नर्मदा के तट से 300 मीटर दूरी तक नो कंस्ट्रक्शन जोन मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अब एसडीएम जांच कर तय करेंगे की अभी की स्थिति में नर्मदा का तट कहां तक है और निर्माणों की इससे दूरी कितनी है।
दयोदय पशु संवर्धन केंद्र तिलवारा का मामला
नर्मदा मिशन और समर्थ गौ चिकित्सा केंद्र के द्वारा साल 2019 में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसमें तिलवारा क्षेत्र में नर्मदा नदी के पास हो रहे दयोदय पशु संवर्धन केंद्र के साथ ही परिसर में हो रहे अन्य निर्माणों को चुनौती दी गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट में हुई पिछले कुछ वर्षों की सुनवाई के दौरान अदालत के आदेश के बाद तहसीलदार के द्वारा दयोदय तीर्थ की नर्मदा तट से दूरी नापी भी गई थी। जो 380 मीटर थी। लेकिन अब इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने यह आपत्ति लगाई है नर्मदा का तट गलत ढंग से नापा गया है।
गर्मियों में नापा गया नर्मदा का तट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सहित सरकार के द्वारा जारी आदेशों के अनुसार नर्मदा नदी से 300 मीटर दूरी तक किसी भी तरह का निर्माण नहीं कराया जा सकता, लेकिन गर्मी और बरसात के दिनों में नर्मदा की तट सीमा अलग-अलग होती है। सुनवाई के दौरान शासन के द्वारा कोर्ट के समक्ष जो रिपोर्ट पेश की गई थी उसे याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने गलत बताया , क्योंकि उस रिपोर्ट में नर्मदा नदी के तट को गर्मियों के दिनों में तब नापा गया था जब नर्मदा नदी में पानी कम होता है।
आज की स्थिति में तय होगा नर्मदा का तट
जबलपुर हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ के समक्ष इस मामले में प्रतिवादी बनाए गए दयोदय पशु संवर्धन केंद्र की ओर से अधिवक्ता ने यह तथ्य रखा की उनका निर्माण नर्मदा तट से 380 मीटर की दूरी पर है और इसके साथ ही उन्हें नगर निगम सहित अन्य विभागों से अनुमति भी मिली हुई है। लेकिन याचिकाकर्ताओं की ओर से नर्मदा नदी के तट को सुनिश्चित करने के लिए जो आपत्ति रखी गई उसे कोर्ट ने स्वीकार किया और संबंधित एसडीएम को यह आदेश दिया है कि वह दयोदय पशु संवर्धन केंद्र की नर्मदा नदी से दूरी को नापेंगे। एसडीएम को इसकी रिपोर्ट अगली सुनवाई मे वीडियो और फोटोग्राफ्स सहित अदालत को सौंपने के लिए आदेशित किया गया है।
सभी पक्षों के सामने होगी जांच
इस मामले में हाईकोर्ट ने एसडीएम को आदेशित किया है कि यह जांच 3 सितंबर 2024 को दोपहर 12 बजे होगी। इस जांच के दौरान आवेदक और अनावेदक पक्ष भी वहां पर मौजूद रह सकेंगे पर किसी को भी इस कार्यवाही में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं होगी। इस मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर 2024 को होगी।
नहीं चाहते कि बने दिल्ली जैसी स्थिति : हाईकोर्ट
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव सचदेवा ने टिप्पणी कर कहा कि इस मामले में नर्मदा की तट सीमा निर्धारित करना बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि नो कंस्ट्रक्शन जोन में यदि एक निर्माण को भी अनुमति मिलती है । तो उसके बाद वहां धीरे-धीरे बसाहट जमने लगती है । हाल ही मे ऐसा ही मामला दिल्ली मे भी सामने आया था। जिसके बाद हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा था। कोर्ट यह नहीं चाहती कि ऐसी स्थिति जबलपुर में भी बने। इसके बाद नर्मदा नदी के तट को सुनिश्चित करने के लिए यह आदेश हाईकोर्ट ने दिया।
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