नवरात्रि के पावन अवसर पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का महत्व है। हर दिन एक अलग स्वरूप की आराधना की जाती है, जो श्रद्धालुओं को शक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद देती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिनमें हर दिन अलग-अलग देवी की आराधना होती है। प्रमुख मंदिरों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री के मंदिर शामिल हैं।
शैलपुत्री माता मंदिर (बारामूला, कश्मीर)
नवदुर्गा में माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिनमें पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा आराधना की जाती है। शैलपुत्री यानी हिमालय सुता भगवती पार्वती। माता शैलपुत्री का मंदिर काशी में वरूणा सरिता के निकट अवस्थित है, यहां माता सुंदर स्वरूप में विराजमान है। नवरात्र में देश भर से श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं। कश्मीर के झेलम के किनारे बारामूला में देवी शैलपुत्री का मंदिर है, जो माता खीर भवानी की नौ बहनों में से एक हैं। ऐसा माना जाता है कि केवल कुमारी कन्याएं ही मंदिर के अंदर भोग और साफ- सफाई का कार्य करती हैं।
ब्रम्हचारिणी माता मंदिर (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
द्वितीय दिवस माता ब्रम्हचारिणी की पूजा की जाती है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में ही कर्णघंटा क्षेत्र में मां ब्रम्हचारिणी देवी का मंदिर अवस्थित है, मां गंगा के किनारे बालाजी घाट पर स्थित इस मंदिर में भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाला मंदिर स्थित है। ब्रम्ह चारयितुं शीलं यस्या: सा ब्रम्हचारिणी अर्थात जो सच्चिदानंद ब्रम्हस्वरूप की प्राप्ति कराना जिनका स्वभाव हो वे ब्रम्हचारिणी हैं।
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चंद्रघण्टा माता मंदिर (प्रयागराज व काशी, उत्तर प्रदेश)
नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघण्टा की पूजा होती है। त्रिवेणी संगम की नगरी प्रयागराज में और वाराणसी में भी मां चंद्रघण्टा का मंदिर स्थित है, जहां नवरात्र पर भक्तों की भीड़ लगती है। जो चंद्रमा की भांति शीतल, ज्ञान- प्रकाशदायिनी हैं, उन्हें चंद्रघण्टा कहा जाता है। माता चंद्रघण्टा के मस्तक पर घण्टे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। तमिलनाडू के कांचीपुरम में भगवती चंद्रघण्टा के रूप में देवी पूजा की जाती है।
कूष्मांडा माता मंदिर (घाटमपुर, कानपुर, उत्तर प्रदेश)
नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के घाटमपुर कस्बे में देवी कूष्मांडा का प्राचीन मंदिर अवस्थित है। यहां देवी पिंडी स्वरूप में दो मुख के साथ विराजी है। यहां पर पिंडी से हमेशा जल रिसता रहता है, जो श्रद्धालुओं को आश्चर्यचकित करता है, इस जल को पवित्र और माता का आर्शीवाद मानकर श्रद्धालु अपने माथे पर लगाते हैं। मराठा शैली में निर्मित मंदिर की निर्माण तिथि पर इतिहासकार एकमत नहीं है।
स्कंदमाता मंदिर (विदिशा, मध्यप्रदेश/काशी उत्तर प्रदेश)
माता के पांचवे स्वरूप के रूप में देवी स्कंदमाता प्रतिष्ठित है। वाराणसी के जगतपुरा क्षेत्र के बागेश्वरी देवी मंदिर परिसर में देवी विग्रह की गोद में स्कंद बालरूप में विराजमान है। इसके अलावा माता का एक अन्य मंदिर विदिशा में जहां देवी दुर्गा की पूजा स्कंदमाता स्वरूप में होती है। तमिलनाडू के सेलम के निकट स्कंदगिरी पर भी देवी दुर्गा स्कंदमाता के स्वरूप में विराजमान हैं।
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मां कात्यायनी मंदिर (वृंदावन, उत्तर प्रदेश)
श्रीधाम वृंदावन में मां कात्यायनी का प्राचीन मंदिर अवस्थित है। नवरात्र के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है। महर्षि कात्यायन के तप से प्रसन्न देवी मां ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया था। मान्यता है कि कात्यायनी शक्तिपीठ पर राधारानी ने श्रीकृष्ण को पति रूप में वरने के लिये देवी कात्यायनी की आराधना की थी।
कालरात्रि माता मंदिर (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
सप्तम दिवस मां कालरात्रि की पूजा नवरात्र में की जाती है। कालरात्रि स्वरूप में माता ने असुरों का संहार किया। इसलिए उनकी प्रतिमा उग्र स्वरूप में पूजी जाती है। वाराणसी में मां कालरात्रि का मंदिर दशाश्वमेध मार्ग पर अवस्थित है। बिहार के सोनपुर के नयागांव डुमरी में भी मां कालरात्रि का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां पिंडी रूप में मां कालरात्रि विराजमान हैं।
महागौरी माता मंदिर (काशी, उत्तर प्रदेश)
बाबा की नगरी काशी विश्वनाथ के निकट स्थित अन्नपूर्णा देवी मंदिर में स्थित विग्रह को मां महागौरी की मान्यता दी गई है। ऐसा कहा जाता है कि महादेव को वर रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने कठोर तप किया था, जिससे उनका रूप कृष्ण वर्णी हो गया था। देवी पार्वती के तप से प्रसन्न होकर शंकर जी ने गंगा जल से देवी की कांति को पुन: लौटाया था। देवी शक्ति के आठवें रूवरूप के रूप में मां महागौरी को पूजा जाता है।
सिद्धिदात्री माता मंदिर (छिंदवाणा, मध्य प्रदेश)
नवरात्र के नवम दिवस की देवी मां सिद्धिदात्री का प्रसिद्ध मंदिर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में है। चतुर्भुज रूप में माता कमल पुष्प पर विराजमान हैं। समस्त सिद्धियों की दात्री मां सिद्धिदात्री का एक मंदिर वाराणसी में भी है।
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