मुख्यमंत्री जी ध्यान दें : रिंग रोड प्रोजेक्ट में कौड़ियों से करोड़ों बनाने अफसरों और नेताओं ने कर दिया खेला

राजधानी भोपाल में बढ़ते ट्रैफिक जाम की समस्या को हल करने के लिए प्रदेश के इस दूसरे सबसे बडे़ प्रोजेक्ट की मंजूरी दी गई है। तत्कालीन शिवराज सरकार की  कैबिनेट सितंबर 2023 में इसके लिए 2981 करोड़ की मंजूरी दी थी। मगर...

Advertisment
author-image
CHAKRESH
एडिट
New Update
ring road BHOPAL
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

खास- खास

  • भोपाल से पहले टर्न होगा वेस्टर्न बाइपास
  • सीधे इंदौर रोड जा पाएंगे वाहन चालक
  • हुजूर विधानसभा में होगा ज्यादातर हिस्सा
  • लाभ मिलेगा नर्मदापुरम रोड को

गांव बसने से पहले ही लुटरों के डेरा डालने की कहावत इस मामले में पूरी तरह सच साबित होती है। कौड़ियों से करोड़ों बनाने के चक्कर में प्रदेश के डेढ़ दर्जन से ज्यादा अफसरों और नेताओं ने इस प्रोजेक्ट की डिजाइन तो बदलवा ही दी, काम जल्दी हो सके इसलिए केंद्र से मिलने वाले पैसे की जगह राज्य सरकार के खर्च पर ही मंजूरी भी दिलवा दी। मामला भोपाल से निकलने वाले एक रिंग रोड वेस्टर्न बाइपास का है, जो नर्मदापुरम रोड के वाहनों को सीधे इंदौर रोड पर पहुंचाएगा। हालांकि इस रिंग रोड यानी बाइपास से भोपाल शहर को तो जाम से मुक्ति मिलेगी, मगर वारे- न्यारे कुछ अफसर और नेताओं के हो जाएंगे। आइए समझते हैं क्या है पूरा खेल- तमाशा… 

2981 करोड़ का प्रोजेक्ट 

राजधानी भोपाल में बढ़ते ट्रैफिक जाम की समस्या को हल करने के लिए प्रदेश के इस दूसरे सबसे बडे़ प्रोजेक्ट की मंजूरी दी गई है। तत्कालीन शिवराज सरकार की  कैबिनेट सितंबर 2023 में इसके लिए 2981 करोड़ की मंजूरी दी थी। इसके तहत भू अर्जन में 427 करोड़। पर्यावरण प्रबंधन में 15 करोड़ का खर्च प्रस्तावित है। ब्याज समेत मूल सड़क निर्माण की लागत 1743 करोड़ आएगी। प्रोजेक्ट कॉस्ट की 40 प्रतिशत राशि पांच किश्तों में दी जाएगी। इसमे 697 करोड़ का भुगतान निर्माण के दौरान होगा। शेष 60 फीसदी राशि सड़क बनने के बाद 1784 करोड़ एन्यूटी के जरिए 15 वर्षों में मिलेगी। इसके अलावा पर्यावरण की अनुमति, यूटिलिटी शिफ्टिंग आदि पर भी राशि खर्च होगी, इसीलिए अनुमानित लागत 2981 करोड़ आंकी गई है।

और इस तरह हुआ खेला… 

  1. प्रोजेक्ट के अनुसार इस वेस्टर्न बाइपास के लिए करीब 600 एकड़ जमीन की जरूरत होगी। इसमें जंगल की करीब 75 एकड़ से ज्यादा जमीन आएगी। 525 एकड़ से ज्यादा जमीन निजी लोगों की है। इस 525 एकड़ जमीन पर ही रुपए बनाने का पूरा खेल किया गया है। thesootr के पास पुख्ता जानकारी है कि दो दर्जन से ज्यादा अफसरों और मंत्रियों ने नामी और बेनामी रूप से यहां कौड़ियों के दाम जमीन खरीदी हुई है। यहां तक कि कुछ जगहों पर तो अपने हिसाब से प्रोजेक्ट में बदलाव कर री-डिजाइन भी करवाया गया है ताकि इनकी जमीन का अधिग्रहण हो सके। 
  2. नियम है कि इस तरह के बडे़ प्रोजेक्ट के लिए NHAI के माध्यम से केंद्र सरकार फंड मुहैया करवाती है, मगर उसमे समय लगता है। काम जल्दी हो सके, इसलिए नेताओं और अफसरों ने मिलीभगत करके इस प्रोजेक्ट को राज्य सरकार के फंड से ही करवाने की मंजूरी करवा ली। यह फंड भी कोई छोटा- मोटा नहीं, पूरे  2981 करोड़ हैं। मकसद यह है कि भूमि अधिग्रहण का काम और मुआवजा जल्द वितरित हो सके। बड़ा खेल यह भी है कि शहरी क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण का मुआवजा कलेक्टर रेट से दोगुनी दरों तक मिलता है। साथ ही रिंग रोड पर जमीन आने से कई तरह के व्यवसायिक प्रोजेक्ट भी शुरू किए जा सकते हैं। इस तरह जो नेता- अफसर इस रिंग रोड के क्षेत्र में जमीन ले चुके हैं उनके वारे- न्यारे होना तय हैं। 

हुजूर विधानसभा को फायदा 

इस प्रोजेक्ट के तहत सबसे ज्यादा 85% सड़क हुजूर ग्रामीण में बनेगी। यह बाइपास कोलार, नीलबड़, रातीबड़, खजूरी, फंदा से निकलेगी, लेकिन सबसे ज्यादा लाभ नर्मदापुरम और रायसेन रोड से जुड़े क्षेत्रों को होगा। कोलार व हुजूर के लिए मौजूदा सीहोर रोड के साथ बैरागढ़ से इंदौर रोड आवाजाही का रास्ता पहले से ही है। रेलवे लाइन पर नर्मदापुरम रोड को कोलार की ओर बढ़ाने के लिए नया सिक्सलेन आरओबी बनेगा।

प्रदेश का दूसरा बड़ा रिंग रोड

इस बाइपास के बनने से राजधानी का रिंग रोड 93 किमी लंबा हो जाएगा, जो प्रदेश का दूसरा बड़ा रिंग रोड होगा। हालांकि इंदौर में करीब 145 किमी लंबी रिंग रोड प्रस्तावित है। यह देश की दूसरी सबसे बड़ी रिंग रोड होगी। देश की सबसे बड़ी 156 किलोमीटर की रिंग रोड हैदराबाद में NHAI ने बनाई है।

क्या-क्या बनेगा इस प्रोजेक्ट में 
1 रेलवे ब्रिज, 2 फ्लाइओवर और 15 अंडरपास के अलावा एक सिक्सलेन आरओबी व दो बड़े जंक्शन बनेंगे।

पहला बाइपास 2013 में

राजधानी का पहला बाइपास उत्तर-पूर्व क्षेत्र में है। चार लेन के इस बाइपास का निर्माण 2013 में हुआ था। यह भोपाल-औबेदुल्लागंज से शुरू होकर रायसेन रोड, विदिशा, बैरसिया और ब्यावरा रोड को पार करते हुए भोपाल- देवास मार्ग को भौरी में जोड़ता है। इसकी कुल लंबाई 52 किलोमीटर है।
 

रिंग रोड प्रोजेक्ट