कमलेश सारड़ा, Neemuch. मध्य प्रदेश के नीमच में भ्रष्टाचार के मामले में जांच नहीं होने पर परेशान युवक ने अफसरशाही और सत्ता को जगाने का अनोखा तरीका अपनाया। शिकायतकर्ता मुकेश ने इस बार आवेदनों और सबूतों के कागजों की लंबी माला बनाकर खुद पर लपेटकर रेंगता हुआ कलेक्ट्रेट पहुंचा, जहां भ्रष्टाचार के मामले में नवागत कलेक्टर से जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की।
हजारों आवेदन की लाइन, रेंगने में फटे कपड़े
कलेक्ट्रेट में जब मुकेश आवेदनों की लंबी पूंछ बनाकर अजगर की तरह रेंगता हुआ पहुंचे मुकेश के कपड़े फट गए थे। मुकेश को सड़क से ऑफिस तक रेंग कर जाता देख हर कोई हैरत में पड़ गया। यहां तमाशबीनों की भारी भीड़ जुट गई। जनसुनवाई में पहुंचे मुकेश ने कलेक्टर हिमांशु चंद्रा को पूरा मामला बताया और भ्रष्टाचार के मामले में जांच की मांग की। कलेक्टर ने दोबारा पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए।
जानें पूरा मामला
दरअसल, नीमच जिले की पंचायत कांकरिया तलाई में निर्माण और विकास कार्यों के नाम पर तत्कालीन सरपंच और उसके पति पर करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोप गांव के मुकेश प्रजापत द्वारा लगातार लगाए जा रहे हैं। आवेदक मुकेश ने पंचायत कांकरिया तलाई में भ्रष्टाचार को लेकर कई बार शिकायत की, भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की मांग के लिए हजारों आवेदन और सबूतों के दस्तावेज सौंपे लेकिन मामले में कार्रवाई नहीं हुई।
लोकायुक्त और मुख्यमंत्री से भी शिकायत
मुकेश का कहना है कि उसने तथ्यों के साथ लोकायुक्त को भी शिकायत की, मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया लेकिन नीमच प्रशासन से लेकर शासन तंत्र कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। मुकेश ने बताया कि केवल कांकरिया तलाई में सवा करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ जिसके प्रमाण पेश किए लेकिन जनपद और जिला पंचायत जांच में भी भ्रष्टाचार कर रहे हैं। मुकेश ने तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ गुरुप्रसाद के भी भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाए और ईडी की जांच की मांग की। मामले में कलेक्टर ने गंभीरता जताते हुए जांच के निर्देश दिए।
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पूर्व में जांच हो चुकी है: एसडीएम
मामले में एसडीएम डॉ. ममता खेड़े का कहना है कि जिस पंचायत के संबंध में आरोप लगाया गया है उसकी पूर्व में जांच हो चुकी है क्योंकि मामला व्यक्ति विशेष के खिलाफ है फिर भी कलेक्टर ने वापस जांच करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग को कहा है।
बता दें कि मंदसौर जिले में भी इसी तरह एक पीड़ित किसान समस्या की सुनवाई न होने पर जनसुनवाई में जमीन पर लोट लगाते हुआ पहुंचा था। सरकार तक मामला पहुंचा तो कलेक्टर नप गये थे।
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