टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदारों पर अब तक नहीं की कार्रवाई

मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम और सीधी के तत्कालीन कलेक्टर की भूमिका सामने आई थी। केंद्रीय वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी ने भी दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए वन विभाग ने जवाब तलब किया था।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL.  संजय दुबरी टाइगर रिजर्व और सोन घड़ियाल सेंचुरी में अनाधिकृत निर्माण  का मामले को दबाने में जुटे अफसरों की एक और कारगुजारी सामने आई है। केंद्रीय वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन बोर्ड के आदेश के बाद भी टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं अवैध निर्माण ध्वस्त कराने में भी वन विभाग और टाइगर रिजर्व प्रबंधन नाकाम रहा है। वहीं नाकामी छिपाने के लिए वन विभाग ने वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक से पहले रिसोर्ट चला रहे कर्मचारी को निर्माण हटाने का आदेश दिया है। वहीं एक-दो दिन में केंद्रीय बोर्ड की बैठक में मामला उछलने की स्थिति भांपते हुए वन विभाग हरकत में आ गया है। 

वन विभाग ने जवाब किया तलब

प्रदेश के संजय दुबरी और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को जोड़ने वाले कॉरीडोर में कठबंगला रिसोर्ट एरिया में अनाधिकृत निर्माण पाया गया था। ऐसा ही अतिक्रमण सोन घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र में भी किया गया था। दोनों मामलों में मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम और सीधी के तत्कालीन कलेक्टर की भूमिका सामने आई थी। केंद्रीय वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी ने भी दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए वन विभाग ने जवाब तलब किया था। वहीं बोर्ड द्वारा जुलाई माह में हुई स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में ही अनाधिकृत निर्माण ढहाए जाने के भी निर्देश जारी किए थे। केंद्रीय बोर्ड के आदेश के बाद भी वन विभाग ने पर्यटन विभाग  के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला और सीधी के तत्कालीन कलेक्टर साकेत मालवीय पर जिम्मेदारी तय की है। 

घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र में निर्माण को अवैध ठहराया

साल 2023 में काठबंगला और सोन घड़ियाल सेंचुरी में अनाधिकृत निर्माण का मामला केंद्रीय वाइल्ड लाइफ बोर्ड के निरीक्षण के दौरान सामने आया था। जिसके बाद इस पूरे मामले की जांच के लिए केंद्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव की अध्यक्षता में स्टैंडिंग कमेटी का गठन किया गया था। इसी कमेटी ने मध्यप्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को तीन बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। कमेटी के आदेश में साफ तौर पर काठबंगला और घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र में निर्माण को अवैध ठहराया गया था। इसके अलावा इन दोनों स्थानों पर अनाधिकृत निर्माण में पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला और सीधी के पूर्व कलेक्टर साकेत मालवीय की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर विभाग से जवाब तलब किया गया था। वहीं जिम्मेदारी तय होने पर दोनों अफसरों या अन्य पर वन अपराध दर्ज कराने का भी स्पष्ट निर्देश दिया गया था। वन विभाग के शीर्ष अधिकारी प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को बचाने में लग गए हैं और कार्रवाई को टाला जा रहा है। 

जल्द होगी वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक

वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक जल्द होने वाली  है। माना जा रहा  है केंद्रीय बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी की अनुशंसा और कार्रवाई के निर्देशों की अनदेखी करने का मामला इस बैठक में उछल सकता है। इसका अंदेशा देखते हुए प्रदेश के वन अधिकारी अपनी साख बचाने की कोशिश करते दिख रहे हैं। स्टैंडिंग कमेटी के आदेश के बाद भी महीने भर से चुप साधे बैठे अफसरों ने सोमवार को बोर्ड बैठक की सुध आते ही  पत्राचार शुरू कर दिया है।  सोमवार को  चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन के कार्यालय से शिकायतकर्ता अजय दुबे को पत्र जारी किया गया है। इसमें केवल इतना उल्लेख है कि स्टैंडिंग कमेटी के निर्देशों के पालन और निर्माण तोड़ने  के लिए टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक द्वारा अतिरिक्त समय मांगा गया है। वहीं टाइगर रिजर्व जैसे प्रबंधित क्षेत्र में अनाधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने की जगह वन अधिकारियों ने रिसोर्ट के संचालक को स्वयं निर्माण हटाने आदेशित किया है।

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