स्टार्टअप और एमएसएमई को भी मिलना चाहिए बराबर का मौका, नहीं चलेंगे बड़े खिलाड़ियों के लिए बनाए गए टेंडर नियम

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने MSME और स्टार्टअप्स के लिए निविदा नियमों में भेदभाव को नकार दिया है। जबलपुर नगर निगम के टेंडर में छोटे उद्यमियों को अनुभव और टर्नओवर के आधार पर चयन से बाहर किया गया।

author-image
Neel Tiwari
New Update
msme-startup-discrimination-tender-rules

AI Generated Image Photograph: (the sootr)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

JABALPUR. एक और जहां सरकार स्टार्टअप और एमएसएमई उद्यमियों को अलग-अलग योजनाओं के तहत बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है तो वहीं विभागों के द्वारा ही जारी की जा रही निविदाओं के नियम ऐसे हैं कि उसका फायदा सिर्फ पूंजीपति बड़े खिलाड़ियों को मिल रहा है। ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए यह आदेश जारी किया है कि एमएसएमई और स्टार्टअप्स को भी भागीदारी का पूरा मौका दिया जाए। 

जबलपुर के उद्यान विभाग के द्वारा श्रमिकों की भर्ती के लिए एजेंसियों से निविदाएं मंगाई गई थी। इस टेंडर के जरिए नगर निगम जबलपुर उद्यान विभाग  को 20 प्रशिक्षित माली और 200 अप्रशिक्षित मजदूर उपलब्ध कराने के लिए एजेंसियों ने टेंडर भरे थे। पर इस निविदा के नियम कुछ ऐसे थे कि एमएसएमई और स्टार्टअप इसमें भाग तो जरूर ले सकते थे पर उनका चयनित होना असंभव था।

टर्नओवर और अनुभव के आधार पर लघु उद्यमियों से भेदभाव 

जबलपुर नगर निगम द्वारा 20 प्रशिक्षित माली और 200 अप्रशिक्षित मजदूरों के लिए निकाले गए इस टेंडर में निविदा शुल्क और अमानत राशि पर तो एमएसएमई को छूट दी गई थी लेकिन तकनीकी योग्यता में स्टार्टअप्स और एमएसएमई को छूट से दरकिनार किया गया। इस टेंडर में एजेंसी का आकलन कुल 100 अंकों पर होना था। जिसमें अंकों की गणना कुछ इस तरह की गई थी कि आवेदन करने वाली एजेंसी के पास यदि शासकीय उपक्रम अथवा अन्य में 5 वर्ष तक का अनुभव है तो उन्हें 10 अंक दिए जाएंगे।

इसी तरह 10 वर्ष तक के अनुभव के लिए 15 और 10 वर्ष से अधिक अनुभव के लिए 20 अंक दिए जाएंगे। इसी तरह 5 करोड़ से अधिक के वर्क आर्डर पर 20 अंक और उससे कम के वर्क आर्डर अनुभव पर 10 अंक निर्धारित किए गए थे। एजेंसी के टर्नओवर भी 5 करोड़ तक होने पर 10 अंक, 10 करोड़ होने पर 15 अंक और 10 करोड़ से अधिक के टर्नओवर वाली एजेंसी को 20 अंक दिए जाने के नियम बनाए गए और इसके बाद टेंडर में क्लॉज रखा गया है कि जो भी एजेंसी 80% अंक प्राप्त नहीं करती वह सेलेक्ट नहीं होगी।

इससे यह साफ हो गया कि कम टर्नओवर और अनुभव वाली एमएसएमई और स्टार्टअप एजेंसियां इस टेंडर को प्राप्त कर ही नहीं सकती। इसी भेदभाव को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई जिसकी सुनवाई के जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच में हुई।

ये भी पढ़ें... युद्ध में खतरे का संकेत कैसे बना सायरन? एमपी में 54 साल बाद बदलने की तैयारी

सिर्फ बड़े खिलाड़ियों को मौका देने नहीं बन सकते नियम - HC 

इस मामले में शासन की ओर से अधिवक्ता नहीं है तथ्य रखा की निविदा में प्रशिक्षित मजदूरों से जो काम कराया जाना है वह ऐसी जगह पर होगा जहां पर सांप बिच्छू भी हो सकते हैं इसलिए ऐसी एजेंसी की आवश्यकता है जो बेहद अनुभव रखती हो।

हाई कोर्ट ने इस तथ्य को सिरे से नकारते हुए यह कहा किस काम के लिए आपको वह मजदूर चाहिए जो अनुभवी हो, ना कि एजेंसी। हाई कोर्ट ने साफ किया कि अनुभव के आधार पर स्टार्टअप और एमएसएमई को रोकने के विरुद्ध बनाए गए नियम नहीं चलेंगे। 

ये भी पढ़ें... सीएम मोहन ने कर्नल सोफिया की तारीफ, पाक को सुनाई खरी-खोटी, बोले-अभी हमारे अधिकारी मर्यादा में

स्टार्टअप और एमएसएमई भी लेंगे निविदा में भाग सिलेक्शन प्रोसेस में नहीं चलेगी मनमानी 

जबलपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की डिविजनल बेंच ने आदेश जारी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को निविदा में भाग लेने की पूरी छूट है और भेदभाव सहित बनाए गए इन नियमों के आधार पर उनका टेंडर निरस्त नहीं किया जा सकता है।

इससे यह साफ हो गया है कि एक तरफ एमएसएमई और स्टार्टअप को बढ़ावा देना और दूसरी तरफ उनको ही रोकने के लिए बनाए गए इस तरह के नियम जैसे दोहरे मापदंड नहीं चलेंगे।

Jabalpur हाईकोर्ट नगर निगम जबलपुर नियम स्टार्टअप टेंडर एमएसएमई