OMAXE ग्रुप ने बिना जमीन, टीएंडसीपी और रेरा परमिशन के ही तीन हजार लोगों को बेचे 250 करोड़ के प्लॉट

ओमेक्स ग्रुप की 250 करोड़ रुपए की धांधली इंदौर में सुपर कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर चल रही है, जहां बिना मंजूरी के हजारों प्लॉट बेचे जा रहे हैं। ये अवैध बुकिंग लगातार जारी है।

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Sanjay gupta
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रियल एस्टेट के बड़े ग्रुपों में से एक है OMAXE, जितना बड़ा ग्रुप है, उसकी उतनी ही बड़ी धांधली। और वह भी खुलकर चल रही है। सभी अधिकारियों की नाक के नीचे। एक-दो नहीं, बल्कि पूरे 250 करोड़ रुपए की खुलेआम धांधली, जो लगातार जारी है।
(द सूत्र ने लगातार सात दिन तक मौके पर जाकर इस मामले का स्टिंग किया और ओमेक्स के साथ ही इंदौर के और भी बड़े ग्रुपों की धांधली को भी समझा, जिसे आगे अगली किस्त में उजागर करेंगे )

पहले जानें, क्या है प्रोजेक्ट

ओमेक्स ग्रुप द्वारा यह धांधली की जा रही है इंदौर के सुपर कॉरिडोर पर, टीसीएस चौराह के आगे। OMAXE ग्रुप यहां पर ओमेक्स सुपर कॉरिडोर नाम से एक प्रोजेक्ट ला रहा है। इसे दूसरा नाम ओमेक्स- 4 भी दिया गया है, क्योंकि ओमेक्स का इंदौर में यह चौथा प्रोजेक्ट है। प्रोजेक्ट लिम्बोदागारी, सोनगीर गांव में है। दोनों ही गांव अहिल्या पथ में शामिल हैं। 

अब जानिए- कितनी बड़ी है धांधली

यह धांधली पूरी 250 करोड़ रुपए से ज्यादा की है। ग्रुप यहां 350 एकड़ जमीन पर ओमेक्स यह प्रोजेक्ट ला रहा है, लेकिन बिनी किसी सरकारी मंजूरी के…। इस प्रोजेक्ट की टीएंडसीपी तक पास नहीं है। विकास मंजूरी और रेरा की अनुमति तो बहुत दूर की बात है। बता दें कि यहां करीब तीन हजार प्लॉट बेचे जाना हैं। वह भी कागज पर क्योंकि, अभी तक प्लाटिंग नक्शा भी नहीं है। इसीलिए प्लाट की लोकेशन और नंबर भी ग्राहक को नहीं दिए जाते हैं। बड़ी बात तो यह है कि हवा-हवाई तीन हजार प्लाट भी बिक चुके हैं। 

दो साल में कीमत हो गई दोगुनी

चार पन्नों के एक एग्रीमेंट पर यह प्लाट बेचे जा रहे हैं। शुरुआत में प्लाट की कीमत 17 लाख के करीब थी, जिसमें 50 फीसदी राशि ओमेक्स कंपनी के खाते में जमा कराई जा रही थी। यह बुकिंग दो साल से चल रही है और अब दाम बढ़ाकर एक प्लाट की कीमत 30 लाख रुपए की जा चुकी है। बुकिंग में भी अब 15 लाख रुपए लिए जा रहे हैं। कंपनी के लिए काम करने वाले एजेंट और मैनेजरों का दावा है कि सभी तीन हजार प्लाट बिक चुके हैं। बस कुछ ही बचे हैं और पुराने रीसेल वाले ही आपको मिलेंगे। 

