MP News: मध्य प्रदेश के डिंडोरी के तृतीय अपर सत्र न्यायालय ने डॉ नसीम बानो की जमानत याचिका खारिज कर दी है। डॉ बानो पर आरोप है कि उन्होंने धर्म और देश विरोधी पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा की।कोर्ट ने कहा कि आतंकवादी घटनाओं के बाद, क्रूर आतंकवादियों की तुलना जय श्रीराम के नारे से करना और हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करना एक गंभीर अपराध है। इस तरह की पोस्टों से देश विरोधी भावनाएं पैदा होती हैं, और इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने इस मामले को अत्यंत गंभीर माना, और यह साफ किया कि जमानत मिलने से समाज में गलत संदेश जाता।
कैसे हुई गिरफ्तारी
मामला तब सामने आया जब पुलिस ने 24 अप्रैल को डॉ बानो के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इससे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने सिटी कोतवाली के सामने विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद पुलिस ने 28 अप्रैल को आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया और न्यायालय ने उन्हें डिंडोरी जेल भेज दिया था।
बुधवार को जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान वकीलों ने कड़ा विरोध किया। उन्होंने न्यायालय के समक्ष यह तर्क रखा कि आरोपी ने वह पोस्ट उस संवेदनशील समय में शेयर की थी, जब पहलगाम में आतंकवादियों ने 27 निर्दोष हिंदुओं की हत्या की थी। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष यूके पटेरिया, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवेश कनौजे, और राममिलन यादव ने इस कृत्य को देश और धर्म विरोधी बताया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आरोपी को जमानत मिलती है तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा।
कॉलेज का फैसला
यह मामला सामने आने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें पद से हटा दिया। आदर्श कॉलेज से उनका अनुबंध समाप्त कर दिया गया है और ब्लैकलिस्टेड करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। कॉलेज प्रशासन ने इस कृत्य को गंभीर मानते हुए आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की।
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दमोह में भी हुई थी गिरफ्तारी
दमोह में भी दो युवकों को आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। जबलपुर के एसपी, संपत उपाध्याय ने नागरिकों से सोशल मीडिया पर भड़काऊ या विवादित सामग्री पोस्ट करने से बचने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पुलिस सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रख रही है और ऐसे किसी भी पोस्ट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जो शांति को भंग करने का कारण बने। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं और कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अतिथि शिक्षक की जमानत याचिका का खारिज होना समाज में एक कड़ा संदेश देता है कि ऐसे कृत्य किसी भी सूरत में सहन नहीं किए जाएंगे। यह फैसला इस बात को रेखांकित करता है कि ऐसे अपराधों को गंभीरता से लिया जाएगा और उचित कार्रवाई की जाएगी।