News Strike : कहां हैं नेताजी में आज बात करेंगे एक ऐसी नेता का जो अपने साथ एक पूरी राजसी विरासत साथ लेकर चल रही थी। जिसने अचानक ये ऐलान किया कि वो अब चुनावी राजनीति से दूर हो रही है। ये सिर्फ एक ऐलान भर नहीं था न ही एक नेता के सियासत को अलविदा कहने का संकेत था। बल्कि ये पूरे प्रदेश में राजनीति का एक अध्याय समाप्त होने की सूचना भी मानी जा सकती है। चुनाव न लड़ने की बात कह कर ये नेता अब पूरी तरह से अज्ञातवास में है। उनके इस फैसले की वजह क्या रही। पार्टी का एक सिद्धांत इसकी वजह बना या फिर खुद की हार का डर। वजह जो भी रही लेकिन इसकी वजह से क्या बड़े सियासी बदलाव हुए वो भी समझ लेते हैं।
यशोधरा राजे की राजनीति बहुत अलग
जिस नेता के बारे में बात कर रहे है उनका नाम Yashodhara Raje Scindia है। उनकी पहचान सिर्फ इतनी नहीं है कि वो सिंधिया राज घराने का हिस्सा रही हैं। राजनीति में कभी सांसद तो कभी विधायक का चुनाव लड़ती रहीं और मंत्री भी बनी है। Yashodhara Raje Scindia वो नेता हैं जो सिंधिया राजघराने की न सिर्फ राजसी विरासत बल्कि राजनीतिक विरासत को लेकर भी आगे बढ़ी हैं। अब आप ये जरूर कह सकते हैं कि ये क्रेडिट सिर्फ यशोधरा राजे को ही क्यों। राजनीति में सक्रिय तो ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हैं। Yashodhara Raje Scindia की बहन वसुंधरा राजे सिंधिया भी इसी परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। तो इसके जवाब है नहीं। बाकी सिंधियाज से यशोधरा राजे की राजनीति बहुत अलग रही है। ये वो लोग खूब समझ सकते हैं जिन्होंने जयविलास पैलेस की राजनीति को राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जमाने से देखा है। फिर माधव राव सिंधिया का भी दौर देखा या समझा है और उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति को भी समझा है।
जय विलास पैलेस हुई में दो विचारधारा
राज माता विजयाराजे सिंधिया ने राजनीति तो कांग्रेस से ही शुरू की थी। लेकिन उसके बाद बहुत से सियासी घटनाक्रमों को पार करते हुए वो जनसंघ का हिस्सा बनीं। उनकी सरपरस्ती में माधव राव सिंधिया ने राजनीति का सफर शुरू किया। माधव राव सिंधिया यानी राजमाता विजयाराजे सिंधिया के बेटे, Yashodhara Raje Scindia के भाई और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता। माधव राव सिंधिया ने मां की छत्रछाया में राजनीति का वर्णमाला जरूर पड़ी है लेकिन वो लंबे समय तक उनकी लाइन पर चल नहीं सके और रास्ता बदल कर कांग्रेस में आ गए। बस उसके बाद से जय विलास पैलेस में दो विचारधाराएं हो गईं। दो राजनीति चलने लगी और महल के दो दरवाजे भी अलग हो गए। कहा जाने लगा कि महल का एक दरवाजा विजयाराजे सिंधिया के लिए है तो दूसरा दरवाजा माधव राव सिंधिया के लिए है।
सिंधिया के BJP में शामिल होने के बाद बदले महल के समीकरण
बेटे ने मां की राजनीतिक विरासत आगे नहीं बढ़ाई तो बेटी ने ये कमान संभाली। ये बेटी यशोधरा राजे सिंधिया थीं। यशोधरा राजे सिंधिया पहले से ही राजनीति में एक्टिव हो चुकी थीं। लेकिन राजमाता के निधन के बाद उन्होंने उनकी राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाला। राजमाता के सारे समर्थक खुद व खुद यशोधरा राजे सिंधिया के पक्ष में ट्रांसफर हो गए। खासतौर से जनसंघ से जुड़े लोग जो अब भाजपाई हो चुके थे वो भी यशोधरा के कट्टर समर्थक बने। यशोधरा ग्वालियर, गुना, शिवपुरी, अशोकनगर तक राजमाता के सभी समर्थकों के बीच लोकप्रिय हुईं। बीजेपी सरकार में वो लगातार चार बार विधायक रहीं। सांसद भी बनी और शिवराज सरकार में मंत्री भी बनी। माधव राव सिंधिया के हादसे में निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संभाला। इस तरह राजमाता और माधव राव सिंधिया के जाने के बाद भी जय विलास पैलेस दो दलों की राजनीति देखता रहा। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने के बाद महल के समीकरण भी काफी कुछ बदल गए। उनके बीजेपी में शामिल होने पर यशोधरा राजे सिंधिया ने इस बात की खुशी जताई थी कि अब महल में एक ही विचारधार दिखाई देगी। लेकिन इसका असर उनके करियर पर भी पड़ेगा। ये शायद वो उस समय जज नहीं कर पाईं। सिंधिया के बीजेपी में आते ही उन्हें बुआ से ज्यादा तवज्जो मिलने लगी। बीजेपी का सिद्धांत भी रहा है कि एक परिवार से पार्टी में कोई एक ही सक्रिय राजनीति में रह सकता है। इसका भी असर महल की राजनीति पर पड़ा।
Yashodhara Raje Scindia अब अज्ञातवास पर
विधानसभा चुनाव से पहले अचानक यशोधरा राजे सिंधिया ने ये ऐलान कर दिया कि वो अब चुनाव नहीं लडे़ंगी। उनके इस ऐलान के बाद ये चिंता लाजमी थी कि राजमाता की राजनीतिक विरासत आगे कैसे बढ़ेगी। क्योंकि यशोधरा राजे सिंधिया के साथ वो समर्थक और नेता भी जुड़े हैं जो राजमाता के जमाने से ही पार्टी के साथ थे। उनके इस फैसले को राजनीति से सन्यास के रूप में भी देखा गया। और जिस तरह से यशोधरा राजे सिंधिया अब अज्ञातवास पर हैं उसे देखकर लगता है कि वो वाकई राजनीति से दूर होना चाहती हैं। चुनाव न लड़ने के ऐलान के साथ ही वो कई सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर रही हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह यशोधरा राजे सिंधिया भी स्पोर्ट्स की तरफ रुझान रखती हैं। सोशल वर्क से भी जुड़ी हैं। लेकिन अब कुछ ही दिन पहले वो फीमेल हॉकी प्लेयर्स के साथ भी दिखाई दीं। जिसकी तस्वीरें उन्होंने खुद ट्विटर पर पोस्ट की। उनकी इस पोस्ट से ये जरूर जाहिर हुआ कि वो दिल्ली में हैं और वहां ग्वालियर के हुनरमंदों का उत्साह बढ़ाने में वो अब भी आगे हैं। महाराष्ट्र जीत पर भी उन्होंने पीएम मोदी को बधाई दी। लेकिन इन सब से ये जाहिर नहीं होता कि वो दोबारा सक्रिय राजनीति में वापसी करेंगी या नहीं।
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