नगर निगम के 150 करोड़ रुपए के फर्जी बिल घोटाले में चारों ओर सन्नाटा पसरा है। इंजीनियर अभय राठौर के गिरफ्तार होने के बाद आगे की जांच बंद है। उधर गिरफ्तार आरोपी लगातार जमानत के आवेदन लगा रहे हैं, जिसमें अभी तक केवल निगम के कर्मचारी मुरलीधर की जमानत हाईकोर्ट से हुई है। वहीं जमानत के दौरान पुलिस से नए सबूत पेश हो रहे हैं, इससे नए खुलासे हो रहे हैं। जल्द ही पुलिस को चालान भी पेश करना है।
भदौरिया ने कहा कि मेरे ऊपर 15 कर्मचारी
नगर निगम के सब इंजीनियर उदय उर्फ अंकुश भदौरिया जो राठौर का करीबी रिश्तेदार है, की जमानत याचिका खारिज हो गई है। इस जमानत आवेदन के दौरान भदौरिया ने कहा कि उसे गलत फंसाया गया है।
कम्प्यूटर में फाइल इंट्री करने के काम जिसे लिगेसी कहा जाता है उसके लिए इंजीनियर के पास आईडी, पासवर्ड होता है। मेरे पास यह फाइल 15 कर्मचारियों से होकर आती है, मेरे पास इंकार करने का कोई अधिकार नहीं होता है, इसलिए इंट्री करते थे।
शासकीय अधिवक्ता ने बताया राठौर देता था दस हजार
वहीं शासन की ओर से अपर लोक अभियोजक श्याम दांगी ने बताया कि भदौरिया भी इस पूरे घोटाले में लिप्त है। राठौर द्वारा इस काम के लिए उसे हर फाइल की एंट्री में दस हजार रुपए देता था, जो वह और चेतन भदौरिया बांट लेते थे।
यह सभी फर्जी फाइल थी जो ठेकेदारों द्वारा बनाई गई है। फर्जी काम के लिए भुगतान की राशि का 50 फीसदी राठौर को मिल रहा था। ठेकेदार जाकिर अधिकारियों की फर्जी साइन करता था। सभी ने मिलकर यह घोटाला किया है। सभी तर्कों को सुनने के बाद भदौरिया की जमानत याचिका खारिज हो गई।
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