पूर्व निगमायुक्त के चहेते इंजीनियर पर घूम रही बिल घोटाले में शंका की सुई, बचाने के लिए पुलिस लाइजनर जेजे हुआ सक्रिय

नगर निगम में स्वच्छता मिशन के तहत शहर में जगह-जगह शौचालयों का निर्माण किया गया। इन्हीं काम के लिए ग्रीन कंसट्रक्शन, नींव कंस्ट्रक्शन, किंग कंसट्रक्शन, क्षितिज इंटरप्राइजेस और जान्हवी इंटरप्राइजेस की इंट्री हुई थी।

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Pratibha ranaa
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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर नगर निगम  ( Indore Municipal Corporation ) के बिल घोटाले (जो अब 147 करोड़ रुपए का हो चुका है) का किंगपिन कौन है? इसके लिए अभी तक की जांच और पूर्व रिकार्ड में बार-बार पूर्व निगमायुक्त के चहेते इंजीनियर का नाम आ रहा है। इन पांचों फर्म की इंट्री इन्हीं इंजीनियर ने कराई थी ( Municipal Corporation Bill Scam )।

स्वच्छता मिशन में शौचालय बनाने से हुई इंट्री

नगर निगम में स्वच्छता मिशन के तहत शहर में जगह-जगह शौचालयों का निर्माण किया गया। इन्हीं काम के लिए ग्रीन कंसट्रक्शन, नींव कंस्ट्रक्शन, किंग कंसट्रक्शन, क्षितिज इंटरप्राइजेस और जान्हवी इंटरप्राइजेस की इंट्री हुई थी। यह इंट्री इन्हीं चहेते इंजीनियर द्वारा कराई गई थी। बाद में इंजीनियर और कंपनियों के कर्ताधर्ताओं के बीच अच्छा तालमेल हो गया। लेकिन निगमायुक्त के जाने के बाद यह इंजीनियर निगम में अनाथ से हो गए और इन्हें लगातार आ रही शिकायतों और इसी तरह की कुछ और मिली संदिग्ध फाइल के चलते ड्रेनेज विभाग से निकाल दिया गया। 

खूब जतन किए साहब से दबाव डलवाया लेकिन पाल नहीं मानी

बाद में निगमायुक्त जब शहर में फिर लौटे तो लगातार उनके ऑफिस जाकर निगमायुक्त प्रतिभा पाल को फोन करवाए कि इन्हें वापस ड्रेनेज में लिया जाए। लेकिन इंजीनियर की लगातार आ रही शिकायतों के चलते वापसी नहीं कराई गई। आशंका इसी बात की है इसी दौरान फुर्सत में बैठे इंजीनियर और इन पांचों फर्जी कंपनियों ने मिलकर यह फर्जी बिल घोटाले का खेल रच दिया। 

फंस सकते हैं, इसलिए पुलिस लाइजनर जेजे हुए सक्रिय

शासकीय अधिवक्ता राजेश जोशी हाईकोर्ट में पहले ही कह चुके हैं कि घोटाला 50 करोड़ का हुआ है और 100 करोड़ तक जा सकता है और निगम के अधिवक्ता कह चुके हैं कि इस पूरे घोटाले में निग की अंदरूनी गैंग सक्रिय है। इसलिए इस मामले में इंजीनियर को भी भनक लग चुकी है कि वह उलझ सकते हैं, ऐसे में उन्होंने अपना जोर लगाना शुरू कर दिया है और इसके लिए मप्र और इंदौर में पुलिस विभाग के सबसे सक्रिय लाइजनर जेजे की मदद ली। जेजे इस मामले में अब अहम भूमिका में आ रहा है और पूरे मामले में यही कोशिश की जा रही है कि इंजीनयर और करीबी को बचा लिया जाए और इस मामले में सारा ठीकरा ऑडिटर शाखा के साथ ही इन फर्जी कंपनियों और लेखा विभाग के कुछ लोगों पर फोड़ दिया जाए। इस मामले में जेजे ने थाना स्तर से लेकर उच्च स्तर तक मेल-मुलाकात, चर्चा का दौर शुरू कर दिया है। 

8 फरवरी को चली थी इस घोटाले में जांच की पहली फाइल

लेखा विभाग से पहली बार फरवरी 2024 में इन कंपनियों के 28.76 करोड़ के बिल को लेकर संदेह जताया गया। इसमें 16 करोड़ रुपए का और भुगतान होना बाकी था। बाकी करीब 12 करोड़ रुपए का भुगतान देयक अगस्त 2022 से नवंबर 2022 के बीच हो गया। लेखा विभाग की फाइल के बाद तकत्कालीन निगमायुक्त हर्षिका सिंह सक्रिय हुई और अपर आयुक्त को मामला सौंपा, इसमें संदिग्ध होने का मामला और पुख्ता हुआ और 8 फरवरी 20214 को सिंह ने पूरे मामले में रिपोर्ट करने के लिए बोल दिया। 

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मोहम्मद साजिद (नींव कंस्ट्रक्शन), मोहम्मद सिद्दिकी (ग्रीन कंस्ट्रक्शन), रेणु वडेरा (क्षितिज इंटरप्राइजेस), राहुल वडेरा (जाह्नवी इंटरप्राइजेस)

