महाराष्ट्र में हिंदी–मराठी विवाद: मप्र में NCP ने कहा- महाराष्ट्र में पहली कक्षा से हिंदी लागू करने का फैसला कैबिनेट लेगी

नवनियुक्त प्रदेश महासचिव गुलाब सिंह राजावत ने हालही में महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर जारी विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि “राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मराठी भाषा की गरिमा का सम्मान करती है।

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Vishwanath Singh
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Sourabh987
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महाराष्ट्र में इन दिनों हिंदी को स्कूलों में छोटी कक्षा से लागू करने को लेकर हुए आदेश का जमकर विरोध हो रहा है। हालांकि हिंदी के विरोध में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया है। वहीं, अजीत पंवार की पार्टी NCP ने अब मध्यप्रदेश में अपनी ताकत बड़ाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। NCP का कहना है कि महाराष्ट्र में पहली कक्षा से हिंदी लागू करने का फैसला कैबिनेट लेगी।

हमारी पार्टी मराठी भाषा का सम्मान करती है

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नवनियुक्त प्रदेश महासचिव और प्रदेश प्रमुख प्रवक्ता गुलाब सिंह राजावत ने हालही में महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी भाषा को लेकर जारी विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि “राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मराठी भाषा की गरिमा का सम्मान करती है। महाराष्ट्र में मराठी की अपनी विशेष पहचान है और हम उसके महत्व को समझते हैं।” भारत की भाषाई विविधता देश की ताकत है, और किसी भी भाषा को जबरन थोपना ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मातृभाषा का ज्ञान हर बच्चे के लिए जरूरी है, लेकिन इसके साथ-साथ अन्य भाषाओं का ज्ञान भी समय की मांग है।

हिंदी को लेकर यह बोले थे राज ठाकरे

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे 20 साल बाद शनिवार को एक साथ आए थे।  इस दौरान राज ठाकरे ने कार्यक्रम में कहा था कि, "उन्होंने देखा कि जब महाराष्ट्र में आग लगी थी तो क्या हुआ था, इसलिए वे पीछे हट गए। हिंदी भाषी राज्य आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। गैर-हिंदी भाषी राज्य आर्थिक रूप से उन्नत हैं। कौन हिंदी सीखना चाहता है? क्या आप पांचवीं कक्षा के बाद हिंदी फिल्म उद्योग में जाना चाहते हैं? कोई भी भाषा महान है। हर भाषा को महान बनाने के लिए बहुत इच्छाशक्ति चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा था कि मुझे नहीं पता कि अचानक हिंदी कहां से आ गई। हिंदी क्यों? किसके लिए हिंदी? आप इसे उन छोटे बच्चों पर थोप रहे हैं। आप शिक्षाविदों से पूछना नहीं चाहते। आपके पास ताकत है और आप इसे थोपेंगे। अगर आपके पास ताकत है, तो वह विधान भवन में होगी। हमारे पास सड़कों पर ताकत है।

भाषाई विविधता का समर्थन

एनसीपी की तरफ से यह भी कहा गया कि—
भारत में सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए।
मराठी भाषा की अनिवार्यता महाराष्ट्र में रहने वालों के लिए तार्किक और आवश्यक है।
मातृभाषा सीखने के साथ ही बच्चों को अन्य भाषाएं भी सिखाई जानी चाहिए, ताकि वे देश और दुनिया से संवाद कर सकें।
उन्होंने स्पष्ट किया कि NCP की नीति किसी भी भाषा को थोपने के खिलाफ है और वह संविधान में वर्णित भाषाई विविधता के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध है।

हिंदी थोपने के विरोध में पार्टी का रुख

एनसीपी ने कहा कि “हमारा इरादा पहली कक्षा से हिंदी लागू करने का नहीं है। इस मुद्दे पर कैबिनेट में चर्चा की जाएगी, लेकिन मेरी सोच हमेशा स्पष्ट रही है कि बच्चों पर अनावश्यक भाषाई दबाव नहीं डाला जाना चाहिए।”

महाराष्ट्र के लोगों के साथ एकजुटता

इंदौर के राजावत ने कहा कि “हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं और चाहते हैं कि राज्य व केंद्र सरकार मराठी भाषा के महत्व को समझते हुए निर्णय लें। NCP हमेशा सांस्कृतिक विरासत और भाषाई सम्मान की नीति पर चली है।”

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