सुप्रीम कोर्ट में OBC आरक्षण के खिलाफ खड़े थे सरकार के वकील, जीतू पटवारी का बड़ा आरोप

ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर मध्यप्रदेश में सियासी संग्राम तेज होते जा रहा है। आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस लगातार बीजेपी को घेर रही है। जीतू पटवारी ने इसको लेकर सरकार पर निशाना साधा है।

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Rohit Sahu
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मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी के बाद सियासत गरमा गई है। शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला।

जीतू पटवारी ने कहा कि जुलाई के आखिरी सप्ताह में राहुल गांधी एमपी के बुंदेलखंड दौरे पर आएंगे और वहां ओबीसी वर्ग के लोगों से सीधा संवाद करेंगे। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह ओबीसी से सिर्फ वोट लेना चाहती है, लेकिन उन्हें हक नहीं देना चाहती। कोर्ट में सरकार के वकील ओबीसी आरक्षण के खिलाफ खड़े नजर आए।

सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी को 27% आरक्षण देने के मामले में 4 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से 13% होल्ड पर रखे गए पदों पर नियुक्ति को लेकर जवाब तलब किया है।

इस मुद्दे को लेकर अब कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश होने के बावजूद राज्य सरकार अब तक इस पर कोई आदेश जारी नहीं कर रही, जो ओबीसी वर्ग के साथ सीधा अन्याय है।

सरकार के वकील आरक्षण के विरोध में खड़े: पटवारी

जीतू पटवारी ने कहा कि साल 2019 में कमलनाथ सरकार ने ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण दिया था। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी ने न सिर्फ सरकार की चोरी की, बल्कि ओबीसी के भविष्य से भी खिलवाड़ किया। 

कोर्ट में जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि 27% आरक्षण लागू क्यों नहीं हुआ, तो सरकार के वकीलों ने जवाब दिया कि वे इसके विरोध में हैं। पटवारी ने आरोप लगाया, आपके कंधे पर बैठकर ही ओबीसी का गला घोंटा जा रहा है। कांग्रेस अंतिम बूंद तक ओबीसी के अधिकारों के लिए लड़ेगी।

बीजेपी की वजह से अटका आरक्षण: सिंघार

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग के छात्र आज खेतों में काम करने को मजबूर हैं, क्योंकि सरकार के कारण उनका रिजल्ट होल्ड कर दिया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री मोदी खुद को पिछड़े वर्ग से बताते हैं, तो उनके राज में ओबीसी छात्र क्यों संघर्ष कर रहे हैं?

सिंघार ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता, लेकिन अगर केंद्र और राज्य सरकार की मंशा साफ हो, तो संविधानिक तरीके से समाधान निकल सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से तुषार मेहता ने कोर्ट में बयान दिया, लेकिन यह सरकार की सोच थी, कानून की नहीं।

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तेलंगाना का दिया उदाहरण

जातिगत जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस का रुख साफ है। राहुल गांधी लगातार इसकी वकालत कर चुके हैं। पटवारी और सिंघार ने कहा कि जनगणना के आधार पर ही आरक्षण का प्रतिशत तय होना चाहिए। 

उन्होंने तेलंगाना का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की मांग 42% तक की गई है। घर-घर सर्वे में 57% से ज्यादा आबादी ओबीसी वर्ग की पाई गई।

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