मध्य प्रदेश में "एक जिला, एक उत्पाद" (One District, One Product) योजना के तहत देवास और हरदा जिलों के किसानों ने बांस की खेती की थी, जो अब उनके लिए परेशानी का कारण बन गई है। 2019 में आर्टिसन एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड (Artisan Agrotech Private Limited) नामक कंपनी ने इन किसानों के साथ बांस की खेती के लिए एग्रीमेंट किया था। कंपनी ने किसानों को आश्वासन दिया था कि वह बांस लगाने से लेकर उसे खरीदने तक का कार्य करेगी। इस विश्वास पर किसानों ने कंपनी के साथ अगले 40 वर्षों तक या बांस की आयु पूरी होने तक का एग्रीमेंट कर लिया।
कंपनी का किसानों से वादा
एग्रीमेंट के तहत किसानों को बेम्बूसा बांस (Bambusa Bamboo) ही उगाने थे, जिसे कंपनी प्रति बांस ₹25 की दर से खरीदेगी और फसल तैयार होने पर ₹2550 प्रति मीट्रिक टन पर खरीदने का वादा किया गया था। देवास और हरदा के सैकड़ों किसानों ने अपनी जमीन पर बांस की खेती शुरू की। लेकिन अब, जब बांस की फसल तैयार हो गई है, कंपनी के कर्ताधर्ता गायब हो गए हैं।
जब कंपनी से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो सभी फोन बंद मिले। एक नंबर चालू था, लेकिन उस पर भी कोई जवाब नहीं मिला। यहां तक कि कंपनी की पोर्टल पर दी गई ईमेल आईडी पर भेजे गए मेल का भी कोई उत्तर नहीं आया। इस स्थिति में वन विभाग के अफसर कंपनी की तरफदारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि कंपनी को घाटा हो गया है।
किसानों ने क्या बताया?
2019 में आर्टिसन एग्रोटेक ने देवास और हरदा के किसानों से संपर्क कर बांस की खेती शुरू करवाई थी। किसानों ने कंपनी के साथ 40 साल का एग्रीमेंट किया, लेकिन अब जब बांस की फसल तैयार है, कंपनी गायब हो चुकी है। देवास बायपास (Dewas Bypass) पर स्थित कंपनी का कारखाना बंद पड़ा है और कंपनी के प्रबंधक देवोपम मुखर्जी (Debopam Mukherjee) से कोई सीधा संपर्क नहीं हो रहा है। यह वही कंपनी है जिसे देवास जिला प्रशासन ने "एक जिला, एक उत्पाद" योजना के तहत ब्रांड एंबेसडर बनाया था।
देवास के किसान अजीत शर्मा (Ajeet sharma) ने बताया कि कंपनी ने 2019 में उनके साथ एग्रीमेंट किया था, लेकिन अब जब बांस तैयार हो चुके हैं, कंपनी के प्रबंधक लापता हैं। जब उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया, तो अधिकारियों ने उन्हें कोर्ट जाने की सलाह दी।
मामले की जांच जारी
वहीं, वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक यूके सुबुद्धी (UK Subuddhi) ने कहा कि उन्हें इस मामले की शिकायतें मिली हैं। उन्होंने कंपनी के प्रबंधकों से बात की और उन्हें पता चला कि कंपनी को घाटा हो गया है। सुबुद्धी ने कहा कि वे मामले की जांच करवा रहे हैं।
किसानों को इस स्थिति से बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनकी फसल तैयार है, लेकिन खरीदने वाला कोई नहीं है। यह मामला अब धीरे-धीरे अदालत की ओर बढ़ रहा है, जहां किसान अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं।
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