Bhopal : हरियाणा की हार से सबक लेकर कांग्रेस ने अपने सभी नेताओं को ताकीद किया है। अब अनुशासन में रहे बेवजह की बयानबाजी न करें। कांग्रेस से जुड़ी ऐसी खबरें कभी कभी ही सुनाई देती हैं। बीजेपी इस मामले में अब एक्सपर्ट हो गई है। विधायकों को डिसिप्लीन में रहने की याद कैसे दिलानी है। कुछ दिन पहले आपने ऐसी खबरें सुनी होंगी कि बीजेपी विधायक कभी पुलिस प्रशासन के सामने नतमस्तक हो रहे हैं तो कभी नाराजगी जता रहे हैं। बीजेपी संगठन ने एक बैठक की और सारे विधायक सुर बदलने पर मजबूर हो गए। विधायकों ने जरूर यूटर्न ले लिया है। लेकिन बीजेपी को ये नहीं भूलना चाहिए कि हालात नहीं बदले हैं। बीजेपी विधायकों ने कहां कहां और कब कब नाराजगी जताई और फिर क्यों यू टर्न लिया। हालांकि कुछ विधायकों की नाराजगी इस कदर है कि वो बुलावे के बाद भी भोपाल नहीं आए। आला नेताओं के एक डोज ने सारे विधायकों की अक्ल ठिकाने पर लगा दी है। असल में बीजेपी के ही कुछ विधायक और नेता अफसरशाही पर आरोप लगा रहे थे और नाराजगी जाहिर कर रहे थे। जिसके बाद भोपाल बुलाकर उनकी क्लास लगाई गई और एक बार में ही मामला निपटा दिया गया। नतीजा ये हुआ कि बैठक से बाहर आते ही बीजेपी नेता यू टर्न लेने पर मजबूर हो गए....
बीजेपी नेताओं की वो करतूत जिसे देखकर बैठक बुलानी पड़ी
मऊगंज के बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल
पिछले दिनों मऊगंज के बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल ने खासी सुर्खियां बटोरीं। प्रदीप पटेल अपने एरिया के एएसपी अनुराग पांडे के सामने दंडवत हो गए थे। उनका ये वीडियो तेजी से वायरल हुआ। जिसमें वो एएसपी से हाथ जोड़ कर बोलते दिखे कि आप मुझे मरवा दीजिए। उनका वीडियो वायरल होते ही उन्हें अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी दिए गए। लेकिन उन्होंने नए और पुराने दोनों शासन को वापस लौटा दिए। इसके बाद से वो बस और बाइक में सफर कर रहे हैं। शराब और नशा माफिया के खिलाफ आंदोलन कर रहे पटेल को भी भोपाल से बुलावा था लेकिन वो बैठक में शामिल होने नहीं आए। उन्होंने कुछ मीडिया हाउसेस को इंटरव्यू में कहा कि वो सरकार के अभियान को ही आगे बढ़ा रहे हैं। इसमें सरकार के खिलाफ जाने वाली कोई बात नहीं है।
देवरी विधायक का आधी रात में ही इस्तीफा
देवरी विधायक बृजबिहारी पटेरिया ने पिछले दिनों आधी रात में ही इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी। उनकी नाराजगी भी कानून व्यवस्था को लेकर ही थी। बताया जा रहा है कि बैठक में पटेरिया ने करीब 15 मिनट तक अपना पक्ष रखा। मीटिंग से बाहर निकले तो उनके सुर बदले हुए थे। उन्होंने कहा पार्टी और उनके बीच सबकुछ ठीक है।
नरयावली विधायक प्रदीप लारिया
इस बैठक में नरयावली विधायक प्रदीप लारिया भी शामिल हुए। नरयावली विधायक प्रदीप लारिया भी प्रदीप पटेल की तरह पुलिस अफसर के पैरों में गिर गए थे। लारिया ने भी सुरक्षा की मांग की है। वो जिले में पैर पसार रहे शराब माफिया और सट्टेबाजी की शिकायत बार बार कर रहे हैं। भोपाल की बैठक में उन्होंने भी अपनी नाराजगी सीधे सरकार के सामने रखी। मीटिंग से बाहर आते ही उन्होंने उम्मीद जताई कि अब सब ठीक है।
विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक
विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक ने तो खुद की जान को ही खतरा बताया है। उन्होंने इस बारे में शिकायत भी दर्ज करवाई है। विधायकों की नाराजगी के बाद डैमेज कंट्रोल के लिए सबसे पहले सीनियर एमएलए गोपाल भार्गव एक्टिव हुए। बताया जा रहा है कि पहले भार्गव ने इस्तीफा देने ले विधायक पटेरिया से बात की। उनका इस्तीफा रुकवाया। उसके बाद कलेक्टर और एसपी को फोन कर नाराजगी भी जाहिर की। जिसके बाद पटेरिया की शिकायत पर पुलिस प्रशासन एक्टिव हुआ और उनकी बात सुनी गई।
गोपाल भार्गव की नाराजगी भी किसी से नहीं छिपी
गोपाल भार्गव ने भले ही अपनी सीनियरिटी से संकटमोचक का काम किया लेकिन उनकी नाराजगी भी किसी से छिपी नहीं है। सितंबर में सीएम के एक कार्यक्रम से गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह दोनों ही बीच में चले गए थे। इसकी वजह थी कार्यक्रम में दोनों को सही स्थान न मिलना। एक ही कार में बैठकर दोनों सीनियर विधायकों के जाते हुए विजुअल भी वायरल हुए थे। इन नराज विधायकों में अधिकांश बुंदेलखंड अंचल के विधायक हैं। ये सोचने वाली बात है कि सबसे ज्यादा नाराजगी बुंदेलखंड में ही क्यों पनप रही है। सागर जिले में गोविंद सिंह राजपूत सी वजह से गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह में नाराजगी है। राजपूत को इस बार फिर मंत्री पद मिला है लेकिन सीनियर होने के बावजूद गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को पद नहीं मिला है।
बैठक के बाद नाराज विधायकों ने लिया यू टर्न
बीजेपी के सीनियर लीडर रघुनंदन शर्मा ने नाराजगी की वजह संगठन और सरकार दोनों की संवादहीनता को बताया है। उन्होंने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा कि विधायक हो या आम कार्यकर्ता, वो अपनी बात किससे कहे ये कंफ्यूजन बरकरार है। इसकी वजह से जनप्रतिनिधि निराश हो रहे हैं। हालांकि बैठक के बाद सारे नाराज विधायकों ने यू टर्न ले लिया है। लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं कि अब हालात भी ठीक हो गए हैं। जब तक विधायकों की शिकायत बरकरार रहेगी। उनकी नाराजगी भी बरकरार रहेगी। जो अंदर ही अंदर सुलगती रहेगी। जिसके बाद का गुस्सा और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। लिहाजा बीजेपी नेतृत्व को भी ये समझ लेना चाहिए कि ये नाराजगी सिर्फ एक ट्रेलर भर है। जो कंट्रोल की गई है खत्म नहीं हुई है। अगर हालात यही रहे तो बहुत जल्द ये नाराजगी बड़े लेवल पर उभरेगी और एक बैठक से उस पर काबू पाना भी आसान नहीं होगा।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक