मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों ( Nursing Colleges ) की मान्यता में फर्जीवाड़ा रोकने अब सरकार नियमों को और कड़ा बनाने जा रही है। यही नहीं अब नर्सिंग कॉलेजों को सीधे तौर पर मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल मान्यता नहीं दे पाएगी। इसके लिए इंडियन नर्सिंग काउंसिल की अनुशंसा जरूरी होगी, लेकिन मान्यता देने का काम प्रदेश सरकार की पहल पर बनाया जा रहा आयोग करेगा। आयोग इसी सत्र यानी 2024- 25 से ही काम करने लगेगा।
आईएनसी से गाइडलाइन मजबूत होगी
नर्सिंग घोटाले के बाद लगे दागों को धोने के लिए प्रदेश सरकार हर संभव कदम उठा रही है। राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले इस आयोग से मध्यप्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों के नर्सिंग कॉलेज भी संबद्धता ले पाएंगे। वहीं यह आयोग इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंडों के आधार पर मान्यता देने का भी काम करेगा। माना जा रहा है आयोग के अस्तित्व में आने के बाद न केवल नर्सिंग कॉलेज मान्यता की गाइडलाइन मजबूत होगी बल्कि, पाठ्यक्रमों के संचालन और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मानदंडों पर देंगे मान्यता
मध्यप्रदेश में गाइडलाइन की अनदेखी कर नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने का खेल उजागर होने के बाद 300 से ज्यादा कॉलेजों जांच के दायरे में आए थे। इन कॉलेजों को मान्यता के लिए जरूरी मापदंडों की जांच भी सीबीआई द्वारा की जा रही है। इसमें कई कॉलेज तो पूरी तरह नियम विरुद्ध संचालित पाए गए थे तो कुछ केवल दस्तावेजों में ही चल रहे थे। सीबीआई की जांच के चलते सरकार ने भी इन कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी थी। इस वजह से नर्सिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश पर भी रोक लग गई थी। मामला हाईकोर्ट में भी पहुंचने पर नए सत्र के लिए मान्यता के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सरकार गाइड लाइन कड़ी कर नर्सिंग कॉलेजों को सत्र 2024-25 के लिए मान्यता देने की तैयारी कर चुकी है। अब प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों को इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मानदंडों पर मान्यता दी जाएगी। आईएनसी यानी इंडियन नर्सिंग काउंसिल राष्ट्रीय स्तर पर नर्सिंग पाठ्यक्रम संचालन की मॉनिटरिंग करती है।
बदनामी के दाग धोने का प्रयास
मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के नाम पर हुए फर्जीवाड़ा साल 2020 में सामने आया था। इस फर्जीवाड़े में ऐसे कॉलेजों को नर्सिंग पाठ्यक्रम के संचालन के लिए मान्यता दी गई थी जिनके पास संसाधन तक नहीं थे। राज्य नर्सिंग काउंसिल ने ऐसे कॉलेजों को मान्यता दी है जो या तो केवल कागजों पर चल रहे थे या किराए के एक कमरे में चल रहे थे। कई नर्सिंग कॉलेज किसी अस्पताल से संबद्ध नहीं थे। मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई। जिनकी सुनवाई में कोर्ट ने प्रदेश के सभी 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंप दी। अक्टूबर 2022 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने जांच शुरू की थी। शुरुआती जांच में ही कई नर्सिंग कॉलेजों में बड़े स्तर पर अनियमितताएं सामने आती चली गईं। ये कॉलेज अनिवार्य मानकों को पूरा नहीं करते थे, फिर भी मंजूरी पाने में कामयाब हो गए थे।
मान्यता के लिए अब क्या होगा
प्रदेश सरकार नर्सिंग घोटाले की वजह से अपनी साख पर लगे दाग को धोने की कोशिश कर रही है। साढ़े तीन सौ से ज्यादा नर्सिंग कॉलेजों को नियम विरुद्ध मान्यता देने की लापरवाही को रोकने अब सरकार प्रदेश स्तर पर नई व्यवस्था की तैयारी कर रही है। यानी अब नर्सिंग कॉलेजों को संचालन के लिए राष्ट्रीय स्तर की संस्था आईएनसी की अनुशंसा पर दी जाएगी। सरकार मान्यता के लिए गाइडलाइन को फूलप्रूफ बनाने सख्ती भी करेगी। सीधे तौर पर कहें तो अब सरकार नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में अपने ऊपर कोई दाग झेलने तैयार नहीं है।
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