महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, यूपी, मप्र से लेकर दक्षिण के प्रदेश तक नेताओं की पत्नी और बेटियों को बीजेपी ने दिया टिकट !

लोकसभा चुनाव में बीजेपी परिवारवाद से बच नहीं पाई। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, यूपी, मप्र से लेकर दक्षिण के प्रदेश तक नेताओं की पत्नी और बेटियों को बीजेपी ने टिकट दिया है।

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Rahul Garhwal
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Nepotism in BJP tickets given to leaders wives and daughters in Lok Sabha elections

Nepotism In Lok Sabha Elections

हरीश दिवेकर, BHOPAL. इस नेपोटिज्म का क्या करें। जिधर देखो और उधर मुंह उठाकर चला आता है। नेपोटिज्म नाम का ये शब्द प्रचलन में तब आया जब बीजेपी की प्रत्याशी और फिल्म एक्ट्रेस कंगना रनौत ने इसे बॉलीवुड में खूब जोर-शोर से प्रचारित किया। राजनीति की भाषा में इसे परिवारवाद कहा जाता है। एक ही परिवार से एक या एक से ज्यादा लोगों का राजनीति में सक्रिय होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन बीजेपी जब से सत्ता में आई है परिवारवाद एक हौआ बन चुका है। जिस पर बीजेपी का हर नेता खासतौर से कांग्रेस को घेरता रहा है। दिलचस्प बात ये है कि खुद बीजेपी इस चुनाव में इस हौआ से खुद को बचा नहीं पाई है। मध्यप्रदेश ही नहीं कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक बीजेपी परिवारवाद की शिकार है।

सज गया लोकसभा चुनाव का मैदान

लोकसभा चुनाव 2024 का सियासी मैदान पूरी तरह सज चुका है। भारतीय जनता पार्टी नीत एनडीए और कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन इंडिया ने अधिकांश जगहों पर अपने-अपने दावेदारों के नाम भी ऐलान कर दिए हैं। दोनों तरफ से यानी कांग्रेस और बीजेपी ने देश के 8 बड़े राज्यों में करीब 50 महिला दावेदारों को मैदान में उतारा है। ये आठ राज्य कौन कौन से हैं। ये 8 राज्य हैं- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान।

नेताओं की पत्नी-बेटी को टिकट

दिलचस्प बात है कि इन आठों राज्यों में राजनीतिक पार्टियां ने जिन महिलाओं को टिकट दिया है, उनमें से 90 प्रतिशत महिलाएं या तो किसी बड़े राजनेता की पत्नी या पुत्री हैं। कांग्रेस तो परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिए बदनाम है ही, इस मामले में बीजेपी भी पीछे नहीं है। बिहार में तो लालू यादव ने अपनी दोनों बेटियों को मैदान में उतारने का मन बना लिया है। लालू की एक बेटी रोहिणी ने सारण सीट से कैंपेनिंग भी शुरू कर दी है। पाटलीपुत्र सीट से मीसा भारती के भी चुनाव लड़ने की चर्चा है।

बिहार

40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में इस बार राजनेताओं की 3 बेटियां मैदान में हैं। सारण और पाटलिपुत्र से लालू यादव की 2 बेटियां चुनावी समर में उतरी हैं। सारण से रोहिणी आचार्य और पाटलीपुत्र से मीसा भारती चुनाव लड़ने की तैयारी में है। समस्तीपुर से मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी मैदान में है। शांभवी को लोजपा (आर) ने टिकट दिया है। शांभवी के पहले जमुई से लड़ने की अटकलें थी, लेकिन आखिर वक्त में चिराग ने उन्हें समस्तीपुर शिफ्ट कर दिया। बिहार में पत्नियों को टिकट दिलाने में भी राजनेता पीछे नहीं हैं। एमएलसी दिनेश सिंह की पत्नी वीणा सिंह वैशाली से लोजपा (आर) के टिकट पर मैदान में है। इसी तरह बाहुबली आनंद सिंह की पत्नी लवली आनंद जेडीयू सिंबल पर शिवहर से लड़ रही हैं। सीवान से पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा की पत्नी विजय लक्ष्मी को भी जेडीयू ने टिकट दिया है। ये भी याद दिला दें कि ये दोनों ही दल बीजेपी के साथ अलायंस में हैं। 

उत्तर प्रदेश में पत्नी और बेटियों का दबदबा

उत्तर प्रदेश में भी हाल कुछ जुदा नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। यहां भी बेटियों और पत्नियों का दबदबा है। मिर्जापुर से कद्दावर नेता सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया एनडीए गठबंधन से मैदान में है। कैराना सीट से पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की बेटी इकरा हसन सपा के टिकट पर मैदान में हैं। सपा ने गोंडा से राकेश वर्मा की बेटी श्रेया वर्मा को टिकट दिया है। गाजियाबाद सीट से इंडिया गठबंधन प्रत्याशी डॉली शर्मा भी गाजियाबाद के नेता नरेंद्र भारद्वाज की बेटी हैं। अब बात करें पत्नियों की तो लालगंज सीट से बीजेपी ने राजेंद्र सोनकर की पत्नी नीलम सोनकर को मैदान में उतारा है। वहीं अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल को मैनपुरी सीट से प्रत्याशी बनाया है।

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का हाल

अब बात करते हैं मध्यप्रदेश की। साथ में राजस्थान और छत्तीसगढ़ की भी। हिंदी पट्टी के इन तीनों राज्यों में भी महिलाओं को टिकट देने के नाम पर राजनीतिक दलों ने परिवार के लोगों को मैदान में उतार दिया है। राजस्थान की नागौर सीट से बीजेपी ने राम प्रकाश मिर्धा की बेटी ज्योति मिर्धा को उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह जयपुर सीट से पार्टी ने भंवरलाल शर्मा की बेटी मंजू शर्मा को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने झालवाड़ा-बारां से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मीला को टिकट दिया है।

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने शहडोल सीट से हिमाद्री सिंह को प्रत्याशी बनाया है। हिमाद्री के पिता दलबीर सिंह इलाके के कद्दावर नेता थे। पार्टी ने बालाघाट सीट से भी खीरसागर पारधी की बेटी भारती पारधी को टिकट दिया है। आरएसएस से जुड़े खीरसागर पारधी बालाघाट जिला परिषद के सदस्य रह चुके हैं। खुद भारती पारधी पार्षद हैं। रतलाम से भी बीजेपी ने अनीता नागर सिंह चौहान को टिकट दिया है। अनीता मोहन यादव सरकार में मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी हैं और पहली बार ही लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। इस हिसाब से देखें तो बीजेपी का वो क्राइटेरिया भी यहां फेल हो जाता है कि परिवार के दो सदस्य सक्रिय राजनीति में नहीं रह सकते। अगर अनीता नागर सिंह चौहान जीत जाती हैं तो पति और पत्नी दोनों ही सक्रिय राजनीति में होंगे वो भी बीजेपी की ही। टिकट वितरण में कांग्रेस ने भी परिवारवाद को खूब तवज्जो दी है। पार्टी ने रीवा सीट से विधायक अभय मिश्रा की पत्नी नीलम मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है।

छत्तीसगढ़ के सरगुजा सीट से कांग्रेस ने तुलेश्वर सिंह की बेटी शशि सिंह को प्रत्याशी बनाया है। इसी तरह रायगढ़ सीट से पार्टी ने सारंगढ़ के पूर्व राजा नरेश चंद्र सिंह की बेटी मेनका देवी को टिकट दिया है। कोरबा सीट से ज्योत्सना महंत उम्मीदवार बनाई गई हैं। ज्योत्सना नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की पत्नी हैं। बात बीजेपी की करें तो पार्टी ने महासमुंद सीट से ओम प्रकाश चौधरी की पत्नी रूप कुमारी को टिकट दिया है। महाराष्ट्र में भी नेताओं की बेटियों को खूब तरजीह दी गई है। भारतीय जनता पार्टी ने बीड से पंकजा मुंडे को टिकट दिया है। पंकजा गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं। इसी तरह पार्टी ने हरिशचंद्र पटेल की बेटी भारती पवार को डिंडौरी से उम्मीदवार बनाया है। भारती केंद्र में अभी मंत्री भी है।

नंदूबार से हीना गावित उम्मीदवार बनाई गई हैं। हीना कद्दावर नेता विजय चंद्र गावित की बेटी हैं। एकनाथ खडसे की बहू रक्षा खडसे को बीजेपी ने रावेड़ सीट से प्रत्याशी बनाया है। अमरावती से उम्मीदवार बनी नवनीत राणा भी रवि राणा की पत्नी हैं। बारामती सीट से अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर इंडिया गठबंधन से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले मैदान में है। सोलापुर से कांग्रेस के टिकट पर सुशील कुमार शिंदे की बेटी परणीति शिंदे कांग्रेस की उम्मीदवार हैं।

कर्नाटक में भी राजनीतिक विरासत बचाने की जिम्मेदारी बेटियों को ही सौंपी गई है। कांग्रेस पार्टी ने बेंगलुरु साउथ से मंत्री रामालिंगा रेड्डी की बेटी सौम्या को टिकट दिया है। शिमोगा से पूर्व सीएम एस बंगरप्पा की बेटी गीता शिवराजकुमार को प्रत्याशी हैं। चिकोदी से कांग्रेस ने मंत्री सतीश जरकिहोली की बेटी प्रियंका जरकिहोली को मैदान में उतारा है। बागालकोट से शिवानंद पाटील की बेटी संयुक्ता पाटील पंजे के सिंबल पर चुनाव लड़ रही हैं।

इसी तरह एसएस मल्लिकार्जुन की पत्नी प्रभा दावणगेड़े से चुनाव लड़ रही हैं। बीजेपी ने भी यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री जीएम सिद्धेश्वर की पत्नी गायत्री को मैदान में उतारा है। झारखंड में भी नेताओं की पत्नियां पूरे दम से मैदान में हैं। दुमका से बीजेपी ने दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन, सिंहभूम से मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा और कोडरमा से रमेश यादव की पत्नी अन्नपूर्णा देवी को प्रत्याशी बनाया है।

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परिवार की कालिख से नहीं बचा कोई दल

अब इसे आप फीमेल पावर कहें या फिर परिवारवाद कहें। फिलहाल ये तो कहा ही जा सकता है कि परिवारवाद वो कोयले की खान है, जिसकी कालिख से कोई दल नहीं बच सका हो। फिर वो चाहें कांग्रेस हो या बीजेपी ही क्यों न हो।

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