, क्योंकि तब तक राज्य सेवा की तो मेंस हो गई लेकिन वन सेवा की बाकी थी। इस फैसले के खिलाफ आयोग तत्काल अपील में चला गया और स्टे ले आया। तभी से यह केस चल रहा है।
यह दो सवालों को लेकर था फैसला
प्रेस की स्वतंत्रता वाले विलियम बैंटिंक के सवाल को हाईकोर्ट ने गलत माना था और इसी तरह कबड्डी संघ के मुख्यालय के सवाल पर भी पीएससी के जवाब को गलत माना और नया आंसर दूसरा बताया। इन दो सवालों के आधार पर जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा कि इन दो सवालों का लाभ केवल हाईकोर्ट आने वालों को नहीं बल्कि सभी प्रभावित उम्मीदवार को मिलेगा। यानि यह सभी उम्मदीवार जो इन दो सवालों के कारण कटऑफ पर अटक गए थे, वह सभी इसका लाभ लेने वालों में आ सकते हैं। इसी आधार पर जस्टिस ने कहा कि वन सेवा क्योंकि नहीं हुई तो इसका प्री का रिजल्ट संशोधित किया जाए और इसी आधार पर मेंस हो। लेकिन राज्य सेवा मेंस 2023 हो चुकी है इसलिए इसके लिए अलग से आदेश नहीं हो सकते हैं लेकिन इन सवालों का लाभ लेन के सभी पात्र है जो एक पर लागू वह सभी पर भी होगा। इसके बाद आयोग ने अपील दायर की और स्टे लिया।
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