Harda Blast: अफसर भी हैं हत्यारे, इनका लालच बारूद बनकर फटा

हरदा हादसे में 11 लोगों की मौत का जिम्मेदार फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल तो है ही, लेकिन 11 परिवार उजाड़ने के लिए फैक्ट्री मालिक से भी ज्यादा जिम्मेदार वहां का प्रशासन है। अफसरों के लालच ने कई लोगों को जिंदगीभर का दर्द दे दिया।

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Rahul Garhwal
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BHOPAL. हरदा फैक्ट्री ब्लास्ट (Harda Factory Blast) में 11 लोगों की मौत का जिम्मेदार फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल तो है ही, लेकिन 11 परिवार उजाड़ने के लिए फैक्ट्री मालिक से भी ज्यादा जिम्मेदार वहां का प्रशासन है। वहां के अफसर हैं, या यूं कहें कि अफसरों ने ही इन 11 लोगों की जान ली है। जी हां, अफसरों ने ही जान ली है। राजेश अग्रवाल की तरह ही ये अफसर भी हत्यारे हैं। हम आपको बताते हैं कैसे अफसरों का लालच जानलेवा बन गया।

1 - साल 2015 की 5 और 8 जुलाई को कारखाना निरीक्षक नवीन कुमार बरवा ने हरदा में राजेश अग्रवाल की पटाखा फैक्ट्री का निरीक्षण किया था। इस दौरान फैक्ट्री संचालन में तमाम कमियां पाई गईं थीं। फैक्ट्री चलाने में इस कदर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं कि उसके खिलाफ केस तक दर्ज किया गया।

अब यहीं से अफसरों का जानलेवा लालच जागता है

2 - कोर्ट में केस चलता है। तारीखें लगती हैं। कोर्ट अंतिम गवाही के लिए कारखाना निरीक्षक नवीन कुमार बरवा को बुलाता है। चूंकि, पूरी रिपोर्ट बरवा ने ही तैयार की थी, तो उसकी गवाही जरूरी थी।

3 - कोर्ट बरवा को गवाही के लिए बार-बार समन जारी कर रहा था, लेकिन वो गवाही देने नहीं आ रहा था। नतीजा, बरवा के गवाही के लिए कोर्ट न जाने की वजह से राजेश अग्रवाल बरी हो गया।

कोर्ट की टिप्पणी

अतिसंवेदनशील मामले में कारखाना निरीक्षक नवीन कुमार बरवा के गवाही न दिए जाने से कोर्ट नाराज हुआ। 21 फरवरी 2023 यानी हादसा होने से ठीक सालभर पहले कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि बरवा का रवैया बहुत ही गैरजिम्मेदाराना है। बरवा को शासकीय सेवा में रहने का कोई हक नहीं है। कोर्ट ने बरवा के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करने के लिए कहा।

4 - बरवा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जब कोर्ट ने कहा था तो जिला अभियोजक अधिकारी यानी एडीपीओ या यूं कहें कि सरकार का पक्ष रखने वाले वकील को ये बात सरकार को बतानी थी। एडीपीओ को ये बात जिला प्रशासन को भी बतानी थी।

5 - कोर्ट ने बरवा के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन कलेक्टर, लेबर कमिश्ननर, श्रम विभाग यानी सभी लोग चुप्पी साधकर बैठ गए। अफसरों ने बरवा को बचाए रखा। अफसरों का भूख कितनी ज्यादा थी, इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कोर्ट जिस पर कार्रवाई करने के लिए कह रहा था, उससे ये लोग नौकरी करा रहे थे। इन अफसरों के लिए कोर्ट का कोई मूल्य नहीं था, ऐसा लग रहा है।

6 - अफसरों का लालच बारूद बनकर फटा तो 11 लोगों की जान चली गई, सैकड़ों लोगों को जीवनभर का दर्द मिला। रूह कंपा देने वाले विस्फोट के बाद अफसरों ने बुधवार को पुरानी फाइल निकाली और बरवा को सस्पेंड करते हुए कार्रवाई की रस्म अदायगी पूरी कर ली। बरवा को सालभर बचाए रखने के मामले पर प्रमुख सचिव सचिन सिन्हा से बात करने के लिए कॉल लगाया गया तो पहले पूरी रिंग गई, लेकिन उन्होंने कॉल अटैंड नहीं किया। इसके बाद दोबारा प्रयास किया गया तो उन्होंने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया यानी काट दिया।

ऐसे खुली बरवा की पोल

हरदा में 11 बेकसूर लोगों की जान जाने के बाद हरदा प्रशासन (Harda Administration) की नींद टूटी। जब सरकार पर दबाव बना कि आखिर राजेश अग्रवाल सालभर पहले कोर्ट में बेकसूर कैसे साबित हुआ। जब जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि कारखाना निरीक्षक नवीन कुमार बरवा की ओर से गवाही न देने के कारण अग्रवाल बचा था। फाइल पलटी गई तो बरवा को लेकर कोर्ट की टिप्पणी भी सामने आ गई। इस तरह दिल दहला देने वाले इस जानलेवा हादसे के बाद प्रशासन की नींद टूटी और बरवा को सस्पेंड किया गया।

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