मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एनजीओ (NGO) द्वारा संचालित करीब 200 से अधिक बाल गृह, बालिका गृह, ओपन शेल्टर और शिशु गृह को केंद्र से मिलने वाली फंडिंग अगले वित्तीय वर्ष से बंद हो सकती है। इस फैसले के अनुसार, अब इन गृहों में रह रहे बच्चों और महिलाओं की देखरेख का जिम्मा या तो राज्य सरकार (State Government) उठाएगी या एनजीओ अपने स्तर पर दान में मिलने वाली राशि और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत मिलने वाले फंड से इन गृहों को संचालित करेंगे।
यह प्रस्ताव पहली बार भारत सरकार के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (PAB - Project Approval Board) ने बनाया है। हाल ही में दिल्ली में पीएबी की एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें मध्यप्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) के अधिकारी भी शामिल हुए थे। इस प्रस्ताव के तहत, अब केंद्र सरकार (Central Government) की तरफ से एनजीओ को मिलने वाली 60% फंडिंग रोक दी जाएगी।
प्रस्ताव में स्पष्ट लिखा गया है कि यदि राज्य सरकार किसी निजी संस्था से आश्रय गृह का संचालन करवाना चाहती है, तो इसके लिए फंडिंग भी राज्य सरकार अपने बजट (Budget) से करेगी। इस प्रस्ताव के बाद राज्य के एनजीओ के बीच हड़कंप मच गया है। कई एनजीओ ने संबंधित अधिकारियों से मिलकर चिंता जताई है कि इस फैसले से मध्यप्रदेश में जरूरतमंद बच्चों को आश्रय मिलना मुश्किल हो जाएगा।
राष्ट्रीय बाल आयोग की जांच और कार्रवाई की मांग एक अधिकारी के अनुसार, भारत सरकार और राज्य सरकार को लंबे समय से मध्यप्रदेश में संचालित बाल गृहों में अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही थीं। दमोह (Damoh), इंदौर (Indore) समेत कई जिलों में गृह संचालन में गड़बड़ियों की खबरें आने के बाद राष्ट्रीय बाल आयोग (National Child Commission) ने जांच और कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद यह प्रस्ताव तैयार किया गया। हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि एनजीओ अपने निजी संसाधनों से, सीएसआर या दान से इन गृहों का संचालन कर सकते हैं, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
मध्यप्रदेश में मौजूदा स्थिति मध्यप्रदेश में लगभग 80 सरकारी बाल गृह और शिशु गृह हैं, जिनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। इनमें 27 शिशुगृह (Infant Homes) और 30 चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट (Child Care Institutes) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, 23 अन्य प्रकार की संस्थाएं भी हैं। वहीं, 200 गैर-सरकारी संस्थाएं (Non-governmental Organizations) हैं, जिनमें से 133 संस्थाओं का सरकार के पास पंजीयन है, जबकि लगभग 67 गैर-पंजीकृत हैं। इन सभी में करीब 28,000 बच्चे आश्रित हैं।
14 जिलों में हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए शक्ति सदन (Shakti Sadan) यानी स्वाधार गृह भी संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा, प्रदेश में 44 चाइल्ड केयर होम हैं, जिनमें 6 से 18 वर्ष तक के बच्चों का संरक्षण और पुनर्वास होता है। 27 शिशु गृहों में 6 वर्ष तक के बच्चों को रखा जाता है। इसके अलावा, 8 ओपन शेल्टर होम भी हैं, जहां बच्चे आ-जा सकते हैं। बसति गृह, निर्भया सेंटर और वन स्टॉप सेंटर भी संचालित हो रहे हैं।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक