मध्यप्रदेश को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (MPCDF) द्वारा संचालित दुग्ध ब्रांड सांची (Sanchi) का टेकओवर अब केंद्र सरकार का उपक्रम नेशनल डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board) कर सकता है। सांची के अधिग्रहण को लेकर कल मंगलवार 10 सितंबर को पशुपालन व डेयरी विभाग और एनडीडीबी के बीच भोपाल में बैठक होगी। बैठक में अधिग्रहण पर फैसला होने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट भेजा जाएगा। प्लान पर सरकार की मुहर लगने के बाद एनडीडीबी को सांची के संचालन के अधिकार सौंपे जा सकते हैं। इसके बाद एनडीडीबी के पास संचालन की पूरी जिम्मेदारी होगी।
ब्रांडिंग के लिए ‘मदर डेयरी’ को उतारने की तैयारी
बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक नेशनल डेयरी विकास बोर्ड द्वारा टेकओवर कर लेने के बाद सांची के कई अधिकारियों को वीआरएस दिया जा सकता है। साथ ही एनडीडीबी के ब्रांड ‘मदर डेयरी’ को सांची की ब्रांडिंग के लिए मध्य प्रदेश में उतारा जा सकता है। एनडीडीबी कई राज्यों के डेयरी संघों को संकट से उबार चुका है। साल 1965 में स्थापित किया गया केंद्र सरकार का उपक्रम महाराष्ट्र, झारखंड, असम, त्रिपुरा समेत कई राज्यों में काम कर रहा है।
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30 जुलाई को 7 बिंदुओं पर हुआ था करार
इससे पहले 30 जुलाई को पशुपालन विभाग, एमपीसीडीएफ के साथ एनडीडीबी का सात बिंदुओं पर करार हुआ था। इसमें सांची के आधुनिकीकरण के साथ ही दुग्ध सहकारी समितियों के विस्तार के कई बिंदु शामिल थे। अधिग्रहण को लेकर तय किया गया था कि एनडीडीबी सांची की कार्यप्रणाली का अध्ययन करके एक महीने में रिपोर्ट पेश करेगा।
एनडीडीबी के भी सदस्य हैं गुलशन बामरा
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा (Gulshan Bamra) मप्र स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (MPCDF) के अध्यक्ष भी हैं। साथ बामरा एनडीडीबी के भी सदस्य हैं। जानकारी के मुताबिक बामरा को इस साल की शुरुआत में नियुक्त किया गया था। बता दें कि बोर्ड में दुग्ध सेक्टर से लंबे समय से जुड़े रहे नौकरशाहों को तीन साल के लिए जगह मिलती है।
संघों में व्याप्त अव्यवस्थाओं को दूर करना उद्देश्य
एमओयू के बाद 7 अगस्त को नेशनल डेयरी विकास बोर्ड की टीम ने भोपाल में एमपी स्टेट कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन कार्यालय का दौरा किया था। प्लांट और ऑफिस का हर डाटा नोट किया। संघ की संपत्तियों को भी सूची बनाई थी। अलग-अलग शहरों में दुग्ध संगठनों के ऑफिस का दौरा भी बोर्ड की टीमों ने किया है। एनडीडीबी ने एक माह में प्रदेश के सांची दुग्ध संघों का निरीक्षण किया है, जिसके बाद संघों में फैली अव्यवस्थाओं को दूर करने और उन्हें कर्ज से उबारने के लिए योजना पर काम किया जा रहा है।
ग्वालियर और जबलपुर में घाटा
बता दें कि मध्य प्रदेश में 24 हजार ग्राम पंचायतों में अभी 6 हजार दुग्ध सहकारी समितियां काम कर रही हैं। अभी भोपाल, इंदौर और उज्जैन में डेयरी लाभ चल रही है। तो ग्वालियर और जबलपुर दुग्ध संघ घाटे चल रहा हैं।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा का कहना है कि मंगलवार 10 सितंबर को आयोजित होने वाली बैठक का एजेंडा गोपनीय है। फिलहाल इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता। कैबिनेट में मामला जाने के बाद सब सार्वजनिक हो जाएगा।
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