सफाई में नंबर वन इंदौर नगर निगम तेजी से घोटालों में फंसती जा रही है। करीब 150 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले का मामला सामने ही आया है और अब केंद्र की JNNURM (जेएनएनयूआरएम) योजना के तहत सीवरेज प्रोजेक्ट में 60 करोड़ का घोटाला भी आ गया है।
इसमें निगम के 17 इंजीनियर जांच के दायरे में हैं, जिनकी विभागीय जांच चल रही है। यह खुलासा मप्र विधानसभा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के सवाल पर नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के जवाब से हुआ है।
उमंग सिंघार के सवाल और मंत्री विजयवर्गीय के जवाब
- सिंघार- इंदौर नगर निगम में जेएनएनयूआरएम के तहत सीवरेज प्रोजेक्ट हुआ था, इस पर कितनी राशि खर्च की गई।
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय- हां प्रोजेक्ट हुआ, इसमें 285 करोड़ का व्यय हुआ। - सिंघार- क्या प्रोजेक्ट में सीवरेज लाइन डालने में गड़बड़ी पाई गई, नागपुर की कंपनी से सर्वे पर कितना खर्च हुआ
मंत्री विजयवर्गीय- ईस्ट, बीआरटीएस, सेंट्रल व सर्वे रिपोर्ट में लाइनों में कुछ जगह पर लेवल डिफरेंस, चेंबर व पाइप मिसिंग आदि पाया गाय। राशि 81.30 लाख का भुगतान सर्वे में हुआ। - सिंघार- क्या प्रोजेक्ट में गड़बड़ी सुधारने के लिए 80 करोड़ खर्च हुए, इसके लिए जिम्मेदार 18 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच हुई? उस जांच की क्या स्थिति है?
मंत्री विजयवर्गीय- इसमें 60 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं अभी तक, तब पदस्थ 17 इंजीनियरों के खिलाफ विभागीय जांच हो रही है। जांच में इंजीनयिर के कथन आदि की कार्रवाई चल रही है। कार्रवाई अधीक्षण यंत्री, सहायक यंत्री व उपयंत्री स्तर के अधिकारियों की है। - सिंघार- ठेकेदार फर्म से गड़बड़ी की कितनी राशि वसूली के लिए आदेश हुए हैं? वसूली के लिए क्या हुआ
मंत्री विजयवर्गीय- राशि करीब 60 करोड़ रुपए की वसूली ठेकेदार फर्मों से किए जाने के निर्देश लोकायुक्त द्वारा दिए गए हैं। जिस पर कार्रवाई हो रही है।
हनी ट्रेप में फंसे इंजीनियर सिंह सहित इनकी हो रही जांच
इस घोटाले में निगम के प्रोजेक्ट आफिसर के साथ ही अधीक्षण यंत्री जो हरभजन सिंह (हनी ट्रेप के फरियादी) उनके खिलाफ जांच चल रही है। इसमें ज्ञानेंद्र सिंह जादौन, डीआर लोधी, अनूप गोयल, गीता आरोरा, संजीव श्रीवास्तव, अबिवन जनपदे प्रमुख तौर पर प्रोजेक्ट अफिसर थे।
यह है पूरा मामला
साल 2008 से 2013 के बीच में जेएनएनयूआरएम के तहत सीवेरज लाइन प्रोजेक्ट चला। सेंट्रल इंदौर में लाइन नागार्जुन कंपनी ने डाली, ईस्ट में सिम्पलेक्स में और आईडीए के बीआरटीएस प्रोजेक्ट में प्रतिभा इंडस्ट्रीज द्वारा लाइन डाली गई।
इसमें लाइन पूरी तरह गलत डाली गई। निगम को एक शिकायत मिलने पर जब जांच हुई और चेंबर खुलवाकर देखे गए तो भारी गड़बड़ी मिली। इसमें तय हुआ कि लाइन बदलना होगी, इसमें 60 करोड़ रुपए ठेकेदारों और प्रोजेक्ट ऑफिसर्स की गलती से लग गए।
तत्कालीन निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने इसमें एक जांच कमेटी बना दी और सभी आरोपी 17 इंजीनियरों की जांच बैठा दी, जो अभी भी जारी है। वहीं किसी भी ठेकेदार से अभी कोई खास वसूली नहीं हो सकी है।
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