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NEWS STRIKE : साल 2020 से मध्य प्रदेश में अजीब खेल चल रहा है। नेता दल बदल रहे हैं। वैसे तो राजनीति में दल बदल हमेशा ही लगा रहता है। लेकिन इसे अपनी ब्रांडिंग के तौर पर यूज करने का चलन 2020 के बाद ही हुआ। बहुत सारे नेता कांग्रेस से बीजेपी में आए और कुछ ऐसे भी हैं जो बीजेपी से कांग्रेस में गए। इसके नफे नुकसान का तकाजा होता रहेगा। फिलहाल बात करते हैं एक ऐसे नेता कि जिसका दल बदल काफी ड्रेमेटिक रहा। लेकिन फिर अपनी पार्टी में वापसी बेहद खामोशी के साथ हुई। एक पूर्व सीएम का बेटा जो शिवराज सरकार के दौरान मंत्री भी रहा। वो बीजेपी से इस कदर नाराज हुआ कि कांग्रेस में शामिल हो गया। ये नेता हैं दीपक जोशी...
हाट पिपलिया की सीट उनके हाथ से निकली
Deepak Joshi पूर्व सीएम कैलाश जोशी के बेटे हैं। आपको बता दें दीपक जोशी ने पहला चुनाव बागली सीट से जीता था। उसके बाद वो हाट पिपलिया से चुनाव जीतते रहे। शिवराज सरकार में वो कैबिनेट में भी शामिल रह चुके हैं। हाट पिपलिया से चुनाव जीतते आए Deepak Joshi की सीट उनके हाथ से तब निकली। जब उनकी सीट पर मनोज चौधरी को जीत हासिल हुई। साल 2018 में हाट पिपलिया सीट से जोशी को हार मिली और कांग्रेस के मनोज चौधरी जीत गए। यहां तक तो सब ठीक था। दीपक जोशी भी हार का दर्द सहन कर ही गए थे। लेकिन मामला तब बिगड़ा जब 2020 में मनोज चौधरी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद उपचुनाव होना तय था और ये भी तय था कि टिकट मनोज चौधरी को ही दिया जाएगा। मनोज चौधरी दोबारा जीते और हाट पिपलिया की सीट उनके नाम पर दर्ज हो गई।
जोशी ने लिया दलबदल का फैसला
हालांकि Deepak Joshi ने ये जताने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि एक हार के बाद भी उनकी ताकत कम नहीं हुई है न ही क्षेत्र में उनका रुतबा घटा है। ये जाहिर करने के लिए दीपक जोशी बड़ा दल बदल लेकर सीएम हाउस भी आए थे। झांकी जमाने की कोशिश तो पूरी थी लेकिन बात नहीं बनी थी। Deepak को ये इशारा मिल चुका था कि अब उनकी सीट उनके हाथ से निकल चुकी है। साल 2023 में भी दीपक जोशी को टिकट मिलने के कोई आसार नजर नहीं आए। जिसके बाद जोशी ने आखिरकार दलबदल का फैसला ले लिया। जोशी पिछले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। पूर्व सीएम कमलनाथ ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस दौरान दीपक जोशी ने पूरी कोशिश की ये याद दिलाने की कि वो पूर्व सीएम और बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश जोशी के बेटे हैं। अपने पिता की बड़ी सी तस्वीर को हाथ में लिए दीपक जोशी बीजेपी से कांग्रेस में आए।
कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक
जोशी ने ये कदम संभवत इसलिए उठाया कि वो अपने राजनीतिक वजूद को बचा कर रख सकें। वैसे भी पिछले विधानसभा चुनाव के कुछ महिने पहले तक ये तय लग रहा था कि मध्यप्रदेश में बीजेपी की सत्ता में वापसी मुश्किल होगी। तब बड़े पैमाने पर असंतोष और आपसी कलह से बीजेपी जूझ रही थी। ऐसे ही एक दौर में दीपक जोशी को भी शायद ये उम्मीद रही होगी कि बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो क्या हुआ। कांग्रेस से टिकट भी मिल सकता है और शायद राजनीति में वापसी भी हो सकती है। इसलिए Deepak Joshi ने कांग्रेस का दामन थामना बेहतर समझा। कांग्रेस से उनके एक उम्मीद पूरी हुई। जोशी को हाट पिपलिया से नहीं बल्कि खातेगांव से टिकट मिला। उस वक्त शायद कांग्रेस को भी लगा होगा कि ये उसका मास्टर स्ट्रोक हो सकता है।
शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी की सदस्यता दिलाई
Deepak Joshi भी अपनी जीत के लिए आश्वस्त होंगे। लेकिन एकदम उल्टा हुआ। खातेगांव सीट पर इस बार जबरदस्त मतदान हुआ। यहां का वोटिंग परसेंटेज 81.28 फीसदी रहा। बीजेपी के आशीष शर्मा से Deepak Joshi 12 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से हारे। इस हार के बाद दीपक जोशी को कांग्रेस में भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। जिसके बाद उनका मन दोबारा पलट गया। हाल ही में जब बुधनी में विधानसभा उपचुनाव हुए। तब जोशी कांग्रेस से वापस बीजेपी में आ गए। खुद शिवराज सिंह चौहान ने एक कार्यक्रम में उन्हें दोबारा बीजेपी की सदस्यता दिलाई।
Deepak Joshi फिर सियासी पटल से गायब
वापसी के बाद जोशी के सुर काफी बदले हुए नजर आए। Deepak Joshi ने कहा कि बीजेपी में मेरी जिंदगी बीती है। उन्होंने कांग्रेस में जाने को अपनी बड़ी गलती तक बता दिया। इसके बाद से दीपक जोशी फिर सियासी पटल से गायब हैं। उनकी वापसी की एक ही उम्मीद नजर आती है। वो भी तब जब बीजेपी में निगम मंडलों में नियुक्ति का दौर शुरु होगा। तब ये देखना दिलचस्प होगा कि दल बदल की खता को माफ कर क्या बीजेपी जोशी को तवज्जो देती है।
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