पंडित अलग, परम्परा अलग... कैसे होगा राजमाता का अंतिम संस्कार, क्या होगा 14 दिन... जानें सब कुछ

राज परिवार से जुड़े लोगों के अनुसार, राजसी परम्परा सामान्य परिवारों से ​अलग होती है। लिहाजा, राज परिवारों में मांगलिक कार्य और अंतिम संस्कार करने वाले पंडित भी अलग होते हैं। ये राज परिवार के कार्य बरसों-बरस से करते आ रहे होते हैं। 

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Pratibha ranaa
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Rajmata Madhavi Raje Scindia funeral
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मारुत राज, BHOPAL. दिग्गज नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की पत्नी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां राजमाता माधवी राजे सिंधिया ( Madhavi Raje Scindia ) नहीं रहीं। वे 76 बरस की थीं। गुरुवार यानी 16 मई को उनकी पार्थिव देह दिल्ली से ग्वालियर लाई गई। पार्थिव शरीर को रानी महल में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। शाम करीब 5 बजे सिंधिया छत्री पर राजसी परम्परा के हिसाब से उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

द सूत्र ने राज परिवार से जुड़े लोगों से जाना कि राजसी परम्परा से अंतिम संस्कार किस तरह से होता है। इस खबर में जानिए अंतिम संस्कार से लेकर गंगभोज तक क्या-क्या होगा? कैसा रहेगा कार्यक्रम?

अंतिम संस्कार के बाद क्या?

राजमाता माधवीराजे सिंधिया का अंतिम संस्कार पूरी राजसी परम्परा के साथ किया जाएगा। हिन्दू पद्धति से उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया मुखाग्नि देंगे। अंतिम संस्कार के पश्चात तीसरे दिन अस्थि संचय किया जाएगा। 10 दिन तक रोजाना पूजा-अर्चना होगी। राजपुरोहित हर दिन विशेष पूजा-पाठ कराएंगे। ( Rajmata Madhavi Raje Scindia funeral )

गंगा में विसर्जित होंगी अस्थियां 

10वें दिन परिवार के सदस्य गंगा स्नान कर अस्थि विसर्जन करेंगे। गंगा जी की विशेष पूजा-अर्चना होगी। इसी दिन ग्वालियर में पूरे महल की गंगा जल से शुद्धि की जाएगी। 13वें दिन तेरहवीं का कार्यक्रम होगा। इसमें परिवार और राज परिवार से जुड़े लोग ही शामिल होते हैं। सामान्य लोग इसमें शामिल नहीं हो सकते हैं। 

14वें दिन होगा गंगभोज 

तेरहवीं के बाद 14वें दिन गंगभोज होगा। इसमें सगे-संबंधियों के साथ परिचितों और अन्य लोग शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में लाखों लोगों के जुटने की संभावना जताई जा रही है। पुण्यात्मा की शांति के लिए राज परिवार की ओर से ब्राह्मणों को दक्षिणा आदि दी जाएगी। ऐसे ही मानदानों को वस्त्र आदि दिए जाएंगे। 

राजसी परम्परा सामान्य परिवारों से अलग 

राज परिवार से जुड़े लोगों के अनुसार, राजसी परम्परा सामान्य परिवारों से ​अलग होती है। लिहाजा, राज परिवारों में मांगलिक कार्य और अंतिम संस्कार करने वाले पंडित भी अलग होते हैं। ये राज परिवार के कार्य बरसों-बरस से करते आ रहे होते हैं। इसी तरह गंगभोज बनाने वाले कारीगर और हलवाई आदि भी अलग होते हैं। 

देशभर के राज परिवार पहुंचे ग्वालियर 

यूं तो सामान्य परिवारों में किसी के देहांत होने पर मुंडन की परम्परा है। इसी तरह ज्योतिरादित्य ने मुंडन कराया। राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश से लेकर नेपाल तक के राज परिवार अपनी श्रद्धांजलि देने ग्वालियर पहुंच गए हैं। 

सुरक्षा में दो हजार जवान तैनात 

रानी महल में अंतिम दर्शन के लिए देशभर से नेता और सामाजिक हस्तियां पहुंच रही हैं। ग्वालियर में VVIP और VIP लोग जुट रहे हैं। इसी के साथ देशभर के राज परिवारों के सदस्य भी राजमाता को श्रद्धांजलि देने के लिए आ रहे हैं। लिहाजा, ग्वालियर में तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। दो हजार ज्यादा पुलिस वाले और सुरक्षा​कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।

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