मास्टरमाइंड ने फाइल गायब करा दी

यह हुआ ही था और इसकी चर्चा निगम के अंदरखाने में फैल गई कि जांच हो रही है और बड़ा घोटाला है। ड्रेनेज विभाग के इंजीनियर सुनील गुप्ता से मामले की पूरी फाइल रखने और जांच रिपोर्ट के लिए कहा गया। यह फाइल निगम कार्यालय से ही गुप्ता की कार की डिक्की से से 3 मार्च रविवार को चुरा ली जाती है। इसमें 5 मार्च को निगम द्वारा थाने में शिकायत दर्ज कराई गई, जिसमें अभी तक जांच जारी है।

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आडिट शाखा के तीन कर्मचारी निपटेंगे

नगर निगम की प्रारंभिक जांच में आडिट शाखा के जूनियर, सीनियर आडिटर व एक अन्य की गलती मानी गई है और इस पर कार्रवाई होना तय है। बताया जा रहा है कि इसके लिए निगम ने पहले ही प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन को पत्र लिख दिया है। वहीं इसके पहले विनियमितकर्मी सुनील भंवर व भूपेंद्र पुरोहित को निगमायुक्त पहले ही लेखा शाखा से ट्रेचिंग ग्राउंड ट्रांसफर कर दिया था, ताकि जांच प्रभावित नहीं हो। 

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पुलिस ने बढेरा के घर छापा मारा, 3 और FIR

उधर एमजी रोड पुलिस थाने में इन ठेकेदारों के खिलाफ तीन और एफआईआर दर्ज हो गई है। यह निगम से पुलिस द्वारा बाद में पकड़ी 16 फाइल जिसमें 21 करोड़ का घोटाला पाया था, उससे जुड़ी हुई है। यह सभी एफआईआर धारा 420, 467, 468, 471, 474, 120बी और 34 के तहत दर्ज हुई है। उधर बढेरा के डीबी सिटी स्थित मकान पर पुलिस ने छापा मारा, लेकिन दोनों आरोपी नहीं मिले हैं। 

  •    पहली एफआईआर 0134- 16 अप्रैल को- इसमें मोहम्मज सिद्दकी और उनके बेटे जाकिर व साजिक के साथ रेणु बडेरा और राहुल बडेरा आरोपी है। 
    -    दूसरी एफआईआर 0147- 26 अप्रैल को- इसमें साजिद, सिद्दकी और राहुल बडेरा है
    -    तीसरी एफआईआर-0148- इसमें सिद्दकी, जाकिर और रेणु बडेरा है।
    -    चौथी एफआईआर- 0149- इसमें साजिद आरोपी है।

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सिद्द्की के साथ बेटे जाकिर और साजिद के भी सरेंडर की संभावना

उधर शासकीय अधिवक्ता राजेश जोशी ने बताया कि सिद्द्की की जमानत खारिज हो चुकी है और हाईकोर्ट ने सात दिन के भीतर जिला कोर्ट में सरेंडर करने के आदेश दिए हैं, साथ ही कहा है कि इस दिन आरोपी की जमानत याचिका पर भी जिला कोर्ट सुनवाई करे। अधिवक्ता विकास राठी व आकाश राठी के जरिए सिद्द्की के बेटे जाकिर और साजिद ने भी जमानत याचिका लगाई है। इस पर सोमवार को सुनवाई हो सकती है और माना जा रहा है यह भी खारिज होगी और सभी एक साथ जिला कोर्ट में सरेंडर करेंगे। 

नौ साल में कंपनियों के नाम 147 करोड़ की बिलिंग

यह घोटाला जो पहले ड्रेनेज विभाग की 20 फाइलों में 28.76 करोड़ रुपए से शुरु हुआ था वह अब 147 करोड़ तक पहुंच गया है। इसके बाद पुलिस ने 16 और फाइल जब्त की जिसमें इन कंपनियों के 20 करोड़ का मामला था। वहीं निगम की जांच में 88 फाइल और अन्य विभागों की इन्हीं कंपनियों से जुड़ी सामने आई है। इसमें 99 करोड़ रुपए के भुगतान का मामला था। यह पूरा मामला साल 2015 से 2022 के बीच का है, जिसके काम के बिल लगाए गए हैं। बताया जा रहा है कि अभी तक निगम द्वारा 79 करोड़ रुपए का भुगतान भी हो चुका है। इसमें से कितने काम असल में हुए और कितने नहीं, निगम की टीम अभी इसी मुद्दे की जांच कर रही है।

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कांग्रेस के आरोप 12 निगम में 1800 करोड़ का घोटाला, सीबीआई जांच हो

उधर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश यादव ने इस घोटाले को प्रदेश स्तरीय करार दिया है और इसमें पीएम नरेंद्र मोदी से सीबीआई जांच की मांग की है। यादव ने कहा कि इस मामले में अब संभव है कि फाइल चोरी होने के साथ ही लेखा विभाग या कहीं पर आग लग जाए और मामलें को दबा दिया जाए। यादव ने आरोप लगाया कि इन निगम में इस तरह से 1800 करोड़ का घोटाला हो सकता है-
-    इंदौर नगर निगम में- 150 करोड़
-    भोपाल नगर निगम में- 270 करोड़
-    सागर में 120 करोड़, जबलपुर निगम में 220 करोड़, खंडवा में 109 करोड़,. बुरहानपुर में 109 करोड़, ग्वालियर में 195 करोड़, उज्जैन में 145 करोड़, रतलाम में 114 करोड़, रीवा में 129 करोड़, देवालस में 113 करोड़ और सतना नगर निगम में 124 करोड़ रुपए।

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