किस तरह की है धांधली

ओमेक्स ग्रुप की यह धांधली दो साल पहले शुरू हो गई थी, जब उसके पास मात्र 50 से 100 एकड़ जमीन को लेकर ही किसानों से सौदे हुए थे। ओमेक्स के लिए बुकिंग करने वाले मैनेजर ने खुद द सूत्र के स्टिंग में बताया कि हमने जमीन के सौदे किए। प्लॉट काटे और उनकी बुकिंग से राशि जमा की। फिर राशि आने के बाद पास की जमीन के सौदे किए। इस तरह यह सौदे दो साल से चल रहे हैं और अब 350 एकड़ जमीन दो साल में हम किसानों से ले चुके हैं। जल्द ही बाउंड्रीवाल बनवाने का काम करेंगे। यानी जमीन भी जब पूरी तरह से नहीं थी, तभी से धड़ल्ले से यहां दो साल से बुकिंग चल रही है। गौर करने की बात यह है कि अभी जमीन पर कुछ भी नहीं है। इसके बाद भी अधिकारियों की नाक के नीचे ओमेक्स ग्रुप 250 करोड़ रुपए जमा कर चुका है। 

ऐसी- ऐसी ठगी, अहिल्या पथ के नाम पर भी

ओमेक्स ने अपने माल को बेचने के लिए ठगी के अलग-अलग तरीके अपनाए हुए हैं। यहां हाल ही में पास हुए अहिल्या पथ को दिखाया जा रहा है और बताया जा रहा है कि यह कॉलोनी के पास से ही गुजर रही है। जैसे ही इसका काम शुरू होगा तो अभी के दाम 3100 रुपए प्रति वर्गफीट से बढ़कर चार से पांच हजार रुपए पहुंच जाएंगे। दो साल में ही दो हजार प्रतिवर्गफीट का फायदा हो जाएगा।

सपने दिखा रहे - दुबई के पाम जुमेराह के नाम पर भी ठगी

ओमेक्स ग्रुप ने एक और ब्रोशर बनाया है, जिसमें बताया गया है कि यहां 50 एकड़ में दुबई के पाम जुमेरहा जैसा प्रोजेक्ट आएगा। जिसमें पानी के अंदर आवासीय टाउनशिप अंदर रहेगी, जो लग्जरी होगी। इसके दाम अभी बुकिंग में ही 5500 रुपए प्रति वर्गफीट हैं। इसमें अच्छी लोकेशन देने के दस फीसदी और राशि अतिरिक्त ली जाएगी। इसमें तीन साल कम से कम समय लगेगा। बता दें कि यह बुकिंग भी दो साल पहले से चल रही है। 

पूरी तरह से अवैध कॉलोनी कट रही है

किसी भी कॉलोनी में बुकिंग रेरा मंजूरी के बाद ही ली जा सकती है। इसके पहले बिल्डर द्वारा जमीन ली जाती है या फिर सामने वाले के साथ रेशो डील की जाती है। इसके बाद रजिस्ट्री या सौदा होने के बाद इसकी टीएंडसीपी पास कराई जाती है और फिर विकास मंजूरी ली जाती है। इसके बाद ही रेरा को फाइल जाती है। टीएडंसीपी के समय ही कॉलोनी की प्लाटिंग का नक्शा सामने आता है। अभी तो ओमेक्स के पास नक्शा तक नहीं है। केवल कागज पर ही बुकिंग हो रही है और सामने वाले ग्राहक को प्लाट नंबर तक नहीं मिलता, ना ही लोकेशन बताई जाती है। टीएंडसीपी आने में अभी साल भर का समय लगना खुद ओमेक्स मैनेजर द्वारा बताया जा रहा है। इसके बाद विकास मंजूरी और रेरा आएगा। रजिस्ट्री दो साल से पहले प्लाट की नहीं हो सकती है और इसके बाद भी दो साल पहले से और दो साल बाद तक यह बुकिंग अवैध कॉलोनी होने के बाद भी धड़ल्ले से चल रही है। साथ ही इसमें सेल और रिसेल का जमकर खेल चल रहा है। 

( नोट- ओमेक्स ग्रुप की अगली किश्त में देखिए, किस तरह का चार पन्नों का एग्रीमेंट, किस नाम पर कंपनी ले रही राशि और कैसे कर रही खरीदी-बिक्री )

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