NTA चेयरमैन प्रदीप जोशी पर संसद में उठे सवाल, MPPSC चेयरमैन रहते संदिग्ध रिकार्ड और RSS रसूख से नियुक्ति की बात भी उठी

NTA चेयरमैन प्रदीप जोशी का रिकार्ड दागदार रहा है। जब वह पीएससी के चेयरमैन बनाए गए थे, तब उनकी तत्कालीन सीएस इकबाल सिंह बैंस के समय विवादित नोटशीट चली थी। 

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Sanjay gupta
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नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी नीट कराने वाली NTA पर उठा विवाद थम सा गया है और साथ ही चेयरमैन प्रदीप जोशी भी बच गए हैं। लेकिन इस पूरे विवाद के दौरान द सूत्र द्वारा किए गए प्रदीप जोशी पर एक के बाद एक खुलासे की चर्चा संसद तक पहुंच गई है।

द सूत्र ने बताया था कि रसूख के जरिए मप्र लोक सेवा आयोग (PSC) में चेयरमैन पद पर नियुक्ति हुई थी, इसमें विवादित नोटशीट भी सामने आई थी। साथ ही खुलासा किया था कि किस तरह पीएससी चेयरमैन रहते हुए उन्होंने प्रोफेसर भर्ती कांड किया था। 

संसद में इस तरह उठा पीएससी पूर्व चेयरमैन का मुद्दा

इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने जोशी पर तीन दिन के अंतराल में दो बार टिप्पणी अपने सोशल एकाउंट X पर की है।

पहली टिप्पणी- इसमें कहा गया है कि राज्यसभा में NTA से जुड़े एक पूरक प्रश्न पूछते हुए सपा के रामजी लाल सुमन ने ज़ोरदार प्रहार कर दिया, जिससे हंगामा मच गया। उन्होंने सिर्फ़ यह पूछा था कि NTA जैसी एजेंसियों में शीर्ष पदों पर नियुक्तियां किस आधार पर की जाती हैं और इस तथ्य का संदर्भ दिया कि इसका अध्यक्ष मध्य प्रदेश में RSS द्वारा नियुक्त विवादास्पद पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति है।

यह बात सच्चाई से बहुत दूर भी नहीं है। इस हंगामे के कारण INDIA के सांसदों ने सदन से वाकआउट किया, जिसमें BJD और BSP के सांसद भी शामिल थे। वे RSS को क्लीन चिट दिए जाने और उसका गुणगान किए जाने पर आपत्ति जता रहे थे।

दूसरी टिप्पणी- ऐसा लगता है कि NTA का एकमात्र काम आउटसोर्सिंग करना है। इसके अध्यक्ष का मप्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में संदिग्ध रिकार्ड है। 

दूसरी टिप्पणी

दागदार रहा है जोशी का रिकार्ड

जोशी का रिकार्ड दागदार रहा है। जब वह पीएससी के चेयरमैन बनाए गए थे, तब उनकी तत्कालीन सीएस सचिव इकबाल सिंह बैंस के समय विवादित नोटशीट चली थी। इसमें उन्हें पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ही वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी का करीबी बताया गया। साथ ही संघ के पदाधिकारी की भी चिट्‌ठी संलग्न की गई थी। इसी नोटशीट पर उन्हें चेयरमैन बनाया गया था, जो बताता है कि उनकी नियुक्ति रसूख से हुई थी ना कि किस योग्यता से। 

फिर हुआ प्रोफेसर भर्ती कांड

इसके बाद उनके कार्यकाल का सबसे बड़ा कांड प्रोफेसर भर्ती था। इसमें संदिग्ध दस्तावेजों पर ही करीब 100 प्रोफेसर पीएससी द्वारा गलत नियुक्त किए गए। इसकी जांच में भी सामने आया था कि यह गलत भर्ती हुई है।

इसमें तत्कालीन उच्च शिक्षा आयुक्त द्वारा भी नोटशीट चलाकर शासन से अनुशंसा की गई कि भर्ती संदिग्ध है। इसकी लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू, एसआईटी जैसे जांच होना चाहिए, लेकिन मामला दबा दिया गया। इसके बाद जोशी ने फिर रसूख के बल पर छत्तीसगढ़ चेयरमैन का पद लिया और फिर बाद में दिल्ली चले गए।

प्रोफेसर भर्ती कांड में हुए घोटालो को लेकर व्हीसल ब्लोअर पंकज प्रजापति ने लगातार मुद्दा उठाया। उनके द्वारा ही निकाले गए दस्तावेज से यह घोटाला सामने आया,लड़ाई हाईकोर्ट तक गई, लेकिन शासन स्तर पर मामला पूरी तरह दबा दिया गया।

कांग्रेस नेता ने किया ये ट्वीट 

sanjay gupta

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